Allama Iqbal Biography in Hindi – अल्लमा इक़बाल या मुहम्मद इकबाल ( Muhammad Iqbal ) अविभाजित भारत के एक महान उर्दू शायर एवं पाकिस्तान के “राष्ट्रकवि” थे. इक़बाल जी ने ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा‘, ‘लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी‘ जैसी मशहूर गीतों की रचना की है. उर्दू और फ़ारसी में इनकी शायरी को आधुनिक काल की बेहतरीन शायरी में गिना जाता है.
अल्लमा इक़बाल की जीवनी | Allama Iqbal Biography in Hindi
नाम – मुहम्मद इक़बाल ( Muhammad Iqbal )
प्रसिद्ध नाम – अल्लमा इक़बाल ( Allama Iqbal )
जन्मतिथि – 09 नवम्बर, 1877
जन्मस्थान – सियालकोट, पाकिस्तान
माता का नाम – इमाम बीबी
पिता का नाम – शेख नूर मुहम्मद
पत्नी – तीन पत्नियाँ (करीम बीबी, सरदार बेगम, मुख्तार बेगम)
सन्तान – मिराज बेगम (पुत्री), आफ़ताब इकबाल, जाविद इकबाल (पुत्र)
भाषा – हिंदी, अंग्रेजी, फ़ारसी
प्रसिद्धि – कवि, शायर और राजनीतिज्ञ
उपलब्धि – पाकिस्तान के राष्ट्रकवि
मृत्युतिथि – 21 अप्रैल, 1938
मुहम्मद इक़बाल का जन्म 09 नवम्बर, 1877 ई. में ब्रिटिश भारत के समय पंजाब के सियालकोट (अब पाकिस्तान) में हुआ. इनके पिता शेख नूर मुहम्मद थे और माता का नाम इमाम बीबी था. इनका परिवार धार्मिक स्वभाव का था. 9 नवम्बर, 1914 ई. को इनकी माता इमाम बीबी का निधन सियोलकोट में हुआ.
अल्लमा इक़बाल की शादी | Allama Iqbal’s Marriage
मुहम्मद इकबाल ने तीन विवाह किया था.
- प्रथम विवाह – पहला विवाह इन्होंने करीम बीबी के साथ हुआ, जो एक गुजराती चिकित्सक खान बहादुर अता मुहम्मद खान की पुत्री थी. इससे मुहम्मद इकबाल एक पुत्री मिराज बेगम और पुत्र आफताब इकबाल के पिता बने.
- द्वितीय विवाह – दूसरा विवाह सरदार बेगम के साथ किया और इन्हें एक पुत्र जाविद इकबाल की प्राप्ति हुई.
- तृतीय विवाह – 1914 में इकबाल ने तीसरा विवाह मुख्तार बेगम के साथ किया.
अल्लमा इक़बाल की दूरदरर्शिता | Allama Iqbal’s Foresight
ब्रिटेन और जर्मनी में पढ़ाई करने के बाद भारत लौट आयें. भारत में अंग्रेजों के द्वारा व्याप्त भ्रष्टाचार, शोषण और अन्य मुश्किलों को लेकर जो जंग चल रही थी उसे और बड़ा बनाने के लिए उन्होंने कहा था –
वतन की फ़िक्र कर नादां, मुसीबत आने वाली है
तेरी बरबादियों के चर्चे हैं आसमानों में,
ना संभलोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्तां वालों
तुम्हारी दास्ताँ भी न होगी दास्तानों में.
अल्लमा इकबाल से सम्बन्धित अन्य तथ्य | Other Facts related Allama Iqbal
- मुहम्मद इक़बाल को अल्लमा इकबाल ( विद्वान् इक़बाल ), मुफ्फकिर-ए-पाकिस्तान ( पाकिस्तान का विचारक ), शायर-ए-मशरीक (पूरब का शायर) और हकीम-उल-उम्मत ( उम्मा का विद्वान् ) आदि नामों से भी जाना जाता हैं.
- इक़बाल की बेहतरीन रचनाओं से प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की.
- भारत के विभाजन और पकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इकबाल ने ही उठाया था.
- सन् 1930 ई. में इकबाल के नेतृत्व में ही ‘मुस्लिम लीग’ ने सबसे पहले भारत के विभाजन की मांग उठाई थी.
- इकबाल ने अंग्रेजी भाषा में एक पुस्तक लिखा था जिसका शीर्षक है : Six Lectures on the Reconstruction of Religious Thought – सिक्स लेक्चर्स ऑन दि रिकंस्ट्रक्शन ऑफ़ रिलीजस थॉट (धार्मिक चिन्तन की नवव्याख्या के सम्बन्ध में छः व्याख्यान) है.
अल्लमा इक़बाल की मृत्यु | Allama Iqbal Death
अल्लमा इकबाल का देहांत 21 अप्रैल, 1938 ई. में हुआ था. विश्व के प्रसिद्ध शायरों में इनका प्रमुख स्थान है.
सारे जहाँ से अच्छा | Sare Jahan Se Achchha
सारे जहाँ से अच्छा या तराना-ए-हिन्दी उर्दू भाषा में लिखी गई देशप्रेम की एक ग़ज़ल है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बनी और जिसे आज भी देश-भक्ति के गीत के रूप में भारत में गाया जाता है.
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा।।
ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में।
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे…
परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का।
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे…
गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ।
गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे….
ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको।
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे…
मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे…
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।
अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे…
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे…
‘इक़बाल’ कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में।
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे…
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