Mahatma Gandhi Biography in Hindi | महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय

Mahatma Gandhi Biography in Hindi – महात्मा गांधी, जिन्हें लोग प्यार से बापू (राष्ट्रपिता) कहते हैं, भारतीय राजनैतिक मंच पर 1919 से 1948 तक इस प्रकार छाए रहे है कि इस युग को भारतीय इतिहास का गांधी युग कहा जाता हैं. शान्ति और अहिंसा के दूत, गांधी जी का सन्देश समस्त विश्व के लिए है और उससे मानव जाती प्रभावित हुई हैं. गांधी जी का एक विचार जिसे कोई भी अपने जीवन में उतार ले, तो वह एक सभ्य इंसान बन सकता है उनका कहना था कि – “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो.

Mahatma Gandhi Biography in Hindi | गांधी जी का जीवन परिचय

नाम – मोहन दास गांधी ( Mohan Das Gandhi )
पूरा नाम – मोहनदास करमचंद गांधी
जन्मतिथि – 02 अक्टूबर 1869
जन्मस्थल – पोरबंदर, काठियावाड़, गुजरात, भारत
मृत्युतिथि – 30 जनवरी 1984 (75 वर्ष की आयु में)
राष्ट्रीयता – भारतीय
अन्य नाम – महात्मा गान्धी, बापु, गांधीजी
शिक्षा – युनिवर्सिटी कॉलिज, लंदन
प्रसिद्धि कारण – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
राजनैतिक पार्टी – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
धर्म -हिन्दू
माता का नाम – पुतलीबाई
पिता का नाम – करमचंद गाँधी
जीवनसाथी – कस्तूरबा गांधी ( Mahatma Gandhi Wife Name – Kasturba Gandhi )
बच्चे – हीरालाल गांधी, मणिलाल गाँधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर स्थान पर हुआ. 1891 में उन्होंने इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास की और पहले राजकोट में और फिर बम्बई में वकालत करने लगे. 1893 में उन्हें दक्षिणी अफ्रीका की एक व्यापारिक कम्पनी से निमन्त्रण मिला और वह वहां चले गये. वहां उन्होंने गोरों द्वारा काले ( अफ्रीकी तथा भारतीय ) लोगों से रंगभेद की नीति के विरूद्ध विरोध प्रकट किया. फिर नटाल भारतीय कांग्रेस बनाई और जेल गए. उन्होंने एशियाटिक (काले लोगो का) अधिनियम ( Asiatic Blck Act ) और ट्रांसवाल देशांतर वास अधिनियम ( Transvaal Immigration Act ) के विरूद्ध भी विरोध प्रकट किया और अपना अहिंसात्मक सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया. दक्षिणी अफ्रीका की सरकार को तर्क की आवाज सुननी पड़ी और उन्होंने 1914 में भारतीयों के विरूद्ध अधिकतर क़ानून रद्द कर दिए.

महात्मा गाँधी का भारत आगमन और स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेना | Mahatma Gandhi return to India and participation in freedom struggle

1914 में गांधी जी भारत लौट आये और अपनी सेवाओं की मान्यता के फ़लस्वरूप अब महात्मा कहलाने लगे. आने वाले कुछ समय तक वह भारतीय स्थिति का अध्ययन करते रहे. 1917 में उन्होंने बिहार के चम्पारन जिले में नील के बगीचों के यूरोपीय मालिकों के विरूद्ध भारतीय मजदूरों को एकत्रित किया. 1919 कीजलियांवाला बाग़ में हुई दुर्घटना और रौलट एक्ट (1919) के पारित होने पर गांधीजी बहुत खिन्न हुए और उन्होंने भारत की राजनीति में सक्रिय भाग लेना आरम्भ कर दिया. उन्होंने अंग्रेजो को “शैतानी लोग” कहा और अपनी असहयोग की नीति अपनाई.

सन् 1914 – 1919 के बीच जो प्रथम विश्व युद्ध हुआ था. उसमें महात्मा गांधीजी ने अंग्रेजी सरकार को इस शर्त पर सहयोग दिया था कि इस युद्ध के पश्चात वे भारत को आजाद कर देंगे. परन्तु जब अंग्रेजो ने ऐसा नहीं किया तो गांधीजी ने देश की आजादी के लिए कई आन्दोलन किये.

सन् 1920 में कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के बाद गांधीजी ही कांग्रेस के मार्गदर्शक थे – Bal Gangadhar Tilak Biography | बाल गंगाधर तिलक की जीवनी

1920 में उन्होंने असहयोग आन्दोलन ( Asahayog Aandolan ) आरम्भ कर दिया. यह आन्दोलन 1930 में पुनः किया गया और 1940 में निजी रूप से भी. 1942 में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ़ “भारत छोड़ो आन्दोलन ( Bharat Chhodo Aandolan )” शुरू किया और उन्हें अंग्रेजो के द्वारा बंदी बना लिया गया.

महात्मा गांधी द्वारा लिखी पुस्तके | Books written by Mahatma Gandhi

गांधी जे द्वारा मौलिक रूप से लिखित चार पुस्तकें हैं. गांधी जी आमतौर पर गुजराती में लिखते थे, परन्तु अपनी किताबों का हिंदी और अंग्रेजी में भी अनुवाद करते या करवाते थे.

  • हिंद स्वराज ( Hind Swaraj )
  • दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास
  • सत्य के प्रयोग (आत्मकथा) ( The Story of My Experiments with Truth )
  • गीता पदार्थ कोश सहित संपूर्ण गीता की टीका

महात्मा गांधीजी ने अन्य कई विषयों पर केन्द्रित छोटी-छोटी पुस्तिकाओं का भी विभिन्न नामों से प्रकाशन होते रहा हैं. जिसमे ‘महात्मा गांधी के विचार’ और ‘मेरे सपनों का भारत’ मुख्य हैं. गाँधी जी ने जॉन रस्किन की अन्टू दिस लास्ट (Unto This Last) की गुजराती में व्याख्या भी की है.

महात्मा गांधी की मृत्यु | Death of Mahatma Gandhi

30 जनवरी, 1948, गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर की गई. उन्हें तीन गोलियां मारी गई थी और उनके मुँह से निकले अंतिम शब्द थे – “हे राम“. उनकी मृत्यु के बाद दिल्ली में राजघाट पर उनका समाधि स्थल बनाया गया हैं. गोड़से और उनके सह षड्यंत्रकारी नारायण आप्टे को बाद में केस चलाकर सजा दी गई तथा 15 नवंबर 1949 को इन्हें फांसी दे दी गई. गांधी जी की राख को एक अस्थि-रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद दिलाने के लिए संपूर्ण भारत में ले जाया गया. इनमें से अधिकांश को इलाहाबाद में संगम पर 12 फरवरी 1948 को जल में विसर्जित कर दिया गया किंतु कुछ को अलग पवित्र रूप में रख दिया गया.

गांधी जी की कुछ अन्य रोचक बातें | Some Interesting Facts About Mahatma Gandhi

  1. महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता का खिताब भारत ने नहीं दिया था, अपितु एक बार सुभाषचन्द्र बोस ने उन्हें राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जीवनी | Subhash Chandra Bose Biography in hindi
  2. महात्मा गांधीजी ने स्वदेशी आन्दोलन भी चलाया था, जिसमें उन्होंने सभी लोगो से विदेशी वस्तुओ का बहिष्कार करने की मांग की और फिर स्वदेशी कपड़ो आदि के लिए स्वयं चरखा चलाया और कपड़ा भी बनाया.
  3. गांधी जी ने अपने पूरे जीवन में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए प्रयास किया.
  4. आत्मिक शुद्धि के लिए गांधी जी बड़े ही कठिन उपवास भी किया करते थे.
  5. प्रत्येक साल 2 अक्टूबर को गांधी जी का जन्म दिन भारत में “गांधी जयंती” के रूप में और पूरे विश्व में “अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के नाम से मनाया जाता है.
  6. यदि आप गांधी जी के बारें में पूर्ण एवं विस्तृत जानकारी चाहते है तो गांधी जी द्वारा लिखी किताब “सत्य के प्रयोग (आत्मकथा)” को जरूर पढ़े.
  7. 11 मार्च, 1930 ई. को साबरमती के मैदान में 75 हजार व्यक्तियों ने एकत्रित होकर प्रण किया कि जब तक स्वाधीनता नहीं मिल जाती तब तक नो तो हम चैन लेंगे और न अंग्रेजी सरकार को चैन लेने देंगे. उन्होंने इसमें से 79 ऐसे कार्यकर्ता चुने जो 12 मार्च, 1930 ई. को साबरमती आश्रम से डांडी समुंद्र तट की ओर चल पड़े. 200 मील की लम्बी दूरी पैदल चलकर 24 दिनों में पूरी की गयी.

महात्मा गांधी का सत्य और अहिंसा का सन्देश | Mahatma Gandhi’s message of truth and nonviolence

सत्य के सच्चे पुजारी के रूप में उनका विश्वास था कि सत्य ईश्वर है और ईश्वर सत्य हैं और ईश्वर ( मानवता का ) प्रेम हैं और प्रेम ही ईश्वर हैं. कुछ लोगों का विश्वास है कि गांधीजी की सत्यप्रियता हिन्दू धर्म से और अहिंसा, बौद्ध, जैन और ईसाई मत द्वारा प्रभावित थी.

महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) ने सत्य और अहिंसा को अपने स्वप्नों के नवीन समाज का आशार बनाया. वह समस्त संसार के लिए स्वतन्त्रता मांगते थे, अर्थात अहिंसा, लोभ, आक्रमण, वासनाओं और आकांक्षाओं, जिन्होंने राष्ट्रों को नष्ट कर दिया है, इत्यादि से भी स्वतन्त्रता. उन्होंने Young India नामक पत्रिका में लिखा था – “जिन ऋषियों ने हिसा के बीच अहिंसा के सिद्धांत को खोज निकाला, वे न्यूटन से अधिक प्रखर बुद्धि वाले लोग ( Geniuses ) थे , वे स्वयं वेलिंगटन से अधिक वीर योद्धा थे. स्वयं हथियारों का प्रयोग जानते हुए भी उन्होंने इसकी व्यर्थता को अनुभव किया और उन्होंने युद्ध से दुःखी संसार को बतलाया कि इसकी मुक्ति हिंसा द्वारा नहीं अपितु अहिंसा द्वारा ही हैं.”

निर्भीकता उनके सत्याग्रह का आवश्यक अंग था. इसका अर्थ अन्यायी के आगे चुपचाप झुक जाना नहीं है अपितु अपनी आत्मा को अन्यायी की इच्छा के विरूद्ध लड़ाना हैं. उसके प्रति घृणा नहीं, प्रेम, अहिंसा तथा दया की भावना से, जिससे उसकी आत्मा प्रभावित हो जाए और उसका मन ही बदल जाए, वह अंग्रेजों के निजी और सामूहिक रूप से विरूद्ध नहीं थे. वह अंग्रेजों के साम्राज्यवाद के विरूद्ध थे. इसकी जड़ में मुख्यतः वह विश्वास था कि मानव प्रकृति मूलतः अच्छी है और एक अन्यायकारी का मन, सत्याग्रहियों के आत्म बलिदान से बदल जाएगा और अंत में न्याय की ही विजय होगी.

महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यक्रम | Mahatma Gandhi’s Creative Program

गांधीजी के नेतृत्व में कांग्रेस ने रचनात्मक कार्यक्रम को बहुत बढ़ावा दिया. वह केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही नहीं चाहते थे अपितु जनता की आर्थिक, सामजिक और आत्मिक उन्नति चाहते थे. इस भावना से उन्होंने ‘ग्राम उद्योग संघ’ ( Village Industries Association ), तालीमी संघ ( Basic Education Society ), गो रक्षा संघ ( Cow Protection Association ) बनाये. उन्होंने समाज में शोषण समाप्त करने के लिए भूमि और पूँजी का समाजीकरण नहीं मांगा अपितु आर्थिक क्षेत्र के विकेंद्रीकरण ( Decentralization ) द्वारा इस प्रश्न को हल करना चाहा. उन्होंने कुटीर उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए काम किया. खादी उनके आर्थिक कार्यक्रम का प्रतीक था. गांधीजी ने जनता के सामाजिक सुधार के लिए भी प्रयत्न किया उन्होंने सभी प्रकार की असमानताओं ( जन्म, जाति, धर्म और धन की ) को समाप्त करने का प्रयास किया. अछूतों के उद्धार के लिए कार्य किया और उन्हें हरिजन ( ईश्वर के लोग ) की संज्ञा दी. नशाबन्दी के लिए और हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए भी प्रयत्न किया.

गांधीजी के बारें में चुने हुए विचार | Selected thoughts about Gandhiji

रवीन्द्रनाथ टैगोर ( Ravindranath Tagore ) -गांधीजी एक राजनीतिज्ञ, संगठनकर्ता, मनुष्यों के नेता और नैतिक सुधारक के रूप में महान हैं, परन्तु वह मनुष्य के रूप में उससे भी अधिक महान हैं क्योंकि ये सभी पक्ष उनकी मानवता को सीमित नहीं करते. वास्तव में सभी को इससे शक्ति मिलती हैं. यद्यपि वह असाध्य रूप से आदर्शवादी थे और अपने निश्चित मापदंडो द्वारा ही प्रत्येक कार्य को मापते थे, फिर भी वह मानव प्रेमी है न कि खोखले विचारों के प्रेमी. Rabindranath Tagore Biography in Hindi | रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी

आचार्य कृपलानी ( Acharya Kriplani ) – “जब हम ठीक होते हैं उससे महात्मा जी उस समय भी जब वे गलत होते हैं हमसे अधिक ठीक होते हैं.” ( The Mahatma is more right when he is wrong than we are when we are right. )

अर्नाल्ड टॉयनबी ( Arnold Toynbee ) – मैं जिस पीढ़ी में उत्पन्न हुआ वह पीढ़ी पश्चिम में केवल हिटलर अथवा स्टालिन की ही पीढ़ी नहीं थीं अपितु भारत में गांधी की पीढ़ी भी थी. हम कुछ निश्चयपूर्वक यह भविष्यवाणी कर सकते हैं कि मानव इतिहास पर गांधी का प्रभाव हिटलर और स्टालिन के प्रभाव से अधिक चिरस्थायी होगा. ( It can already be forecast with some confidence that Gandhi’s effect on human history is going to be greater and more lasting than Stalin’s or Hitler’s )

इन्हें भी पढ़े

Latest Articles