Mahadevi Verma Biography in Hindi – हिंदी साहित्य के छायावादी युग के साहित्यकर्मियों में महादेवी वर्मा का स्थान अविस्मरणीय हैं. उनकी वेदना भरी कविताओं के कारण उन्हें ‘आधुनिक युग‘ की ‘मीरा‘ कहा जाता हैं. कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ ने उन्हें “हिंदी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा हैं. इन्हें हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं. अन्य तीन कवियों के नाम इस प्रकार हैं – जयशंकर प्रसाद ( Jaishankar Prasad ), सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ( Suryakant Tripathi ‘Nirala’ ) और सुमित्रानन्दन पन्त ( Sumitranandan Pant ).
महादेवी वर्मा की जीवनी | Mahadevi Verma Biography in Hindi
नाम – महादेवी वर्मा ( Mahadevi Verma )
जन्मतिथि – 26 मार्च, 1907
जन्मस्थान – फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
शिक्षा – प्रयाग विश्वविद्यालय
माता का नाम – हेमरानी
पिता का नाम – गोविन्द सहाय वर्मा
पति का नाम – श्री स्वरूप नारायण वर्मा
कार्यक्षेत्र – अध्यापक, लेखक
राष्ट्रीयता – भारतीय
भाषा – हिंदी
काल – आधुनिक काल
विधा – गद्य एवं पद्य
प्रमुख रचना – यामा कविता संग्रह
मृत्युतिथि – 11 सितम्बर, 1987
मृत्युस्थान – इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 ई. में में, उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद नगर में हुआ था. इनकी माता का नाम हेमरानी तथा पिता का नाम गोविन्द सहाय वर्मा था. महादेवी वर्मा के मानस बंधुओं में सुमित्रानंदन पंत एवं निराला का नाम लिया जा सकता है, जो उनसे जीवन पर्यन्त राखी बँधवाते रहे. निराला जी से उनकी अत्यधिक निकटता थी, उनकी पुष्ट कलाइयों में महादेवी जी लगभग चालीस वर्षों तक राखी बाँधती रहीं.
महादेवी वर्मा की शिक्षा और करियर | Mahadevi Verma Education and Career
महादेवी जी ने प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की. बाद में वे ‘प्रयाग महिला विद्यापीठ ( Prayag Mahila Vidyapith )‘ की प्राचार्या नियुक्त हुई. उन्होंने बाद में वहीं पर कुलपति पद को भी सुशोभित किया. महादेवी वर्मा बौद्ध धर्म में दीक्षा लेकर बौद्ध-भिक्षुणी बनना चाहती थी, किन्तु गांधी जी के सम्पर्क में आने के बाद उनकी प्रेरणा से वे समाज-सेवा के कार्य में लग गई. शिक्षा तथा साहित्य के क्षेत्र में उनकी सेवायें अभूतपूर्व थी. इन्होंने ‘चाँद’ पत्रिका का सम्पादन भी किया. सन् 1956 ई. में उन्होंने ‘साहित्य अकादमी‘ की स्थापना के प्रयास से अकथनीय योगदान दिया. इनकी साहित्यिक सेवाओं को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें विधान-परिषद् का सदस्य भी मनोनीत किया था.
महादेवी वर्मा का वैवाहिक जीवन | Marriage life of Mahadevi Verma
महादेवी वर्मा का विवाह बरेली के पास नबाव गंज कस्बे के निवासी श्री स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ, जो उस समय दसवीं कक्षा के विद्यार्थी थे. महादेवी वर्मा को विवाहित जीवन से विरक्ति थी. कारण कुछ भी रहा हो पर श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कोई वैमनस्य नहीं था. सामान्य स्त्री-पुरुष के रूप में उनके सम्बंध मधुर ही रहे. दोनों में कभी-कभी पत्राचार भी होता था. यदा-कदा श्री वर्मा इलाहाबाद में उनसे मिलने भी आते थे. उन्होंने जीवन भर श्वेत वस्त्र पहना, तख्त पर सोईं और कभी शीशा नहीं देखा.
महादेवी वर्मा जी की कविताये | Mahadevi Verma poems
महादेवी वर्मा जी की प्रमुख रचनाएँ और उनकी कृतियाँ इस प्रकार हैं.
पद्य संग्रह (कविता संग्रह)
- नीहार (1930)
- रश्मि (1932)
- नीरजा (1934)
- संध्यागीत (1936)
- दीपशिखा (1939)
- अग्निरेखा (1990, उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित)
गद्य संग्रह
- अतीत के चलचित्र
- स्मृति के रेखाएं मेरा परिवार
- पथ के साथी
- श्रृंखला की कड़ियाँ
महादेवी वर्मा जी के पुरस्कार | Mahadevi Verma Awards
- महादेवी वर्मा के काव्य संग्रह “यामा” के लिए इन्हें 1982 में ‘भारतीय ज्ञानपीठ‘ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
- 1988 में महादेवी जी के मरणोपरान्त भारत सरकार ने उन्हें “पद्म विभूषण” पुरस्कार से सम्मानित किया.
- 1991 में, सरकार ने उनके सम्मान में, कवि जयशंकर प्रसाद के साथ उनका एक “2 रूपये” का युगल टिकट भी चलाया गया था.
महादेवी वर्मा की साहित्यिक विशेषताएँ | Mahadevi Verma’s Literary Features
महादेवी जी के काव्य और गद्यपरक साहित्य में मानवतावादी धारा का प्रवाह सर्वत्र है. वे करूणा व भावना की देवी हैं. उनके साहित्य में जहाँ दीं-हीन मानवता का भावनामय अंकन हैं, वहीं निरीह पशु-पक्षियों के साथ मानवीय सम्बन्धो की अभिव्यक्ति अतुलनीय हैं. रेखाचित्रो में उनका गद्य कौशल देखते ही बनता है. उनके ‘नीलकंठ मोर‘, ‘गौरा गाय‘, ‘सोना हिरनी‘ आदि रेखाचित्र अपने में अनोखे हैं. इनका गद्य वैचारिक गम्भीरता से युक्त है, फिर भी उसमें काव्य सा लालित्य है. उनके द्वारा रचित काव्य में रहस्यवाद, वेदना एवं सूक्ष्म अनुभूतियों के कोमल एवं मर्मस्पर्शी भाव व्यक्त हुए हैं. इन्होने अनेक सरस गीतों की रचना की हैं. बौद्धों के दुःखमय तथा करूणावाद का इन पर बहुत प्रभाव हैं.
महादेवी वर्मा की भाषा शैली | Mahadevi Verma Language Style
महादेवी जी ने अपने काव्य में, विशेषरूप से गीतों में सरल व स्निग्ध, तत्समप्रधान खड़ीबोली का प्रयोग किया हैं. माधुर्य गुण के कारण इनकी भाषा लयपूर्ण हो गयी हैं. इनके काव्य भावानुकूल और भावनात्मक गीति शैली में हैं, जिनमें कोमलांत पदावली, लाक्षणिकता और संगीतात्मक है. इनके काव्य में अलंकारों का चयन छायावादी है.
महादेवी वर्मा की बेहतरीन कवितायेँ | Mahadevi Verma Poems
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