भगवान श्री कृष्णा से सीखे 10 सफलता के मन्त्र | 10 Success Mantras Learned From Lord Shri Krishna

10 Success Mantras Learned From Lord Shri Krishna in Hindi – भगवान श्री कृष्णा का जीवन चमत्कार, साहस, बुद्धिमत्ता, दर्शन और ज्ञान से भरा हुआ है. प्रभु कृष्णा के बारे में सभी लोग जानते है लेकिन उनके चरित्र को बहुत कम लोग है जो अपने जीवन में उतार पाते है. जो लोग उनके चरित्र को अपने जीवन में उतार पाते है. वे लोग सफलता जरूर पाते है.

भगवान श्री कृष्णा से सीखे 10 सफलता के मन्त्र

अगर आपका मन बेचैन, निराश और अकर्म की तरफ बढ़ रहा हो तो एक बार “गीता” को जरूर पढ़े. इस पोस्ट में कुछ ज्ञान गीता से लिया गया है तो कुछ ज्ञान कृष्ण के जीवन से लिया गया है. आशा करता हूँ कि आपको यह लेख जरूर पसंद आएगा।

#1 युद्ध या झगड़े से बचे

महाभारत के युद्ध से पहले श्री कृष्णा दुर्योधन के पास संधि का प्रस्ताव लेकर जाते है ताकि युद्ध को टाला जा सके. लेकिन मूर्ख दुर्योधन ने उनकी एक ना सुनी। अंततः युद्ध हुआ. युद्ध हो या झगड़ा इसमें दोनों पक्ष का नुकसान होता है. किसी कम नुकसान होता है तो किसी का ज्यादा नुकसान होता है. महाभारत में दोनों तरफ के लोग मारे गए थे.

आप अपने आस-पास देखे तो पाएंगे कि जो लोग ज्यादा झगड़ा या विवाद करते है. वे अशिक्षित और असफलता के शिकार है. जो लोग सफल है या सफलता के लिए प्रयासरत है. वे फिजूल के झगड़े और विवाद से बचने का प्रयास करते है. बुध्दिमान व्यक्ति भी झगड़े और विवाद से बचने का प्रयास करता है. झगड़ा आपके सफलता के मार्ग को अवरूद्ध करता है.

#2 कला प्रेमी

भगवान श्री कृष्णा बांसुरी बजाते थे और उन्हें नृत्य भी करने आता था. कोई भी कला व्यक्ति के हृदय को प्रसन्न करता है. जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए ह्रदय का प्रसन्न रहना अति आवश्यक है. क्योंकि प्रसन्नता से किया कार्य ही सबसे उत्तम और सबसे सुंदर होता है. इसलिए हर व्यक्ति को कोई-ना-कोई कला जरूर आनी चाहिए।

#3 धर्म के मार्ग पर चलना या ईमानदार होना

भगवान श्रीकृष्णा ने हमेशा धर्म का पालन किया है और सत्य का साथ दिया है. सत्य और ईमानदारी का मार्ग कठिन जरूर होता है लेकिन आपको यह शक्ति और ज्ञान प्रदान करता है. आज के दौर का उदाहरण ले तो जीवन में वो लोग जरूर सफल हुए है जो अपने कार्य को ईमानदारी और परिश्रम से किये है. झूठ की उम्र छोटी होती है. सत्य कभी नहीं मरता है.

#4 क्रोध पर नियंत्रण

आपने जरूर सुना होगा कि – क्रोध ( Anger ) करने से बुद्धि का नाश होता है. और जिसकी बुद्धि का नाश हो जाए वो इंसान पशु समान होता है. कई बार क्रोध में व्यक्ति ऐसा कार्य कर देते है जिसका पछतावा जीवन भर होता है. जिस व्यक्ति को अपने जीवन का उद्देश्य पता है और उस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दिन रात प्रयासरत है. उसे क्रोध दिलाने पर भी क्रोध नहीं आएगा। आपका क्रोध सफलता प्राप्ति के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है.

#5 कर्म के फल का ज्ञान

इंसान के हाथ में सिर्फ कर्म करने का अधिकार है. उसके परिणाम या फल पर कोई नियंत्रण नहीं है. इसलिए बिना फल की चिंता किये इंसान को अपना कर्म करना चाहिए। बहुत से लोग किसी कार्य को करने से पहले ही मान लेते है कि यह बड़ा कठिन है. इसका परिणाम नकारात्मक होगा और उस कार्य को नहीं करते है. और फिर कुछ वर्ष बाद देखते है कि उनसे काम बुद्धिमान व्यक्ति बड़े ही कुशलता से उस कार्य को कर रहा है. उस समय बड़ा ही अफ़सोस और आत्मग्लानि होती है. आपके कर्म में इतनी शक्ति होनी चाहिए कि ईश्वर आपके इच्छा के अनुसार फल देने को मजबूर हो जाएँ।

#6 सच्चा प्रेम होना

राधा-कृष्णा का प्रेम कितना पवित्र और सच्चा है. हम सभी जानते है क्योंकि उनका प्रेम ( Love ) आत्मिक और आध्यात्मिक था. सच्चे प्रेम से जीवन में ख़ुशी और उत्साह बढ़ता है जो आपको सफल बनाने में मदत करता है. आज के दौर में ज्यादातर व्यक्ति को अपने स्वार्थ से प्रेम है इसलिए वह प्रेम में निराशा, असफलता, दुःख, पीड़ा, उदासी, अकेलापन आदि प्राप्त करता है. जिनका प्रेम सच्चा होता है उन्हें सुख और सफलता प्राप्त होती है.

#7 मन पर नियंत्रण

मन पर इंसान का नियंत्रण होना आवश्यक है क्योंकि मन बड़ा ही चंचल होता है. चंचल मन या अनियंत्रित मन शत्रु के समान कार्य करता है. ऐसा कहा जाता है कि जो मन को जीत सकता है वो इस दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है. जो व्यक्ति मन को अपने नियंत्रण में रखता है उसे सफलता भी जल्दी ही प्राप्त होती है.

उदाहरण के लिए अगर आपकी इच्छा महँगी कार में घूमने की है तो पहला तरीका है परिश्रम और ईमानदारी से खुद को उस योग्य बनाये और कार को खरीदे। इसमें समय लगेगा और यह तभी सम्भव होगा जब मन आपके नियंत्रण में हो. अगर मन आपके नियंत्रण में नहीं होगा तो आप कार को जल्द से जल्द प्राप्त करना चाहेंगे और इसके लिए गलत मार्ग का चुनाव करेंगे जो बाद में आपके दुःख और पछतावे का कारण बनेगा।

#8 तनाव से मुक्ति

तनाव और चिंता मनुष्य के पुरषार्थ को नष्ट करता है. इसलिए व्यक्ति को जीवन में तनाव मुक्त होना चाहिए। तनाव और चिंता ही असफलता का कारण बनता है. ज्यादातर वही लोग तनाव ( Stress ) में रहते है जो बुरे कर्म करते है. ईमानदारी और सत्य के मार्ग पर चलने वाले ज्यादातर व्यक्ति तनाव मुक्त होते है. उनके हृदय में प्रसन्नता और उत्साह होता है जो उन्हें सफल बनाता है.

#9 दूरदर्शिता का होना

अगर आप कृष्णा लीला या महाभारत को देखेंगे तो श्री कृष्णा की दूरदर्शिता ( Farsightedness ) के बारे में जान पाएंगे। महाभारत में समस्या उतपन्न होने से पहले ही उसके समाधान का उपाय सोच लेते है. यह श्रीकृष्णा की दूरदर्शिता ही थी जिसकी वजह से पांडव मुट्ठी भर सेना लेकर विजयी हुए. वैसे ही हर व्यक्ति को दूरदर्शी होना चाहिए। दूरदर्शिता आपके आत्मविशास और उत्साह को बढ़ाता है. यह सफलता प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है.

#10 रणनीति का होना

अगर आपको अपने जीवन में सफल होना है तो सफल की एक रणनीति बनानी होगी। क्योंकि बिना किसी रणनीति या स्ट्रेटेजी के कार्य करना मुश्किल हो जाता है. और सफलता प्राप्त करना ज्यादा मुश्किल हो जाता है. श्री कृष्णा की रणनीति ( Strategy ) की वजह से ही महाभारत के युद्ध में कौरव विजयी हुए थे.

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