Amrita Pritam Biography in Hindi | कवयित्री अमृता प्रीतम की जीवनी

Amrita Pritam Biography in Hindi – भारतीय हिंदी साहित्य के सर्वोच्च सम्मान “ज्ञानपीठ पुरस्कार” से सम्मानित अमृता प्रीतम ( Amrita Pritam ) एक भारतीय लेखिका और कवयित्री थी. इन्होंने अपने लेख हिंदी और पंजाबी भाषा में लिखे हैं. इन्हें पंजाब राज्य की प्रथम मुख्य महिला कवयित्री के रूप में भी जाना जाता हैं.

अमृता प्रीतम एक ऐसी लेखिका थी जिनकी रचनाओं का अनुवाद विश्व की 34 भाषाओं में हुआ है. इसके साथ ही साथ कई भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद किया जा चुका हैं. इनकी रचनाओं में कविता संग्रह, उपन्यास, निबन्ध, कहानी तथा आत्मकथा हैं. इनकी कई कहानियों पर आधारित टीवी सीरियल बने और उपन्यास पर आधारित फ़िल्में भी बनी. पिंजर फ़िल्म इन्हीं के उपन्यास पर आधारित हैं.

अमृता प्रीतम का जीवन परिचय | Amrita Pritam Biography in Hindi

नाम – अमृता कौर ( Amrita Kaur )
प्रसिद्ध नाम – अमृता प्रीतम ( Amrita Pritam ) ( शादी के बाद )
जन्मतिथि – 31 अगस्त, 1919
जन्म स्थान – गुजराँवाला जिला, पंजाब, भारत (इस समय यह स्थान पकिस्तान में है)
माता का नाम – राज बीबी ( Raj Bibi )
पिता का नाम – करतार सिंह हितकारी ( Kartar Singh Hitkari )
व्यवसाय – लेखिका, कवयित्री
राष्ट्रीयता – भारतीय
उल्लेखनीय कार्य – पिंजर (उपन्यास), आज आखां वारिस शाह नु (कविता)
पुरस्कार – पद्मश्री, पद्म भूषण, भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादेमी अवार्ड
मृत्युतिथि – 31 अक्टूबर, 2005 (उम्र 86)
मृत्यु स्थान – दिल्ली, भारत

अमृता कौर का जन्म 31 अगस्त, सन् 1919 ई. में गुजराँवाला जिला, पंजाब में हुआ था. इनके पिता का नाम करतार सिंह हितकारी और माता का नाम राज बीबी था. इनकी माता एक स्कूल अध्यापिका थी और इनके पिता एक लेखक और ब्रज भाषा के विद्वान् थे. इनके पिता सिख धर्म के प्रचारक भी थे. माँ का देहांत हो गया जब अमृता की उम्र मात्र 11 वर्ष थी जिसके कारण ये बिल्कुल अकेली पड़ गई थी. इसके बाद अमृता और इनके पिता लाहौर चले गये और वहाँ सन् 1947 तक रहें.

अमृता प्रीतम की व्यक्तिगत जीवन | Amrita Pritam Personal Life Information in Hindi

16 वर्ष की उम्र में, सन् 1935 ई. में अमृता कौर का विवाह प्रीतम सिंह से हुआ. इसके बाद अमृता कौर ने अपना नाम बदल कर अमृता प्रीतम कर लिया. सन् 1960 ई. में अमृता ने अपने पति को छोड़ दिया और कवि साहिर लुधिंवी के प्रति हो रहे अपने आकर्षण को अपनी आत्मकथा “रसीदी टिकट” में भी लिखा.

कुछ समय पश्चात इनकी मुलाक़ात कलाकार और लेखक इमरोज से हुई. अमृता प्रीतम ने अपने जीवन के आखिरी 40 वर्ष इमरोज के साथ ही बिताएं. अमृता ने जितना जीवन इमरोज के साथ बिताया उस पर आधारित एक पुस्तक भी लिख गई जिसका नाम है – अमृता इमरोज : ए लव स्टोरी.

अमृता प्रीतम की रचनाएँ एवं कृतियाँ | Amrita Pritam Works

अमृता जी ने अपने पूरे जीवन में लगभग 100 से अधिक किताबें लिखी होंगी जिनमे 28 उपन्यास, 18 एंथोलॉजी, 5 लघु कथाएँ, बहुत सी कवितायेँ और अन्य लेख शामिल हैं.

उपन्यास | Novel

  1. डॉक्टर देव
  2. पिंजर
  3. आह्लणा
  4. आशू
  5. इक सिनोही
  6. बुलावा
  7. बंद दरवाज़ा
  8. रंग दा पत्ता
  9. इक सी अनीता
  10. चक्क नम्बर छत्ती
  11. धरती सागर ते सीपियाँ
  12. दिल्ली दियाँ गलियाँ
  13. एकते एरियल
  14. जलावतन
  15. यात्री
  16. जेबकतरे
  17. अग दा बूटा
  18. पक्की हवेली
  19. अग दी लकीर
  20. कच्ची सड़क
  21. कोई नहीं जानदाँ
  22. उनहाँ दी कहानी
  23. इह सच है
  24. दूसरी मंज़िल
  25. तेहरवाँ सूरज
  26. उनींजा दिन ( उनचास दिन )
  27. कोरे कागज़
  28. हरदत्त दा ज़िंदगीनामा

आत्मकथा | Autobiography

  • रसीदी टिकट
  • शैडो ऑफ़ वर्ड्स

लघु कथाएँ | Short Stories

  • कहानियाँ जो कहानियाँ नही
  • कहानियों के आँगन में
  • स्टेंच ऑफ़ केरोसिन

काव्य | Poetry

  • लोक पीड़
  • मैं जमा तू
  • लामियाँ वतन
  • कस्तूरी
  • सुनहुड़े

कहानी संग्रह | Story collection

  • हीरे दी कनी
  • लातियाँ दी छोकरी
  • पंज वरा लंबी सड़क
  • इक शहर दी मौत
  • तीसरी औरत

गद्य कृतियाँ | Prose works

  • किरमिची लकीरें
  • काला गुलाब
  • अग दियाँ लकीराँ
  • इकी पत्तियाँ दा गुलाब, सफ़रनामा
  • औरतः इक दृष्टिकोण
  • इक उदास किताब
  • केड़ी ज़िंदगी केड़ा साहित्य
  • इक हथ मेहन्दी इक हथ छल्ला
  • मुहब्बतनामा
  • कड़ी धुप्प दा सफ़र
  • अज्ज दे काफ़िर

अमृता प्रीतम पुरस्कार एवं सम्मान | Amrita Pritam Awards

1956 – साहित्य अकादमी पुरस्कार
1969 – पद्म श्री
1982 – भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार
1988 – बल्गारिया वैरोव पुरस्कार (पंजाब सरकार द्वारा)
2000 – शताब्दी सम्मान
2004 – पद्म विभूषण

अमृता प्रीतम की मृत्यु | Amrita Pritam Death

अमृता प्रीतम को पंजाबी कविता “अज्ज आखाँ वारिस शाह नूँ ” के लिए बहुत प्रसिद्धी प्राप्त हुई. इनका साहित्य में अद्भुत योगदान है. 31 दिसम्बर, सन् 2005 ई. में एक लम्बी बीमारी के वजह से नींद में ही मौत हो गई. उनके लेखन की कला ने उनका नाम अमर कर दिया.

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