Subhash Chandra Bose Poem 2024 in Hindi | सुभाष चन्द्र बोस पर कविता

Netaji Subhash Chandra Bose Poem 2024 in Hindi – सुभाष चन्द्र बोस देश प्रेम के प्रेरणा का नाम है. आजादी के लिए उनके त्याग, संघर्ष और राष्ट्रभक्ति को मेरा शत-शत नमन है. मेरे आदर्श राष्ट्रभक्तों में नेताजी का सर्वोच्च स्थान है. भारत में कई बार ऐसा हुआ है कि इतिहास चाटुकारिता की शिकार हो गई है. पर सच्चाई छुपती नही है.

मैं बचपन में जब तमाम देशभक्तों के बारे में पढ़ रहा था तब कही-कही थोड़ा सा सुभाष चन्द्र के बारे में पढ़ने को मिलता था. बड़ा दुःख होता था. कि ऐसे देशभक्त के बारे में इतना कम क्यों लिखा जाता है? क्या इससे किसी की महानता पर खतरा मडराने लगता है… पता नही…

आज एक ब्लॉगर होकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के बारे में बहुत थोड़ा सा ही लिखकर मुझे अजीब ख़ुशी मिल रही है. जिसे मैं शब्दों में बयाँ नही कर सकता हूँ. इस आर्टिकल में बेहतरीन लेखको की नेता जी पर बेहतरीन कविता दी गयी है. जरूर पढ़े.

Subhash Chandra Bose Poem in Hindi

गोपाल प्रसाद व्यास की कविता – “खूनी हस्ताक्षर”

Poem on Subhash Chandra Bose in Hindi | Subhash Chandra Poem in Hindi

वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
आ सके देश के काम नहीं।

वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें जीवन, न रवानी है!
जो परवश होकर बहता है,
वह खून नहीं, पानी है!

उस दिन लोगों ने सही-सही
खून की कीमत पहचानी थी।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में
मॉंगी उनसे कुरबानी थी।

बोले, “स्वतंत्रता की खातिर
बलिदान तुम्हें करना होगा।
तुम बहुत जी चुके जग में,
लेकिन आगे मरना होगा।

आज़ादी के चरणें में जो,
जयमाल चढ़ाई जाएगी।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के
फूलों से गूँथी जाएगी।

आजादी का संग्राम कहीं
पैसे पर खेला जाता है?
यह शीश कटाने का सौदा
नंगे सर झेला जाता है”

यूँ कहते-कहते वक्ता की
आंखों में खून उतर आया!
मुख रक्त-वर्ण हो दमक उठा
दमकी उनकी रक्तिम काया!

आजानु-बाहु ऊँची करके,
वे बोले, “रक्त मुझे देना।
इसके बदले भारत की
आज़ादी तुम मुझसे लेना।”

हो गई सभा में उथल-पुथल,
सीने में दिल न समाते थे।
स्वर इनकलाब के नारों के
कोसों तक छाए जाते थे।

“हम देंगे-देंगे खून”
शब्द बस यही सुनाई देते थे।
रण में जाने को युवक खड़े
तैयार दिखाई देते थे।

बोले सुभाष, “इस तरह नहीं,
बातों से मतलब सरता है।
लो, यह कागज़, है कौन यहॉं
आकर हस्ताक्षर करता है?

इसको भरनेवाले जन को
सर्वस्व-समर्पण काना है।
अपना तन-मन-धन-जन-जीवन
माता को अर्पण करना है।

पर यह साधारण पत्र नहीं,
आज़ादी का परवाना है।
इस पर तुमको अपने तन का
कुछ उज्जवल रक्त गिराना है!

वह आगे आए जिसके तन में
खून भारतीय बहता हो।
वह आगे आए जो अपने को
हिंदुस्तानी कहता हो!

वह आगे आए, जो इस पर
खूनी हस्ताक्षर करता हो!
मैं कफ़न बढ़ाता हूँ, आए
जो इसको हँसकर लेता हो!”

सारी जनता हुंकार उठी-
हम आते हैं, हम आते हैं!
माता के चरणों में यह लो,
हम अपना रक्त चढाते हैं!

साहस से बढ़े युबक उस दिन,
देखा, बढ़ते ही आते थे!
चाकू-छुरी कटारियों से,
वे अपना रक्त गिराते थे!

फिर उस रक्त की स्याही में,
वे अपनी कलम डुबाते थे!
आज़ादी के परवाने पर
हस्ताक्षर करते जाते थे!

उस दिन तारों ने देखा था
हिंदुस्तानी विश्वास नया।
जब लिक्खा महा रणवीरों ने
ख़ूँ से अपना इतिहास नया।

– गोपाल प्रसाद व्यास

Poem on Subhash Chandra Bose in Hindi

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस

है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं।
है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं ।।
अक्सर दुनियाँ के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं।
लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, इतिहास बनाया करते हैं ।।

यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है।
जो रक्त कणों से लिखी गई,जिसकी जयहिन्द निशानी है।।
प्यारा सुभाष, नेता सुभाष, भारत भू का उजियारा था ।
पैदा होते ही गणिकों ने जिसका भविष्य लिख डाला था।।

यह वीर चक्रवर्ती होगा , या त्यागी होगा सन्यासी।
जिसके गौरव को याद रखेंगे, युग-युग तक भारतवासी।।
सो वही वीर नौकरशाही ने,पकड़ जेल में डाला था ।
पर क्रुद्ध केहरी कभी नहीं फंदे में टिकने वाला था।।

बाँधे जाते इंसान,कभी तूफ़ान न बाँधे जाते हैं।
काया ज़रूर बाँधी जाती,बाँधे न इरादे जाते हैं।।
वह दृढ़-प्रतिज्ञ सेनानी था,जो मौका पाकर निकल गया।
वह पारा था अंग्रेज़ों की मुट्ठी में आकर फिसल गया।।

जिस तरह धूर्त दुर्योधन से,बचकर यदुनन्दन आए थे।
जिस तरह शिवाजी ने मुग़लों के,पहरेदार छकाए थे ।।
बस उसी तरह यह तोड़ पींजरा , तोते-सा बेदाग़ गया।
जनवरी माह सन् इकतालिस,मच गया शोर वह भाग गया।।

वे कहाँ गए, वे कहाँ रहे,ये धूमिल अभी कहानी है।
हमने तो उसकी नयी कथा,आज़ाद फ़ौज से जानी है।।

– गोपाल प्रसाद व्यास

Subhash Chandra Bose Par Kavita | नेताजी सुभाष चन्द्र बोस कविता हिंदी

वो था सुभाष, वो था सुभाष
वो भी तो खुश रह सकता था
महलों और चौबारों में
उसको लेकिन क्या लेना था
तख्तो-ताज-मीनारों से?
वो था सुभाष, वो था सुभाष
अपनी मां बंधन में थी जब
कैसे वो सुख से रह पाता
रणदेवी के चरणों में फिर
क्यों ना जाकर शीश चढ़ाता?
अपना सुभाष, अपना सुभाष
डाल बदन पर मोटी खाकी
क्यों न दुश्मन से भिड़ जाता
‘जय-हिन्द’ का नारा देकर
क्यों न अजर-अमर हो जाता?
नेता सुभाष, नेता सुभाष
जीवन अपना दांव लगाकर
दुश्मन सारे खूब छकाकर
कहां गया वो, कहां गया वो
जीवन-संगी सब बिसराकर?
तेरा सुभाष, मेरा सुभाष
मैं तुमको आजादी दूंगा
लेकिन उसका मोल भी लूंगा
खूं बदले आजादी दूंगा
बोलो सब तैयार हो क्या?
गरजा सुभाष, बरसा सुभाष
वो था सुभाष, अपना सुभाष
नेता सुभाष, बाबू सुभाष
तेरा सुभाष, मेरा सुभाष
अपना सुभाष, अपना सुभाष।


Netaji subhash chandra bose kavita 2024 in hindi

देखा पूरब में आज सुबह,
एक नई रोशनी फूटी थी।
एक नई किरन, ले नया संदेशा,
अग्निबान-सी छूटी थी॥
एक नई हवा ले नया राग,
कुछ गुन-गुन करती आती थी।
आज़ाद परिन्दों की टोली,
एक नई दिशा में जाती थी॥
एक नई कली चटकी इस दिन,
रौनक उपवन में आई थी।
एक नया जोश, एक नई ताज़गी,
हर चेहरे पर छाई थी॥
नेताजी का था जन्मदिवस,
उल्लास न आज समाता था।
सिंगापुर का कोना-कोना,
मस्ती में भीगा जाता था।
हर गली, हाट, चौराहे पर,
जनता ने द्वार सजाए थे।
हर घर में मंगलाचार खुशी के,
बांटे गए बधाए थे॥
पंजाबी वीर रमणियों ने,
बदले सलवार पुराने थे।
थे नए दुपट्टे, नई खुशी में,
गये नये तराने थे॥
वे गोल बांधकर बैठ गईं,
ढोलक-मंजीर बजाती थीं।
हीर-रांझा को छोड़ आज,
वे गीत पठानी गाती थीं।
गुजराती बहनें खड़ी हुईं,
गरबा की नई तैयारी में।
मानो वसन्त ही आया हो,
सिंगापुर की फुलवारी में॥
महाराष्ट्र-नन्दिनी बहनों ने,
इकतारा आज बजाया था।
स्वामी समर्थ के शब्दों को,
गीतों में गति से गाया था॥
वे बंगवासिनी, वीर-बहूटी,
फूली नहीं समाती थीं।
अंचल गर्दन में डाल,
इष्ट के सम्मुख शीश झुकाती थीं-
प्यारा सुभाष चिरंजीवी हो,
हो जन्मभूमि, जननी स्वतंत्र !
मां कात्यायिनि ऐसा वर दो,
भारत में फैले प्रजातंत्र !!
हर कण्ठ-कण्ठ से शब्द यही,
सर्वत्र सुनाई देते थे।
सिंगापुर के नर-नारि आज,
उल्लसित दिखाई देते थे॥
– गोपालप्रसाद व्यास


सुभाष चंद्र बोस की कविता | Subhash Chandra Bose Ki Kavita in Hindi

दूर देश में किसी विदेशी गगन खंड के नीचे
सोये होगे तुम किरनों के तीरों की शैय्या पर
मानवता के तरुण रक्त से लिखा संदेशा पाकर
मृत्यु देवताओं ने होंगे प्राण तुम्हारे खींचे
प्राण तुम्हारे धूमकेतु से चीर गगन पट झीना
जिस दिन पहुंचे होंगे देवलोक की सीमाओं पर
अमर हो गई होगी आसन से मौत मूर्च्छिता होकर
और फट गया होगा ईश्वर के मरघट का सीना
और देवताओं ने ले कर ध्रुव तारों की टेक –
छिड़के होंगे तुम पर तरुनाई के खूनी फूल
खुद ईश्वर ने चीर अंगूठा अपनी सत्ता भूल
उठ कर स्वयं किया होगा विद्रोही का अभिषेक
किंतु स्वर्ग से असंतुष्ट तुम, यह स्वागत का शोर
धीमे-धीमे जबकि पड़ गया होगा बिलकुल शांत
और रह गया होगा जब वह स्वर्ग देश
खोल कफ़न ताका होगा तुमने भारत का भोर।
– धर्मवीर भारती


Short Poem On Netaji Subhash Chandra Bose

Subhash Chandra Bose Poem Hindi | Best Poem on Bose in Hindi

परमवीर निर्भीक निडर,
पूजा जिनकी होती घर घर,
भारत मां के सच्चे सपूत,
हैं सुभाष चन्द्र बोस अमर।
सन अट्ठारह सौ सत्तानवे,
नेता जी महान थे जन्मे,
कटक ओडिशा की धरती पर,
तेईस जनवरी की शुभ बेला में।
देशभक्तों के देशभक्त,
दूरंदेश थे अति शशक्त,
नारा जय हिन्द का देकर बोले,
आजादी दूंगा तुम देना रक्त।
आजादी की लड़ी लड़ाई,
आजाद हिन्द फ़ौज बनाई,
जन जन को आगे ले आए,
तरुणाई को दिशा दिखाई।
अन्याय कभी न सहना है,
सुलह न उससे करना है,
अपराध है ऐसा कुछ करना,
नेता जी का यह कहना है।
– हरजीत निषाद


Poem On Subhash Chandra Bose In Marathi

त्या रक्ताने काय म्हटले आहे
कोणत्या उकळत्या नाव नाही
त्या रक्ताने काय म्हटले आहे
देशासाठी कार्य करू शकत नाही.


नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर एक छोटी कविता

Netaji Subhash chandra Bose मेरे हीरो, मेरे प्रेरणा रहे है. उन कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूँ. आशा करता हूँ कि आपको पसंद आएगा. उनके बारे में जब सोचता हूँ तो रोम-रोम पुलकित हो जाता हैं.

सुभाष चन्द्र बोस जैसे वीर राष्ट्रभक्त
ये नही सोचते कि उन्हें क्या मिलेगा
वो वही करते है जो राष्ट्र हित के लिए
सबसे उत्तम और उत्कृष्ट हो,
सोचता हूँ वो कैसे भारत माँ के सपूत थे
जो देश को आजाद कराने के लिए अपनी
जान तक दाव पर लगा देते थे…
आज कल के लोगो से ईमानदारी
से अपना काम भी नही होता है
भ्रष्टाचार नसों में खून के साथ बहने लगा है
फिर इस भारत को एक सुभाष चन्द्र बोस
फिर इस भारत को एक नेता जी की जरूरत है
जो फिर आकर एक नारा दे
तुम ईमानदार बनो, भारत को महान मैं बना दूँगा.
जय हो सुभाष चन्द्र बोस की
आप आज भी हमारे हृदय में जिन्दा है
शत-शत नमन भारत के महानायक
आसामान भर आभार आपको हे सुभाष.
दुनियाहैगोल


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