महिला सशक्तिकरण पर निबन्ध | Women Empowerment Essay in Hindi

Women Empowerment Essay in Hindi ( वीमेन एम्पावरमेंट एस्से ) – एक महिला अपने आप में सम्पूर्ण है. महिला के अंदर सृजन, पोषण, और परिवर्तन की ताकत है. भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति की अवधारणा अनंत काल से मौजूद रही है. प्राचीन काल से देवी माँ की विभिन्न स्वरूपों में पूजा होती आई है – पूर्वी भारत में दुर्गा और काली, केरल में महिषासुर मर्दिनी और भगवती आदि. उन्हें हमेशा शक्ति का प्रतीक माना गया हैं. माना जाता है कि वे उन कार्यों को पूरा करने में सक्षम है, जो पुरूष नहीं कर सकते.

हालांकि, यह तस्वीर का एक पहलू है. दूसरी तरफ, महिलाओं की स्थिति चुनौतीपूर्ण है. परिवार के फैसले में भूमिका की बात तो दूर, वे अपनी जिन्दगी जीने के लिए भी आवाज नहीं उठा पाती हैं. महिलायें अपनी जिन्दगी में पुरूषों के आधीन रही हैं. उनकी आकांक्षाओं को इतना महत्वपूर्ण नहीं माना जाता था कि उसे प्रोत्साहित किया जाए. माँ, पत्नी और बेटी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों के पालन में उन्हें तमाम कठिनाइयों से सामना करना पड़ता है.

हाल के वर्षों में महिलाओं के जीवन के रूप में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है. आधुनिक महिला अब घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं है. महिलाएं हर तरह से अपनी क्षमता और उपयोगिता को महसूस कर रही हैं. साथ ही, वे घर और कार्य स्थल दोनों जगहों पर लैंगिक समानता और न्याय की मांग कर रही हैं. उन्होंने तकरीबन हर क्षेत्र में बाधाओं को दूर किया है. चाहे तकनीक का क्षेत्र हो या अन्तरिक्ष विज्ञान, खेल या सेना, सभी जगहों पर महिलाएं अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. देश के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में हर पांचवी महिला उद्यमी है.

इस बदलाव को लाने में हाल के वर्षों में सरकार ने अहम भूमिका निभाई है. गर्भ में पल रही कन्या शिशु से लेकर कार्य स्थल पर कामकाजी महिलाओं तक की सुरक्षा की जरूरत को महसूस करते हुए कई कदम उठाये गये हैं. महिलाओं का सशक्तिकरण सरकार का अहम एजेंडा है. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना ( Pradhan Mantri Matritva Vandana Yojana ) जैसी स्कीम गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती हैं. एक और अहम कदम के तहत मातृत्व लाभ क़ानून में बदलाव कर कामकाजी महिलाओं के लिए 26 हफ्ते के वैतनिक मातृत्व अवकाश का प्रावधान किया गया है. बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ ( Beti Bachao, Beti Padhao Yojana ) और सुकन्या समृद्धि योजना ( Sukanya Samriddhi Account ) जैसे कार्यक्रम बच्चियों को भ्रूण हत्या का शिकार बनने से बचाने से लेकर लड़कियों की शिक्षा और वित्तीय सुरक्षा तक निश्चित करते है. एक स्वस्थ महिला ही सशक्तिकरण से जुड़ी हो सकती है. आयुष्मान भारत कार्यक्रम, राष्टीय पोषण मिशन, उज्ज्वला योजना आदि भारतीय महिलाओं के स्वास्थ और पोषण सम्बन्धी जरूरतों का ख्याल रखती हैं.

उद्यमिता विकास कार्यक्रमों से महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद मिली है. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ( Pradhan Mantri Mudra Yojana ), स्टैंड-अप इण्डिया ( Standup India ), स्टार्ट-अप इंडिया ( Startup India ) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ( National Rural Livelihood Mission ) के तहत स्वयंसहायता समूह योजना जैसी योजनाओं ने महिलाओं को वित्तीय रूप से सुरक्षित और स्वतंत्र बनाने में सहायता की है.

महिला सशक्तिकरण के एजेंडे में सभी जगहों पर महिलाओं की सुरक्षा का मामला बेहद महत्वपूर्ण है. कार्य स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ क़ानून, ऑनलाइन शिकायत प्रणाली, 181 हेल्प लाइन, पैनिक बटन आदि चीजें सशक्तिकरण यात्रा में महिलाओं की सुरक्षा करने के लिए तैयार हैं. तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के विकास में बड़ी बाधा रही है. इस प्रथा को खत्म करने के लिए तीन तलाक बिल को पहले ही लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी हैं.

देश की कुल आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी तकरीबन 50% है. ऐसे में महिलाओं के सशक्तिकरण ( Empowerment of Women ) के बिना विकास की यात्रा सम्भव नही हो सकती. देश को नई राह पर ले जाने के लिए बहुस्तरीय संगठित रवैये के साथ महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता हैं.

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