Women Empowerment in Hindi ( Indian women winning medal in Olympics ) – महिला सशक्तिकरण का ही यह परिणाम है कि महिलायें खेलों में शानदार प्रदर्शन कर रहीं हैं. खेल के साथ-साथ महिलायें अन्य क्षेत्रों में भी अपने हुनर को आजमा रही हैं और सफलता को भी प्राप्त कर रहीं हैं.
इस पोस्ट में कुछ कुछ ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारतीय महिलाओं के बारें में दिया गया हैं, जो अपने हुनर का छाप पूरे विश्व में छोड़ चुकी हैं.
कर्णम मल्लेश्वरी | Karnam Malleswari
ओलंपिक इतिहास में पहली भारतीय महिला विजेता होने का श्रेय कर्णम मल्लेश्वरी को जाता हैं. 2000 के सिडनी ओलंपिक खेलों में कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग में पहली बार भारतीय महिला के तौर पर पदक जीता था. तब उन्होंने कुल 240 किलो भार उठाया था. 2004 एथेंस ओलंपिक में हिस्सा लेने के बाद उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया. आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम में पैदा हुई कर्णम मल्लेश्वरी ने 12 साल की उम्र से ही भारोत्तोलन कस अभ्यास शुरू कर दिया था.
साइना नेहवाल | Saina Nehwal
साइना नेहवाल ने 2012 लन्दन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर देश को गर्व महसूस कराया. वो बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला बनीं. 2015 में साइना नेहवाल बैडमिंटन में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी भी बनी. वो अब भी खेल रही है.
मैरी कॉम | Mary Kom
तीन बच्चों की माँ मैरी कॉम ने 2012 बीजिंग ओलंपिक में 51 किलो के वर्ग की मुक्केबाजी में ओलंपिक पदक जीता. कई अन्य अन्तराष्ट्रीय प्रतियोगिताओ में भी उन्होंने कई स्वर्ण पदक अपने नाम किये हैं. उन्हें “सुपरमॉम” के नाम से भी जाना जाता है. पांच बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी मैरी कॉम अकेली ऐसी महिला मुक्केबाज है जिन्होंने अपनी सभी छः वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पदक जीता हैं.
साक्षी मलिक | Sakshi Malik
हरियाणा की साक्षी मलिक ने जब कुश्ती की शुरूआत की तो उनके गाँव में काफी ऐतराज किया गया. जब उन्होंने वर्ष 2016 में रियो ओलंपिक में कुश्ती के लिए कांस्य पदक जीता तब उसी गाँव में जश्न का माहौल था. साक्षी ने 58 किलो फ्री स्टाइल श्रेणी में कांस्य पदक अपने नाम किया. कुश्ती में वो ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनी.
पी. वी. सिंधु | Pusarla Venkata Sindhu (P. V. Sindhu)
रियो ओलंपिक 2016 के खेलों में भारतीय खेलों को नया स्टार मिला. जिसका ना पीवी सिंधु है. उन्होंने बैडमिंटन में रजत पदक जीता. वह ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थी. सिंधु के घर और बैडमिंटन अकादमी में 56 किलोमीटर की दूरी है लेकिन वह हर रोज अपने निर्धारित समय पर अकादमी पहुँचती हैं. दुनिया में बैडमिंटन की तकरीबन सभी बड़ी प्रतियोगिताए वो जीत चुकी हैं.
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