अज़हर इक़बाल शायरी | Azhar Iqbal Shayari

Azhar Iqbal Shayari in Hindi Urdu English – इस आर्टिकल में अज़हर इक़बाल की शायरी दी गई है. कुछ शायरी इनकी गजल से लिए हुए है. इन्हें रेख़्ता के मंच पर मैं इक बार लाइव सुन चूका हूँ. बहुत ही बेहतरीन शायर है. आसान और मासूम शब्दों से बड़े सादगी साथ जिंदगी की हकीकत को बयाँ करते है. मुझे उर्दू की बहुत ज्यादा समझ नहीं है लेकिन Azhar Iqbal सादगी से भरे एक बेहतरीन शायर है. इनकी यही सादगी इनके शायरी में भी नजर आती है.

Azhar Iqbal Shayari in Hindi

Azhar Iqbal Shayari in Hindi
Azhar Iqbal Shayari in Hindi | अज़हर इक़बाल शायरी इन हिंदी

गाली को प्रणाम समझना पड़ता है,
मधुशाला को धाम समझना पड़ता है,
आधुनिक कहलाने की अंधी जिद में
रावण को भी राम समझना पड़ता है
अज़हर इक़बाल


हो गया आपका आगमन नींद में,
छू कर गुजरी जो पवन मुझको नींद में
मुझको फूलों की वर्षा में नहला गया
मुस्कुराता हुआ इक गगन नींद में
कैसे उद्धार होगा मेरे देश का
लोग करते है चिंतन मनन नींद में
अज़हर इक़बाल


Azhar Iqbal Shayari in Urdu

Azhar Iqbal Shayari in Urdu
Azhar Iqbal Shayari in Urdu | अज़हर इक़बाल शायरी इन उर्दू

नींद आएगी भला कैसे उसे शाम के बा’द
रोटियाँ भी न मयस्सर हों जिसे काम के बा’द
Azhar Iqbal


घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए
मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए
Azhar Iqbal


ये कैफ़ियत है मेरी जान अब तुझे खो कर
कि हम ने ख़ुद को भी पाया नहीं बहुत दिन से
Azhar Iqbal


अज़हर इक़बाल शायरी

अज़हर इक़बाल शायरी
अज़हर इक़बाल शायरी | Azhar Iqbal Shayari

इतना संगीन पाप कौन करे,
मेरे दुःख पर विलाप कौन करे,
चेतना मर चुकी है लोगो की
पाप पर पश्चाताप कौन करे.
– अज़हर इक़बाल


जब भी उसकी गली में भ्रमण होता है,
उसके द्वार पर आत्मसमर्पण होता है,
किस किस से तुम दोष छुपाओगे अपने
प्रिये अपना मन भी दर्पण होता है
– अज़हर इक़बाल


अज़हर इक़बाल उर्दू शायरी

अज़हर इक़बाल उर्दू शायरी
अज़हर इक़बाल उर्दू शायरी | Azhar Iqbal Urdu Shayari

न जाने ख़त्म हुई कब हमारी आज़ादी
तअल्लुक़ात की पाबंदियाँ निभाते हुए
अज़हर इक़बाल


एक मुद्दत से हैं सफ़र में हम
घर में रह कर भी जैसे बेघर से
अज़हर इक़बाल


फिर इस के बाद मनाया न जश्न ख़ुश्बू का
लहू में डूबी थी फ़स्ल-ए-बहार क्या करते
अज़हर इक़बाल


Azhar Iqbal Shayari

Azhar Iqbal Shayari
Azhar Iqbal Shayari | अज़हर इक़बाल शायरी

वो एक पक्षी जो गुंजन कर रहा है,
वो मुझमे प्रेम सृजन कर रहा है,
बहुत दिन हो गये है तुमसे बिछड़े
तुम्हें मिलने को अब मन कर रहा है
नदी के शांत तट पर बैठकर मन
तेरी यादें विसर्जन कर रहा है.
अज़हर इक़बाल


हुआ ही क्या जो वो हमे मिला नहीं
बदन ही सिर्फ एक रास्ता नहीं
यह पहला इश्क़ है तुम्हारा सोच लो
मेरे लिए ये रास्ता नया नहीं।
मैं दस्तकों पर दस्तकें दिया गया
मगर वो एक दर कभी खुला नहीं
अज़हर इक़बाल


Azhar Iqbal Shayari in English

Gali Ko Pranam Samajhna Padta Hai,
Madhushala Ko Dham Samajhna Padta Hai,
Aadhunik Kahalane Ki Andhi Jid Me
Ravan Ko Ram Samajhna Padta Hai.
Azhar Iqbal 


Itna Sangeen Paap Kaun Kare,
Mere Dukh Par Vilap Kaun Kare,
Chetna Mar Chuki Hai Logo Ki
Paap Par Pashchatap Kaun Kare.
Azhar Iqbal


अज़हर इक़बाल की गजल

दिल की गली में चाँद निकलता रहता है
एक दिया उम्मीद का जलता रहता है

जैसे जैसे यादों कि लौ बढ़ती है
वैसे वैसे जिस्म पिघलता रहता है

सरगोशी को कान तरसते रहते हैं
सन्नाटा आवाज़ में ढलता रहता है

मंज़र मंज़र जी लो जितना जी पाओ
मौसम पल पल रंग बदलता रहता है

राख हुई जाती है सारी हरियाली
आँखों में जंगल सा जलता रहता है

तुम जो गए तो भूल गए सारी बातें
वैसे दिल में क्या क्या चलता रहता है


Azhar Iqbal Ki Ghazal

घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए
मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए

ये ज़ख़्म ज़ख़्म मनाज़िर लहू लहू चेहरे
कहाँ चले गए वो लोग हँसते गाते हुए

न जाने ख़त्म हुई कब हमारी आज़ादी
तअल्लुक़ात की पाबंदियाँ निभाते हुए

है अब भी बिस्तर-ए-जाँ पर तिरे बदन की शिकन
मैं ख़ुद ही मिटने लगा हूँ उसे मिटाते हुए

तुम्हारे आने की उम्मीद बर नहीं आती
मैं राख होने लगा हूँ दिए जलाते हुए


अजहर इक़बाल शायरी इन हिंदी

ये भ्रामक प्रकाश ये कल्पित दीप उत्सव,
दृष्टिहीन हुए तो ये सब पाया है,
मर्यादा पुरूषोत्तम तो वनवास में है
सन्यासी के भेष में रावण आया है.
अजहर इक़बाल


गुमान है या किसी विश्वास में है,
सभी अच्छे दिनों की आस में है,
ये कैसा जश्न है घर वापसी का
अभी तो राम ही वनवास में है.
अजहर इक़बाल


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