Anmol Suvichar in Hindi – इस पोस्ट में अनमोल सुविचारों ( Anmol Suvichar ) और अनमोल सुविचार शायरी ( Anmol Suvichar Shayari ) का बड़ा सुंदर संग्रह हैं. इन विचारों को जरूर पढ़े. व्यक्ति के विचार और सोच ही उसे सुख और दुःख की अनुभूति कराते हैं. अनमोल सुविचार आपको सुख, उत्साह और प्रेरणा की अनुभूति करायेंगे.
बेस्ट अनमोल सुविचार | Anmol Suvichar in Hindi
जिन्दगी में दो दिन सबसे महत्वपूर्ण होते है. एक दिन वह – जब आपका जन्म होता हैं और दूसरा दिन वह – जब आपको पता चल जाए कि क्यों हुआ है.
माफ़ करना सीखिए क्योंकि हम भी ईश्वर से यहीं उम्मीद रखते हैं.
मेहतन करने से गरीबी नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता और मौन रहने से कलह नहीं होता हैं.
मजाक और पैसा सोच-समझकर उड़ाना चाहिए.
वो न कागज रखता है, न किताब रखता है, फिर भी वह सारी दुनिया का हिसाब रखता हैं.
पाप करना नहीं पड़ता हो जाता है और पूण्य होता नहीं है करना पड़ता हैं.
क्षमा, संतोष, सरलता और विनम्रता ये चार धर्म के द्वार हैं.
जो निःशुल्क है वही सबसे कीमती हैं – जैसे नींद, शांति, आनंद, हवा, पानी, प्रकाश और सबसे कीमती साँसे जो ईश्वर ने हमें दी हैं.
स्वयं का शिक्षक बनकर स्वयं को शिक्षा देना ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान हैं.
तजुर्बा बता रहा हूँ दोस्त – दर्द, गम, डर जो भी है बस तेरे अंदर हैं, ख़ुद के बनायें पिंजरे से निकल कर देख तू भी एक सिकन्दर हैं.
मन की शन्ति अवश्य मिलेगी अगर हम इन तीन चीजों से बच जाएँ. आलोचना करना, तुलना करना और शिकायत करना.
जो समय चिंता में व्यतीत होता है वह कूड़ेदान में जाता हैं और जो समय चिंतन में व्यतीत होता है वह तिजोरी में जमा होता हैं.
अगर ऊपर वाले से आपके रिश्ते मजबूत है तो नीचे वाले आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं.
ख़ामोश रहो या ऐसी बात कहो जो ख़ामोशी से बेहतर हो.
मन्नत के धांगे बांधों या मुरादों की पर्ची, वो देगा तभी जब होगी उसकी मर्जी.
अनमोल सुविचार शायरी | Anmol Suvichar Shayari
कुछ लोग कहते है औरत का कोई घर नहीं होता लेकिन मेरा यकीन है कि औरत के बिना कोई घर घर नहीं होता.
आपका असली मुकाबला केवल अपने आप से है अगर आप आज खुद को बीतें कल से बेहतर पाते हैं तो यह आपकी बड़ी जीत हैं.
भूल तब होती है जब भगवान को भूल जाते हैं.
मिल जाए तो शुक्र करो और ना मिले तो सब्र करों. खुश रहोगे.
भाव बिना बाजार में वस्तु मिले ना मोल, तो भाव बिना हरि कैसे मिलें जो है अनमोल.
छोटे लोग और छोटे नोट मुसीबत में काम आते हैं, व्यवहार सबसे रखों.
हम पाप को छोड़ना नहीं चाहते बल्कि पाप करते पकड़े नहीं जाएँ उसकी योजना बनाते हैं.
ऊपर चढ़ने की सीढ़ी बाजार में मिलती है. लेकिन भीतर उतरने की सीढ़ी तुम्हें खुद बनानी पड़ती हैं.
पहाड़ पर चढ़ने का एक उसूल है झुक क्र चढ़ो दौड़ो मत. जिन्दगी भी बस इतना ही मांगती हैं.
ख़ुद को रब से जोड़ दो, बाकि सब रब पर छोड़ दो.
मूर्ख व्यक्ति दूसरो को बर्बाद करने की चाहत में इतना अंधा हो जाता है कि उसको खुद के बर्बाद होने का पता नहीं चलता.
अजीब बात है ना कि रावण जलाने से पहले हम उसे बनाते हैं.
परखता रहा उम्र भर ताकत दवाओं की, दंग रह गया देख कर, ताकत दुआओं की.
लोग दुःख नहीं देते, लोगों से लगी उम्मीदें दुःख देती हैं.
हाथ बाँधे क्यों खड़े हो किस्मत के आगे, हादसे कुछ भीं नहीं है हौसलों के आगे.
अनमोल विचारों का संग्रह | Anmol Suvichar in Hindi
जमीर काँपता जरूर है आप कुछ भी कहिये जनाब, कभी गुनाह से पहले तो कभी गुनाह के बाद.
सुख का अर्थ है – जो है उसका आनन्द लेना और दुःख का अर्थ है – मुझे और चाहिये.
‘सृष्टि’ कितनी भी बदल जाए, फिर भी हम सुखी नहीं हो सकते जबकि ‘दृष्टि’ जरा सी बदल जाए तो हम सुखी हो सकते हैं.
जब भी जिन्दगी रुलायें तो समझना गुनाह माफ़ हो गये, और जब भी जिन्दगी हँसाए तो समझना दुआ कबूल हो गयी.
एक माटी का ‘दिया’ सारी रात अंधियारे से लड़ता हैं, तू तो भगवान का “दिया” है तू किस बात से डरता हैं.
कभी भी किसी को उतनी ही तकलीफ देना, जितना बाद में खुद बर्दाश्त कर सकों. क्योंकि जो दोगें वही वापस मिलेगा.
बड़े अजीब हैं इस दुनिया के लोग, ये ऊपर वाले को तो एक मानते हैं, लेकिन ऊपर वाले की एक नहीं मानते.
‘अकड़’ शब्द में कोई मात्रा नहीं है पर ये अलग-अलग मात्रा में हर इंसान में मौजूद हैं.
बेईमान आदमी भी अपना मुनीम ईमानदार चाहता हैं.
आशाओं की पूर्ति के लिए घर बस जाता हैं, और मकड़ी की तरह यह जीव फँस जाता हैं.
वक्त के पंजे से बचकर कोई कहाँ गया हैं, मिट्टी से पूछिये – सिकन्दर कहाँ हैं?
दुःख की बात ये है कि “वक्त बहुत कम है” और ख़ुशी की बात ये है कि – “अभी भी वक्त हैं”.
ईश्वर के घर में ना तो देर है, ना तो अंधेर हैं, ये सब तो तेरे कर्मों का फेर हैं.
जो सुख के सामान के बिना रहना सीख लेता हैं, वह उतना ही सुखी होता जाता हैं.
चलो जिन्दगी को जिन्दादिली से जीने के लिए एक छोटा सा उसूल बनाते हैं, रोज कुछ ‘अच्छा’ याद रखते हैं और कुछ ‘बुरा’ भूल जाते हैं.
भिक्षा पात्र तो भरा जा सकता है परन्तु इच्छा पात्र कभी नहीं भरा जा सकता हैं.
एक चीज जो कभी भी हमारी नहीं होती – “गलती”.
वो धागा ही था जिसने छिपकर पूरा जीवन मोतियों को दे दिया और ये मोती अपनी तारीफ़ पर इतराते रहे उम्र भर.
लोगो के महल देखकर, कुछ को छोटा या दुखी मत करों, क्योंकि सबकी कब्रे एक जैसी होती हैं.
फितूर होता है हर उम्र में जुदा-जुदा, खिलौना… इश्क… पैसा फिर खुदा-खुदा !!!
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