Jo Chaho Vo Milta Kyon Nahi Hai ? – मनुष्य के इच्छाओ की कोई सीमा नही है। एक इच्छा पूरी होती है तो दूसरी इच्छा जन्म ले लेती है। यह क्रम चलता रहता है। इंसान की बहुत सी इच्छाएं पूरी होती है लेकिन बहुत सी इच्छाएं नही पूरी होती है, जो पूरी नही होती है उसे पूरा करने की चाह तीव्र होती चली जाती है। फिर मन में ख्याल आता है, कि जीवन जो चाहा वही नही मिला।
अगर कोई चीज आप चाहते है और आपको नही मिलता है तो इसे सकारात्मक रूप में लेना चाहिए। हो सकता है कि ईश्वर ने आपको वही दिया है जो आपके लिए अच्छा है। उदाहरण के लिए एक बच्चा आग देखकर उसे छूना चाहता है लेकिन उसके माता-पिता बच्चे और आग में दूरी बना देते है। ताकि बच्चा जल ना जाएं। बच्चा कई बार प्रयास करता है और फिर रोने लगता है। जिद करने लगता है लेकिन बच्चे को माँ-बाप आग छूने नही देते है। ठीक उसी प्रकार ईश्वर भी करता है।
एक बहुत पुरानी कहावत है – “जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलेगा”। ये कहावतें अनुभव पर आधारित होती है। आपकी जितनी बड़ी चाहत होगी, आपको उतना ही बड़ा कर्म करना होगा। आपका अधिकार केवल कर्म पर है, फल प्रकृति के हाथ में होता है। उदाहरण के लिए एक आम के बाग के सभी पेड़ों को खाद, पानी, उचित संरक्षण और देखभाल की गई लेकिन कुछ पेड़ के आम फलों से लद जाते है जबकि कुछ पेड़ में एक भी आम नही होता है।
अगर मनुष्य की सारी इच्छाएं पूरी हो जाएं तो जीवन का सार (आनन्द) खत्म हो जाएगा। इसलिए कुछ इच्छाएं अधूरी होनी भी जरूरी है। सारी इच्छाएं पूरी होने लगेंगी तो कर्म करने का आनन्द मनुष्य नही ले पायेगा। जीवन बड़ा ही नीरस हो जाएगा। प्रकृति ( ईश्वर ) ने जैसा बनाया है, उसकी में जीवन का रस है। उसी में आनंद है। ज्यादा सोचकर खुद को परेशान ना करें। जीवन का आनन्द ले, मुस्कुराकयें और पूरी दुनिया में मुस्कुराहट बिखेरे।
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