अंकिता सिंह शायरी | Ankita Singh Shayari

अंकिता सिंह शायरी | Ankita Singh Shayari – इस आर्टिकल में अंकिता सिंह की शायरी दी गई है. इन बेहतरीन शायरी को जरूर पढ़े. आपको ये शायरी, मुक्तक जरूर पसंद आएंगे।

आज मैं यूट्यूब पर डॉ. कुमार विश्वास की कुछ वीडियो देख रही थी. तभी मुझे अंकिता सिंह की एक वीडियो मिली जिसे सुनकर मैं अंकिता जी के बारे में लिखने से खुद को रोक नहीं पाई. उनकी शायरी, मुक्तक, गीत दिल को छू गई. एक लड़की को विदेशी भूमि पर कविता पाठ करते देखकर मुझ जैसी लाखों लड़कियों को उत्साह और प्रेरणा मिलती है. मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है आप यूँ ही गाती और मुस्कुराती रहे…

यह अंकिता सिंह की पहली मुक्तक है –

कभी देता है ये खुशियाँ कभी दिल तोड़ देता है,
ये जीवन भी अनोखी सी कहानी जोड़ देता है,
न कोसो इस कदर तुम मुश्किलों से हार के इसको,
कि हर इक मोड़ पर सीखें बड़ी बेजोड़ देता है|
अंकिता सिंह


अंकिता सिंह शायरी

अंकिता सिंह शायरी
अंकिता सिंह शायरी | Ankita Singh Shayari

बहुत चाहा मगर जज़्बात की आँधी नहीं रुकती!
हमारे दिल पे जो चलती है वो आरी नहीं रूकती
तुम्हारे बिन हमारी रात के बस दो ही क़िस्से हैं
कभी हिचकी नहीं रूकती कभी सिसकी नहीं रूकती !
अंकिता सिंह


वो जिसपर उसकी रहमत हो वो दौलत मांगता है क्या
मोहब्बत करने वाला दिल मोहब्बत मांगते है क्या
तुम्हारा दिल कहे जब भी उजाला बन के आ जाना
कभी उगता हुआ सूरज इज़ाज़त मांगता है क्या
अंकिता सिंह


सागरतल तक कितने पहुँचे?
कितनों ने नापा पर्वत को ?
कितने देख रहे थे बादल
पर कुछ ही पढ़ पाये ख़त को !
अंकिता सिंह


नसीब का है जो मालिक उसे भुला पहले
तभी नसीब के तेरे सितारे जागेंगे!
जो पाँव बरसों तलक बेड़ियों में जकड़े हों
थके भी हों तो रिहाई पे तेज़ भागेंगे!
अंकिता सिंह


Ankita Singh Shayari

Ankita Singh Shayari Hindi
Ankita Singh Shayari Hindi | अंकिता सिंह शायरी हिंदी

दर्द पासे के जैसा पलट जाएगा
छोड़ कर जाएगा फिर लिपट जाएगा
प्यार गर घट गया वक़्त के साथ तो
दर्द भी वक़्त के साथ घट जाएगा !
अंकिता सिंह


तमन्ना की इकाई अगर दहाई में बदल जाएँ,
पहाड़े सा मेरा जीवन रूबाई में बदल जाएँ,
तुम अपने अंक में ले लो तो मेरा शून्य सा जीवन
सफलता की किसी स्वर्णिम इकाई में बदल जाएँ।
अंकिता सिंह


Ankita Singh Shayari in Hindi

Ankita Singh Shayari in Hindi
Ankita Singh Shayari in Hindi | अंकिता सिंह शायरी इन हिंदी

साँस के गीत को साँस गुन ले अगर
आँख की सीप से अश्रु चुन ले अगर
प्रेम का पूर्ण संवाद हो जाएगा
मौन ने जो कहा मौन सुन ले अगर !
अंकिता सिंह


तुम्हारी ज़िन्दगी में प्यार का सैलाब हो जाते
तुम्हारे मन के पतझड़ में भी हम शादाब हो जाते
हमारा बस नहीं चलता,अगर चलता तो ये करते
तुम्हारी नींद में घुलकर तुम्हारा ख़्वाब हो जाते !
अंकिता सिंह


Ankita Singh Shayari in Urdu

कई बार दिल के स्लेट पर मेरे आंसुओ ने गजल लिखी
वो करीब मेरे रहा मगर कभी उसने मुझे पढ़ा ही नहीं।
अंकिता सिंह


Ankita Singh Ke Geet in Hindi

अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूँ,
मैं तुमको याद करती हूँ ,
हाँ तुमको याद करती हूँ ,
मैं रोना मुस्कुराना हाय दोनों साथ करती हूँ.

यहीं सोफे पर बैठे सात अम्बर घूम आती हूँ,
तुम्हारा नाम चखती हूँ नशे में झूम जाती हूँ ,
कहां हूं मैं जहां मेरी खबर मुझ तक नहीं आती,
क्या मेरी गुमशुदी की ये खबर तुम तक नहीं जाती,
गली दिल की तुम्हारी याद से आबाद करती हूँ,
अकेले बैठकर तुमको जब कभी मैं याद करती हूँ.

तेरा जाना मेरी आंखों में प्यासे ख्वाब बोता है,
तेरा तकिया लिपटकर मुझसे सारी रात सोता है,
तेरी खुशबू मेरी सांसों की गलियों में टहलती हैं,
बड़ी कमबख्त हैं ये याद आखों में पिघलती हैं,
मैं सारी रात सोना जागना एक साथ करती हूँ,
अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूँ.

तेरी बातों के फूलों से गजल मखदूम करती हूँ,
मैं चुपके से तेरी डीपी को जब भी जूम करती हूँ,
तेरी फूंके हुए सिगरेट में अक्सर राख होती हूँ,
तेरी लत में कभी धुआं कभी मैं मै खाक होती हूँ,
मैं अपने जख्म पर अश्कों की खुद बरसात करती हूँ,
अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूँ,
मैं तुमको याद करती हूं, हां तुमको याद करती हूँ,
मैं रोना मुस्कुराना हाय दोनों साथ करती हूँ.

अंकिता सिंह


अंकिता सिंह की शायरी

अंकिता सिंह की शायरी
अंकिता सिंह की शायरी | Ankita Singh Ki Shayari

वक़्त को दरकिनार करती हूँ
ख़ुद पे मैं ऐतबार करती हूँ
जो मेरा इंतज़ार करता था
उसका मैं इंतज़ार करती हूँ !
Ankita Singh


ख़्वाब से भर लिया आँख को इस क़दर
अब किसी कोर में नीर टिकता नहीं !
अंकिता सिंह


अंकिता सिंह मुक्तक

अंकिता सिंह मुक्तक
अंकिता सिंह मुक्तक

देह से आत्मा तक सँवारा नहीं
आज तक यूँ किसी ने दुलारा नहीं
क्यों न आऊँ तुम्हारे बुलाने से मैं
इस तरह तो किसी ने पुकारा नहीं।
Ankita Singh


हजारों बादलों का दिल हुआ पानी बहुत मचला
हिमालय धूप के आग़ोश में आकर नहीं पिघला
घुला चंदा घुला सूरज घुली सौ रूप की किरणें
मगर इस झील के पानी ने अपना रंग नहीं बदला।
अंकिता सिंह


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