सौरभ मिश्रा हिन्द की जीवनी | Saurabh Mishra Hind Biography in Hindi

Saurabh Mishra Hind Biography in Hindiसौरभ मिश्रा ‘हिन्द’ एक युवा कवि और लेखक है जिनकी रचनाएं दिल को छू लेती है. सौरभ मध्यप्रदेश के रीवा जिले के हनुमना के समीप एक छोटे से गांव मुर्तिहा के निवासी है. यह वही प्रदेश है जो अटल बिहारी वाजपेयी, राहत इंदौरी, निदा फ़ाज़ली, माखनलाल चतुर्वेदी जैसे कई बड़े कवियों की जन्म भूमि रही है.

Saurabh Mishra Hind Biography in Hindi

सौरभ मिश्रा ‘हिन्द’ जी का जन्म 17 नवम्बर, 1994 को हुआ. हिंदी माह के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी तिथि ( बैकुंठ चतुर्दशी ) के दिन गुरुवार को हुआ. सौरभ जी के पिता का नाम – सी.पी.मिश्रा व माता का – शीला मिश्रा है. सौरभ जी मध्यवर्गी ब्राह्मण परिवार से है व संघर्ष मय जीवन के ये एक उदाहरण रहे हैं. इन्होंने हायरसेकंडरी शिक्षा के बाद कम्प्यूटर डिप्लोमा व साहित्य, संगीत का विशेष अध्ययन किया। सौरभ जी का बचपन से ही साहित्य व अध्यात्म में विशेष लगाव रहा. इनके ईष्ट कवि “गोस्वामी तुलसीदास जी” रहे.

बचपन से ही इनका आर्मी की औऱ एक विशेष लगाव रहा किन्तु दुर्घटना से पैर में चोट आ जाने से आर्मी में जाने से असफल हो इन्होंने हिंदी साहित्य की और अपना रुख मोड़ा व युवा कवि के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई।

लेखन विधा

कविताएं, गीत, दोहे, चौपाइयां, स्तुति, बन्दन, प्रसंग, भक्ति के पद, जीवनगाथा व शायरी.

भाषा

ब्रज भाषा, अवधी भाषा, बघेली भाषा, हिंदी, संस्कृत, उर्दू व मिश्रितभाषा आदि.

सौरभ जी को कई साहित्य संस्था व महाकवि सम्मेलनो में कई बड़े सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है.

सम्मान

काव्य सम्मान, युवा कवि सम्मान, उजेश साहित्य सम्मान, काव्यश्री सम्मान, साहित्य गौरव सम्मान व काव्य रत्न सम्मान.

उपलब्धि

दूरदर्शन मध्यप्रदेश ( DD MP ) में इंटरव्यू ( साक्षात्कार ), अन्य news चेनलों में प्रस्तुति, रेडियो में विशेष प्रसारण, उजेश नामक साक्षा काव्य में तीन रचनाएँ चयनित हो प्रकाशित, कई समाचार पत्रिकाओं में रचनाएं सम्पादित, नेशनल क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो द्वारा समाजहित रचनाएँ आमंत्रित, कईमहामंचों में काव्य पाठ व अब तक 150 से भी ज्यादा स्वरचित रचनाएँ.

सौरभ मिश्रा ‘हिन्द’ जी की कुछ पक्तियां

सपना अगर बड़ा है, तो हजार मोड़ आएगा
अरे अभी तो ये शुरूआत है, अभी और आएगा
हँस रही है मुझपर, या है जीत पर अपनी उछल रही
ऐ हार ! तेरा तो सिर्फ वक्त आया है, हमारा दौर आएगा


कभी किसी के आटोग्राफ के लिए मत दोड़ो,
दौड़ना ही है तो उस ओर दोड़ो
कि दुनिया तुम्हारे ऑटोग्राफ के लिए दौड़े.


छुपाए हैं आंसुओ का समुन्दर
मगर मेरी आँख मुझे रोने नही देती,
फ़र्क इतना है जवानों के और मेरे इश्क़ में,
वो रात में जगते है वतन के लिए
और मुझे मेरी मातृभूमि की ये हालत सोने नही देती।


भूल जो हो जाए, तो उसे स्वीकारना जरूरी है ,
लड़ाई जब अपनों से हो, तो हारना जरूरी है ।
और बात जब आ जाय, मान और चरित्र की ,
तो स्वाभिमान भी जरूरी है, हा अभिमान भी जरूरी है ।।


सम्पर्क

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