Suryakant Tripathi ‘Nirala’ Biography in Hindi – ‘निराला’ जी अपने नाम के अनुसार निराले व्यक्तित्व एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. स्वाभिमान और आत्म-गौरव उनके व्यक्तित्व की विशेषताएँ थी. सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं. ‘निराला’ जी की ख्याति का श्रेय इनकी कविता को जाता हैं. इन्होंने कहानियाँ, उपन्यास और निबन्ध भी लिखे हैं.
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की जीवनी | Suryakant Tripathi ‘Nirala’ Biography in Hindi
नाम – सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ ( Suryakant Tripathi ‘Nirala’ )
उपनाम – निराला ( Nirala )
जन्म – 21 फ़रवरी, 1899
जन्म स्थान – मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल, भारत
मृत्यु – 14 अक्टूबर, 1961
मृत्यु स्थान – इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
व्यवसाय – कवि, लेखक
लेखन भाषा – हिंदी
लेखन विधा – गद्य एवं पद्य
माता –
पिता – पंडित रामसहाय तिवारी
पत्नी – मनोहरा देवी
पुत्र – रामकृष्ण
पुत्री – सरोज
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी का जन्म बंगाल में 21 फ़रवरी, 1899 ई. में हुआ था. इनके पिता ( मेदिनीपुर, बंगाल, भारत में ) सिपाही की नौकरी करते थे. इनके पिता मूल रूप से उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले की गढ़ाकोला नामक गाँव की निवासी थे. ‘निराला’ जी का बचपन का नाम सूर्जकुमार था जिसे बाद में बदलकर सूर्यकान्त कर लिया.
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ से सम्बन्धित अन्य तथ्य | Other Interesting Facts related to Suryakant Tripathi ‘Nirala’
- उनका सारा जीवन आर्थिक-संघर्ष में बीता, प्रथम महायुद्ध के बाद जो महामारी फैली उसमें इन्होने अपनी पत्नी मनोहरा देवी चाचा, भाई और भाभी को खो दिया. ‘निराला’ जी ने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपने सिद्धान्त को नहीं छोड़ा. संघर्ष और साहस उनकी जिन्दगी का अहम हिस्सा था.
- सूर्यकान्त त्रिपाठी जी जब मतवाला पत्रिका के सम्पादक बने तो उनके नाम के साथ उपनाम ‘निराला जोड़ दिया.
- 1911 ई. में मनोहरा देवी से मात्र 14 वर्ष की आयु में इनका विवाह हुआ. इनकी दो संताने थी.
- ‘निराला’ जी की पहली कविता ‘जूही की कली’ 1916 ई. में प्रकाशित हुई.
- इनका पहला कविता संग्रह “अनामिका” 1923 में प्रकाशित हुआ.
- ‘निराला’ जी का अंतिम काव्य संग्रह “सांध्य काकली” हैं.
- “पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ हैं” यह ‘निराला’ जी की अंतिम कविता हैं.
प्रकाशित कृतियाँ | Published works
काव्यसंग्रह
- अनामिका (1923 ई.)
- परिमल (1930 ई.)
- गीतिका (1936 ई.)
- तुलसीदास (1938 ई.)
- कुकुरमुत्ता (1942 ई.)
- अणिमा (1943 ई.)
- बेला (1946 ई.)
- नये पत्ते (1946 ई.)
- अर्चना(1950 ई.)
- आराधना (1953 ई.)
- गीत कुंज (1954 ई.)
- सांध्य काकली (1969 ई.)
उपन्यास
- अप्सरा (1931 ई.)
- अलका (1933 ई.)
- प्रभावती (1936 ई.)
- निरुपमा (1936 ई.)
- कुल्ली भाट (1938-39 ई.)
- बिल्लेसुर बकरिहा (1942 ई.)
- चोटी की पकड़ (1946 ई.)
कहानी संग्रह
- लिली (1934 ई.)
- सखी (1935 ई.)
- सुकुल की बीवी (1941 ई.)
- चतुरी चमार (1945 ई.)
निबन्ध-आलोचना
- रवीन्द्र कविता कानन (1929 ई.)
- प्रबंध पद्म (1934 ई.)
- प्रबंध प्रतिमा (1940 ई.)
- चाबुक (1942 ई.)
- चयन (1957 ई.)
- संग्रह (1963 ई.)
पुराण कथा
- महाभारत (1939 ई.)
- रामायण की अन्तर्कथाएँ (1956 ई.)
बालोपयोगी साहित्य
- भक्त ध्रुव (1926 ई.)
- भक्त प्रहलाद (1926 ई.)
- भीष्म (1926 ई.)
- महाराणा प्रताप (1927 ई.)
- सीखभरी कहानियाँ (1969 ई.)
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