कृष्णा कोट्स हिंदी में | Krishna Quotes in Hindi

भगवान् श्री कृष्ण की महिमा और इनकी लीलाएँ विविध हैं, भगवान् श्री कृष्ण का जीनव मानव समाज को सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता हैं. भगवान् श्री कृष्ण को जिसभी रूप में देखा जाए उस रूप में मानव और विश्व कल्याण की ही बात करते हैं.

श्रेष्ठ कृष्णा कोट्स हिंदी में | Best Krishna Quotes in Hindi

मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया मन से मिटा दो फिर सब तुम्हारा हैं और तुम सबके हो.

भूत और भविष्य में नही, जीवन तो इस पल में हैं अर्थात वर्तमान का अनुभव ही जीवन हैं.

तू करता वही हैं, जो तू चाहता हैं, होता वही है जो मैं चाहता हूँ, तू वही कर जो मैं चाहता हूँ फिर होगा वही, जो तू चाहता हैं.

जो मन को नियंत्रित नही करते उनके लिए वह शत्रु के सामान कार्य करता हैं.

खुशियों में तो सब साथ होते हैं, असली दोस्त वही हैं जो दुःख में साथ दे.

सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति को कभी भी सुख नही मिल सकता.

मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता हैं, जैसा वह विश्वास करता हैं, वैसा वह बन जाता हैं.

जानने की शक्ति झूठ को सच से पृथक करने वाली जो विवेक बुद्धि हैं, उसी का नाम ज्ञान हैं.

परिवर्तन ही संसार का नियम हैं.

क्रोध से भ्रम पैदा होता हैं, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती हैं तब तर्क नष्ट हो जाता हैं जब तर्क नष्ट होता हैं तब व्यक्ति का पतन हो जाता हैं.

मन अशांत हो तो उसे नियंत्रित करना कठिन हैं लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता हैं.

तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नही हैं, और फिर भी ज्ञान की बातें करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं.

खाली हाथ आये हो और खाली हाथ जाना हैं इसलिए व्यर्थ की चिंता छोड़कर व्यक्ति को हमेशा सद्कर्म करना चाहिए.

जिसे तुम अपना समझ कर मग्न हो रहे हो बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखो का कारण हैं.

कृष्ण के जीवन से सीख

  1. कृष्ण को पूरा बृज प्यार और सम्मान करता था क्योकि वो दूसरों की मदद करते थे और दूसरो के दुखो को भी दूर करते थे. प्रत्येक व्यक्ति अपनी यथा शक्ति दूसरों की मदद जरूर करनी चाहिए.
  2. कृष्ण पृथ्वी से दुष्टों का, बुराईयों का नाश किया और मानव को सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. उन्होंने मानव समाज को सीख दे अच्छे कर्म का फल हमेशा अच्छा ही होता हैं और बुरे कर्म का फल हमेशा बुरा ही होता हैं.
  3. कृष्ण ने दुष्टों को भी अपनी गलती सुधारने का मौका दिया क्योकि वो किसी मनुष्य को नही उसके अंदर के बुराई को मारना चाहते थे.
  4. कृष्ण ने द्रोपदी के सम्मान की रक्षा के लिए एक बार बुलाने पर स्वयं आ गये क्योकि जब वीरों से भरा समाज किसी स्त्री की रक्षा करने में असमर्थ होता हैं तो भगवान् को स्वयं ही आना पड़ता हैं.
  5. भगवान् कृष्ण ने जैसे ही जाना अपने मित्र सुदामा की गरीबी को तो वो तीनों लोक अपने मित्र के नाम कर दिया. मित्र को लेने नंगे पाँव घर के बाहर आये और अपनी गद्दी पर बिठाकर उनका सम्मान किया. मानव समाज के लिए उनकी मित्रता एक मिसाल हैं.

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