राधा कृष्णा पर कविता | Radha Krishna Poem in Hindi

Radha Krishna Poem Kavita Poetry in Hindi – इस आर्टिकल में राधा कृष्णा की कविता दी गई है. इन कविताओं को युवा कवियों के द्वारा लिखा गया है. आशा करते है आप इन कविताओं और रचनाओं को जरूर पसंद करेंगे।

राधा कृष्णा पर कविता

कुमारी कविता के द्वारा यह कविता/रचना लिखी गई है जो कि लखनऊ में रहती है.इनकी रचनाओं को आप हमारे वेबसाइट पर पढ़ सकते है. आशा करता हूँ आपको कुमारी कविता की रचनाएँ जरूर पसंद आएँगी।

राधा से कृष्ण कभी बिछड़े नही,
कृष्ण तो राधा के रोम-रोम में है।

जो अपने भक्तों को नहीं भूलते
वो प्राणप्रिये राधा को कैसे भूल जाएंगे,
अगर प्यार से राधा आज भी बुला ले
तो श्याम सब कुछ छोड़कर आएंगे।

राधा से कृष्ण कभी बिछड़े नही,
कृष्ण तो राधा के रोम-रोम में है।

पवित्र प्रेम ने ही राधा को कृष्ण से मिलाया,
प्रेम ने ही इस सृष्टि को दुष्टों से बचाया,
कृष्णा से कई नाम जुड़े जो याद नहीं आती है
प्रेम के कारण ही राधा पूजी जाती है।

राधा से कृष्ण कभी बिछड़े नही,
कृष्ण तो राधा के रोम-रोम में है।

राधा कहो तो आधा लगता है,
कृष्णा कहो तो भी आधा लगता है,
दोनो एक दूसरे के बिना अधूरे है
राधा-कृष्ण बोलो तभी लगते पूरे है।

राधा से कृष्ण कभी बिछड़े नही,
कृष्ण तो राधा के रोम-रोम में है।

राधा ने कृष्णा को याद नहीं किया,
क्योंकि कभी भूल ही नहीं पाई,
कृष्णा के प्यार में यूँ डूब गई
कि सारी उम्र इंतजार में बिताई।

कविता कुमारी


Radha Krishna Poem

सौरभ मिश्रा हिन्द एक बेहतरीन युवा कवि है जिनकी कविता/ रचना नीचे दी गई है. आशा करता हूँ कि आपको सौरभ मिश्रा हिन्द की कविता जरूर पसंद आएगी।

Radha Krishna Poem
Radha Krishna Poem | राधा कृष्णा पर कविता

हाथन में हाथ लिए, नैनन से नैन मिले ,
राधा कृष्ण की जोड़ी मन को लुभाने लगी ।
सुधबुध बिसराए सारी, नैनन में धार कारी ,
प्रेम जोड़ी प्रेम की परिभाषा समझाने लगी ।।

बरसाने वाली को दीवानो भयो हाय चोर ,
दिशाएं भी प्रेम भर, प्रेम गीत गाने लगी ।
बासुरी की धुन सुन, राधिका हुई रे मुग्ध ,
ऋतुएँ भी बन्दन कर सुमन बरसाने लगी ।।

– सौरभ मिश्रा हिन्द


Radha Krishna Poem in Hindi

वेद प्रकाश वेदांत भी एक युवा कलमकार है. इनकी कविता/ रचना नीचे दी गई है. आशा करता हूँ कि आपको वेद प्रकाश वेदांत की कविता पसंद आएगी।

दीप जलाये बैठी राधा
कब आओगे श्याम बताओ
मन के तारे टूट रहे हैं
कब होगा दीदार बताओ ।

उम्मीदों की सजी है महफ़िल
है विश्वास मुझे तुम आओगे
इस दीवाली अंतर्मन में
प्रेम का दीप जलाओगे ।

वक्त वक्त के साथ है
पर तुम मेरे न साथ हो
इस दीवाली उपहार यही दो
तेरे हाँथो में मेरा हाथ हो ।

याद बहुत आते हो कान्हा
नैना तरसी है दीदार को
बोलो विरह में कैसे कोई
मनाए इस त्योहार को ।

बोलो कबतक तड़पाओगे
पाती भेजो कब आओगे
आकर राधा की बाहों में
फिर दूर नहीं तो जाओगे ।

यह स्वर्णिम दिन तन्हा न गुज़रे
दीपों की चमक न खो जाये
इसके पहले ही आ जाना मोहन
ये नैना न विरह में रो जाये ..।।

वेद प्रकाश वेदान्त


राधा-कृष्णा का नाम लेते ही हृदय प्रेम से भर जाता है. दुनिया में सिर्फ यही एक नाम है जो इतना सुकून और सुखद अनुभूति देता है. आज भी हमारे गाँवों जब लोग मिलते है तो कहते है – “राधे-राधे“। मुझे ऐसा लगता है कि राधा-कृष्णा के प्रेम का पूर्ण वर्णन कोई विद्वान या ज्ञानी नहीं कर सकता है.

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