Politics Shayari | राजनीति पर शायरी

हम “आह” भी करते हैं तो हो जाते हैं “बदनाम”,
वो “कत्ल” भी करते हैं तो “चर्चा” नहो होती…


तमाम उम्र हम एक दुसरे से लड़ते रहे,
मगर मरे तो बराबर में जा के लेट गये.


भारत पर जो हमला करते नापाकी हथियार से,
ऐसे कुत्ते लाकर टाँगो सात समंदर पार से !


दुश्मन तो खोद निकलेंगे हम सात समन्दर पार से !
लेकिन कैसे बच पायेंगे अपने घर के गद्दार से !!


जो मातृभूमि की जय कहते सकुचाते
मजहब को मुल्क से ऊपर बतलाते
नमक देश का खााते दुश्मन गुण गाते
ऐसे गद्दारों पे कुत्ते भी तो शरमाते.


बन सहारा बे-सहारो के लिये,
बन किनारा बे-किनारो के लिये,
जो जीये अपने लिये तो क्या जीये,
जी सके तो जी हज़ारो के लिये.


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