Allama Iqbal Shayari in Hindi | अल्लमा इकबाल शायरी

Allama Iqbal Shayari in Hindi – अविभाजित भारत के मशहूर शायर अल्लमा इकबाल की कुछ बेहतरीन शायरी को इस पोस्ट में जरूर पढ़े और शेयर करें.

बेस्ट अल्लमा इकबाल शायरी | Allama Iqbal Shayari in Hindi

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है


सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं


तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ


अनोखी वज़्अ’ है सारे ज़माने से निराले हैं
ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले हैं


माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख


नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी


दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है


तस्कीन न हो जिस से वो राज़ बदल डालो
जो राज़ न रख पाए हमराज़ बदल डालो


हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी
ख़ुदा करे कि जवानी तिरी रहे बे-दाग़


जफा* जो इश्क में होती है वह जफा ही नहीं,
सितम न हो तो मुहब्बत में कुछ मजा ही नहीं
* जफा – जुल्म


दिल की बस्ती अजीब बस्ती है,
लूटने वाले को तरसती है.


मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा* चाहिए
कि दाना खाक में मिलकर, गुले-गुलजार होता है
*मर्तबा – इज्जत, पद


हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर* पैदा
*दीदावर – पारखी


साकी की मुहब्बत में दिल साफ हुआ इतना
जब सर को झुकाता हूं शीशा नजर आता है


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