जुबैर अली ताबिश की शायरी | Zubair Ali Tabish Shayari

Zubair Ali Tabish Shayari – जिंदगी के पहलुओं को खूबसूरती से बयां करने का हुनर खुदा कुछ ही लोगो को देता है। इस लेख में जुबैर अली ताबिश के कुछ बेहतरीन शायरी दिए हुए हैं। इन्हें जरूर पढ़े।

Zubair Ali Tabish Shayari

हमने पर्चे आसुओं से भर दिए,
और तुमने इतने कम नंबर दिए,
ऊँचे नीचे घर थे बस्ती में बहुत
जलजले ने सब बराबर कर दिए।
जुबैर अली ताबिश शायरी


वो पास क्या जरा सा मुस्कुरा के बैठ गया,
मैं इस मजाक को दिल से लगा के बैठ गया,
दरख्त काट के जब थक गया लकड़हारा
तो एक दरख्त के साये में जा के बैठ गया।
Zubair Ali Tabish Shayari


जरा ठहरों शब फीकी बहुत है,
तुम्हें घर जाने की जल्दी बहुत है,
जरा नजदीक आ कर बैठ जाओ
तुम्हारे शहर में सर्दी बहुत हैं।
जुबैर अली ताबिश शायरी


अब वो मेरे साथ नहीं है समझे ना
समझाने की बात नहीं है समझे ना
तुम माँगोगे और तुम्हें मिल जाएगा
प्यार है ये खैरात नहीं है, समझे ना।
Zubair Ali Tabish Shayari


बंसी सब सुर त्यागे है,
एक ही सुर में बाजे है,
हाल ना पूछो मोहन का
सब कुछ राधे राधे है।
जुबैर अली ताबिश शायरी


जुबैर अली ताबिश की शायरी

मैं क्या बताऊ वो कितना करीब है मेरे,
मेरा ख्याल भी उसको सुनाई देता है,
वो जिसने आँख अता की है देखने के लिए
उसी को छोड़कर सब कुछ दिखाई देता है।
Zubair Ali Tabish Shayari


उसकी मेहँदी में चाँद देखा है,
हाँ हथेली में चाँद देखा है,
उसने खिड़की से चाँद देखा था
मैंने खिड़की में चाँद देखा है।
जुबैर अली ताबिश शायरी


आईना कब बनाओगी मुझको,
मुझ से किस दिन मिलाओगी मुझको
बाद में इम्तिहान भी दे दूँगा
पहले बोलो पढ़ाओगी मुझको,
अपना कंगन समझ रही हो क्या
और कितना घुमाओगी मुझको।
Zubair Ali Tabish Shayari


जिस्म सारा हटा दिया मैंने,
इश्क़ को रास्ता दिया मैंने,
आज तो दिल के दर्द पर हंसकर
दर्द का दिल दुख दिया मैंने।
जुबैर अली ताबिश शायरी


कोरे कागज पे रो रहे हो तुम,
मैं तो समझा पढ़े लिखे हो तुम,
क्या कहा मुझसे दूर जाना है
इसका मतलब है जा चुके हो तुम।
Zubair Ali Tabish Shayari


Zubair Ali Tabish Shayari in Urdu

तुमने जी भर के तो बर्बाद किया है मुझको
अब क्या रह गया क्यों याद किया है मुझको,
मैं जरा भूल गया तुमको तो इतना गुस्सा
जैसे तुमने तो बड़ा याद किया है मुझको।
जुबैर अली ताबिश शायरी


सिर्फ पर्दा दिखाई देता है,
देखिये क्या दिखाई देता है,
मेरी हालत नजर नहीं आती
मेरा सिकवा दिखाई देता है
वो जो कहता है मैं बड़ा हूँ बहुत
कितना छोटा दिखाई देता है।
Zubair Ali Tabish Shayari


ज़िक्र हर-सू बिखर गया उसका
कोई दीवाना मर गया उसका
उसने जी भर के मुझको चाहा था
और फिर जी ही भर गया उसका।
जुबैर अली ताबिश की शायरी


दिल फिर उसकी गली में जाने वाला है,
बैठे बिठाये ठोकर खाने वाला हैं,
कितने अदब से बैठे है सूखे पौधे
जैसे बादल शेर सुनाने वाला हैं,
ईटों को आपस में मिलाने वाला शख़्स
असल में इक दीवार उठाने वाला है
आखिरी हिचकी लेनी है अब आ जाओ
बाद में तुमको कौन बुलाने वाला है।
जुबैर अली ताबिश शायरी


इसे भी पढ़े –

Latest Articles