महिला दिवस पर कविता | Womens Day Poem in Hindi

Womens Day Poem in Hindi – एक औरत के जीवन को देखा जाए तो उसका त्याग उसके जीवन को महान बना देता हैं. औरत के हर एक रूप में त्याग छिपा हैं. वह चाहे माँ के रूप में हो या पत्नी के रूप में या किसी अन्य रूप में, इसलिए हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया हैं – ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः

विमेंस डे पोएम | Womens Day Poem in Hindi

जिस परिवार में औरत का आदर-सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान, समाज, तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं और वहाँ हमेशा सुख-समृद्धि बढ़ता हैं. जहां ऐसा नहीं होता और औरत के प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है, वहाँ देवकृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किये गये कार्य सफल नहीं होते हैं. वहाँ दुःख, विपन्नता और निराशा छाया रहता हैं.

महिला दिवस पर कविता | Womens Day Poem 1

नारी ईश्वर का चमत्कार

नारी सरस्वती का रूप हो तुम,
नारी लक्ष्मी का स्वरुप हो तुम,
बढ़ जाये जब अत्याचारी,
नारी दुर्गा-काली का रूप हो तुम.

नारी खुशियों का संसार हो तुम,
नारी प्रेम का सागर हो तुम,
जो घर आँगन को रोशन करती,
नारी सूरज की सुनहरी किरण हो तुम.

नारी ममता का सम्मान हो तुम,
नारी संस्कारों की जान हो तुम,
स्नेह, प्यार और त्याग की,
नारी इकलौती पहचान हो तुम.

नारी कभी कोमल फूल गुलाब हो तुम,
नारी कभी शक्ति के अवतार हो तुम,
तेरे रूप अनेक,
नारी ईश्वर का चमत्कार हो तुम.


महिला दिवस कविता | Women’s Day Poem 2

कौन कहता हैं

कौन कहता हैं
कि नारी कमज़ोर होती है,
आज भी उसके हाथ में
अपने सारे घर को चलाने की डोर होती है.

वो तो दफ्तर भी जाती हैं,
और अपने घर परिवार को भी संभालती हैं,
नारी ही तो जीवन को खूबसूरत बनाती हैं,
गम में भी खुशियाँ लुटाती हैं.

अब हौसला बन तू उस नारी का
जिसने ज़ुल्म सहके भी तेरा साथ दिया,
तेरी ज़िम्मेदारियों का बोझ भी
ख़ुशी से तेरे संग बाट लिया.

चाहती तो वो भी कह देती,
मुझसे नहीं होता,
उसके ऐसे कहने पर,
फिर तू ही अपने बोझ के तले रोता.


औरत पर कविता | Womens Day Poem 3

मैं औरत हूँ

दिलों में बस जाए वो मोहब्बत हूँ,
कभी बहिन, कभी ममता की मूरत हूँ.
मेरे आँचल में हैं से चाँद सितारे,
माँ के क़दमों में बसी एक जन्नत हूँ.

हर दर्द-ओ-ग़म को छुपा लिया सीने में,
लब पे ना आये कभी वो हसरत हूँ,
मेरे होने से ही है यह कायनात जवान,
ज़िन्दगी की बेहद हसीं हकीकत हूँ.

हर रूप रंग में ढल कर सवर जाऊं,
सब्र की मिसाल, हर रिश्ते की ताकत हूँ,
अपने हौसले से तक़दीर को बदल दूँ,
सुन ले ऐ दुनिया, हाँ मैं औरत हूँ.


महिला दिवस कविता | Women’s Day Poem 4

दुनिया की पहचान है,औरत
दुनिया पर एहसान है औरत
हर घर की जान है औरत
बेटी, माँ ,बहन, पत्नी बनकर
घर-घर की शान है औरत
न समझो इसको तुम कमजोर कभी
ये है रिश्तो की डोर


नारी पर कविता | Womens Day Poem 4

धन्य हो तुम माँ सीता

धन्य हो तुम माँ सीता,
तुमने नारी का मन जीता,
बढाया था तुमने पहला कदम,
जीवन भर मिला तुम्हें बस गम.

पर नई राह तो दिखला दी,
नारी को आज़ादी सिखला दी,
तोडा था तुमने इक बंधन,
और बदल दिया नारी जीवन.

तुमने ही नव-पथ दिखलाया,
नारी का परिचय करवाया,
तुमने ही दिया नारी को नाम,
हे माँ तुझे मेरा प्रणाम
मर्याद और सम्मान है औरत.


आज की नारी पर कविता

आज की नारी, हां आज की नारी
शिक्षा ने दी है इन्हें खूब समझदारी,
कर रही है सुनहरे भविष्य की तैयारी
हर क्षेत्र में पड़ रही है सब पर भारी।

शिक्षा जगत में छा रही है आज की नारी,
खेलों में रुतबा दिखा रही है आज की नारी,
अच्छों को धूल चटा रही है आज की नारी,
खुद को सबला बता रही है आज की नारी।

बेवजह किसी से रखती बैर नहीं,
जुल्म करने वालों की अब खैर नहीं,
नारी अपने अधिकारों को जानती है,
जो समाज में सही है उसे ही मानती है.

कमा भी रही है रोटी पका भी रही है,
खुद को आत्मनिर्भर बना भी रही है,
बड़े-बड़े बिज़नेस को चला भी रही है,
आज की नारी इतिहास बना रही है.

नारी ममता की सुंदर मूरत है,
नारी त्याग और प्रेम की सूरत है,
नारी के बिना यह सृष्टि नहीं चलेगी
नारी घर-घर की जरूरत है.


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