Poem on Human Rights Day in Hindi | मानवाधिकार दिवस पर कविता

Poem on Human Rights Day in Hindi ( World Human Rights Day Poem Kavita Poetry in Hindi ) – इस आर्टिकल में विश्व मानवाधिकार दिवस पर बेहतरीन कविता दी गई है. इन्हें जरूर पढ़े और शेयर करें.

मानवाधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, जातीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य स्थिति की प्रवाह किये बिना सभी मनुष्यों के लिए निहित अधिकार है. मानवाधिकार इंसान को स्वतंत्रता का अधिकार देता है. दास्ता, गुलामी और यातना से मुक्ति दिलाता है. यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, काम और शिक्षा का अधिकार देता है. और भी अन्य कई अधिकार देता है. बिना भेदभाव के हर कोई इन अधिकारों का हकदार है.

इन्सान के अधिकारों का सबसे ज्यादा हनन ग्रामीण क्षेत्र में होता है. जहाँ रूढ़िवादी विचारों के कारण लड़कियों को पराई धन समझा जाता है और उन्हें उचित शिक्षा नही दी जाती है. कम उम्र में ही उनसे घर के सारे कार्य करवाएं जाते है. ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानों पर आपको कम उम्र के बच्चे काम करते दिखाई देंगे. मजदूरों को सरकार के न्यूनतम वेतन के अनुसार मजदूरी नही दी जाती है. कई बार दबंग मजदूरों का पैसा नही देते है. गरीब बैंक न जाकर गाँव के सूदखोर या सेठ महाजन से ऋण लेते है. जिसपर उनका उच्च ब्याज दर होता है. ऋण न चुका पाने की स्थिति में वे पूरा जीवन गुलामी करते है. मानवाधिकार आयोग को ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करना चाहिए.

Poem on Human Rights Day in Hindi

साहस से लड़ने वाला ही मैंदान जीतता है,
इन्सान लाखों दुःख सहकर सुख के मोती बीनता है,
शिक्षा और पैसा न हो तो जीवन में आती हीनता है,
इंसान ही इंसान के अधिकार छीनता है.

योग्यता को ही अधिकार दिया जाता है,
समाज का कल्याण हो सोच लिया जाता है,
जब उस अधिकार को चंद रूपयों में खरीद लिया जाता है,
तब इंसान के द्वारा ही इंसान का अधिकार छीन लिया जाता है.

गरीबों को भी बोलने का अधिकार है,
मुफ्त में शिक्षा पाने का अधिकार है,
मंदिर में जाने का अधिकार है,
स्वतंत्र रूप से जीवन साथी चुनने का अधिकार है,
फिर भी उनका अधिकार छीना जाता है,
गुलामों की तरह जीवन जीने को मजबूर किया जाता है.

समानता का अधिकार है,
पर अमीरों और गरीबों में
जमीन-आसमान का अंतर है,
गुलामी से आजादी है
फिर भी कंपनियों में शोषण होता है,
मजबूर गरीब का दिल
आज ही रोता है.

क़ानून के नजर में सब समान है,
पर अमीरों की ज्यादा सुनी जाती है,
ऐसे भी गरीब है
जिन्हें दो वक्त का खाना
नसीब नही होता है
बचपन भूख से
बिलख-बिलख कर रोता है.

सड़क पर भीख माँगते
बच्चों के अधिकारों के बारें
में कौन सोचता है,
अगर स्वार्थ न हो
स्वयं का लाभ न हो
तो मानवाधिकार
भी नही बोलता है.


World Human Rights Day Poem in Hindi

समानता का अधिकार,
देश के भीतर और बाहर
मुक्त आन्दोलन का अधिकार,
विवाह और परिवार का अधिकार,
जीवन का अधिकार,
स्वतंत्रता और व्यक्तिगत सुरक्षा का अधिकार
यह हर इंसान का अधिकार हो.

भेदभाव से मुक्ति,
गुलामी से मुक्ति,
बेवजह निर्वासन से मुक्ति,
इंसान को इससे मुक्ति मिलनी चाहिए.

सामजिक सुरक्षा का अधिकार,
मन पसंद काम करने का अधिकार,
शिक्षा का अधिकार,
उच्च जीवन स्तर जीने का अधिकार,
यह हर इंसान का अधिकार हो.


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