Shaheed Diwas ( Martyrs Day ) Poem Kavita Poetry in Hindi – इस आर्टिकल में शहीद दिवस पर कविता दी गई है. इन बेहतरीन कविताओं को जरूर पढ़े.
भारत में 23 मार्च को मनाया जाता है. 23 मार्च 1931 की मध्यरात्रि को अंग्रेजी सरकार ने भारत के तीन वीर सपूतों – भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फाँसी पर लटका दिया था. भारत के इन वीर शहीदों की चरणों में शत-शत नमन.
Shaheed Diwas Poem in Hindi
है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर
इस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं
है नमन उस देहरी को जिस पर तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं…
हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ
हमसे भिड़ते हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी
सिंह के दाँतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है
है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन
काल कौतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं
लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा, सिन्दूरदानों की व्यथाऒं
देशहित प्रतिबद्ध यौवन के सपन तुमको नमन है
बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनको काल पाकर हुआ पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं
कंचनी तन, चन्दनी मन, आह, आँसू, प्यार, सपने
राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये
कुमार विश्वास
शहीद दिवस पर कविता
मनोज मुंतशिर ( मनोज शुक्ला ) जो विश्व प्रसिद्द गीतकार, कवि, स्क्रिप्ट और पटकथा लेखक है. सरहद पर शहादत से पहले एक सिपाही की आखिरी इच्छा क्या होती है. इसे इस “सिपाही” शीर्षक कविता में मनोज मुंतशिर साहब ने बड़े ही खूबसूरती से बयाँ किया है.
सरहद पे गोली खाके जब टूट जाए मेरी साँस
मुझे भेज देना यारों मेरी बूढ़ी माँ के पास
बड़ा शौक था उसे मैं घोड़ी चढ़ूँ
धमाधम ढोल बजे
तो ऐसा ही करना
मुझे घोड़ी पे लेके जाना
ढोलकें बजाना
पूरे गांव में घुमाना
और मां से कहना
बेटा दूल्हा बनकर आया है
बहू नहीं ला पाया तो क्या
बारात तो लाया है
मेरे बाबूजी, पुराने फ़ौजी, बड़े मनमौजी
कहते थे – बच्चे, तिरंगा लहरा के आना
या तिरंगे में लिपट के आना
कह देना उनसे, उनकी बात रख ली
दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई
आख़िरी गोली भी सीने पे खाई
मेरा छोटा भाई, उससे कहना
क्या मेरा वादा निभाएगा
मैं सरहदों से बोल कर आया था
कि एक बेटा जाएगा तो दूसरा आएगा
मेरी छोटी बहना, उससे कहना
मुझे याद था उसका तोहफ़ा
लेकिन अजीब इत्तेफ़ाक़ हो गया
भाई राखी से पहले ही राख हो गया
वो कुएं के सामने वाला घर
दो घड़ी के लिए वहां ज़रूर ठहरना
वहीं तो रहती है वो
जिसके साथ जीने मरने का वादा किया था
उससे कहना
भारत मां का साथ निभाने में उसका साथ छूट गया
एक वादे के लिए दूसरा वादा टूट गया
बस एक आख़िरी गुज़ारिश
आख़िरी ख़्वाहिश
मेरी मौत का मातम न करना
मैने ख़ुद ये शहादत चाही है
मैं जीता हूं मरने के लिए
मेरा नाम सिपाही है
मनोज मुंतशिर
भगत सिंह पर कविता
फिर भारत भगत सिंह को ढूंढ रहा है,
क्या तुम हो ? हर युवा से पूछ रहा है…
गरीबी, असमानता, अशिक्षा, बेरोजगारी
ऐसी कई चीजें है जिनसे आजादी दिलानी है,
कदम-कदम पर बेईमानी और भ्रष्टाचार है
जिसे फिर किसी भगत सिंह को मिटानी है.
फिर भारत भगत सिंह को ढूंढ रहा है,
क्या तुम हो ? हर युवा से पूछ रहा है…
देश के नेता सरेआम दिन-रात लूट मचाये,
न्याय व्यवस्था को उँगलियों पर नचाये,
जनता को ठगने के नित नये षड्यंत्र रचाये,
इक भगत सिंह चाहिए जो देश को बचाये।
फिर भारत भगत सिंह को ढूंढ रहा है,
क्या तुम हो ? हर युवा से पूछ रहा है…
आईना देखना तो थोड़ा गौर से देखना,
तुम्हारे अंदर भी एक भगत सिंह नजर आएगा,
जिसे मेरा देश भारत ढूँढ़ रहा है
क्या वह भगत सिंह कोई युवा बनकर दिखायेगा।
चक्रधारी पांडेय
Martyrs Day Poem in Hindi
भगतसिंह, राजगुरू और सुखदेव,
को शत-शत नमन हमारा है,
जिनसे लड़कर दुश्मन का
अहंकार भी बुरी तरह से हारा है.
अपनी ताकत दिखाने के लिए
नहीं किसी बेक़सूर को मारा है,
दुश्मन के खेमे में जाकर
वीरों की तरह ललकारा है.
हार गई अंग्रेजी हुकूमत
उनके स्वाभिमान से लड़ नहीं पाई,
वीर तो वीर होते है कहीं भी रहे
जेल में रहकर क्रांति की अलख जलाई।
इन वीर शहीदों के चरणों में
शत-शत नमन हमारा है,
आजादी के लिए जान दे दी
भारत देश प्राणो से प्यारा है.
वीर शहीदों पर कविता | Martyrs Day Poetry in Hindi

भारत माँ का लाल है
सबसे प्यारा भगत सिंह,
तेरे चरणों में झुके बार-बार
शीश ये हमारा भगत सिंह।
वीरता से कैसे लड़ा जाता है
हमे सिखाये है भगत सिंह,
हमारे लहू में देशभक्ति बनकर
नस-नस में समाये है भगत सिंह।
भारत माँ का लाल है
सबसे दुलारा भगत सिंह,
तेरे चरणों में झुके बार बार
शीश ये हमारा भगत सिंह।
युवाओं में जोश बनकर
हर जगह छाये है भगत सिंह,
जो बहुत खुशनसीब होता है
वही बन पाये है भगत सिंह।
शहीदों पर कविता

लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका
कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा
इंकलाब लाएगा,
मैं रहूँ या ना रहूँ पर
ये वादा है मेरा तुमसे
कि मेरे बाद वतन पर
मरने वालों का सैलाब आएगा।
शहीदों के नाम कविता
जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’
Poem on Shaheed Diwas in Hindi
भारत के आजादी के इतिहास में
मुझे एक ही नाम बार-बार सुनाई देता है
भगत सिंह, भगत सिंह, भगत सिंह
जो युवाओं के प्रेरणा बने, जिन्होंने
देशभक्ति की की ललख जगाई,
अंग्रेजों के सामने शेर की तरह दहाड़े
जिनकी दहाड़ आज भी पूरे हिन्दुस्तान
के हर गली हर नगर में गूँजती है.
आशा करता हूँ यह लेख Shaheed Diwas ( Martyrs Day ) Poem Kavita Poetry in Hindi आपको जरूर पसंद आया होगा। इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
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