Deshbhakti Shayari | देश भक्ति शायरी

Deshbhakti Shayari ( देशभक्ति शायरी ) –  स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर पूरे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. इस दिन को झंडा फहराने का कार्यक्रम, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। हम इस दिन अपने कपड़े, सामान, वाहनों और घरों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाकर इस उत्सव को मनाते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ देशभक्ति फिल्में देखते हैं, देशभक्ति के गीत सुनते हैं.

इस दिन के कार्यक्रम में देशभक्ति शायरी ( Deshbhakti Shayari ), देशभक्ति कविता (Deshbhakti Kavita), देशभक्ति गाने ( Deshbhakti Song), देशभक्ति भाषण आदि को देकर अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हैं. नीचे दिए ही देश भक्ति शायरी (Desh Bhakti Shayari ) का आप उपयोग करके अपने भावनाओ को प्रकट कर सकते हैं.

शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो,
होठों पर गंगा हो और हाथों में तिरंगा हो.

देशभक्ति शायरी | Deshbhakti Shayari

लिख रहा हूँ मैं अंजाम, जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा.

Desh Bhakti Hindi Status

दिल से मर कर भी ना निकलेगी वतन की उल्फ़त,
मेरे मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आएगी.

जिसे सींचा लहू से है वो यूँ खो नहीं सकती,
सियासत चाह कर विष बीज हरगिज बो नहीं सकती,
वतन के नाम पर जीना वतन के नाम मर जाना,
शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती.

जो अब तक ना खौला वो खून नही पानी हैं,
जो देश के काम ना आये वो बेकार जवानी हैं.

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैं,
देखना हैं जोर कितन बाजू-ए-कातिल में हैं,
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमां,
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में हैं.

देशभक्ति शायरी हिंदी | Deshbhakti Shayari Hindi Me

लड़ें वो बीर जवानों की तरह,
ठंडा खून फ़ौलाद हुआ,
मरते-मरते भी की मार गिराए,
तभी तो देश आज़ाद हुआ.

किसी को लगता हैं हिन्दू ख़तरे में हैं,
किसी को लगता मुसलमान ख़तरे में हैं,
धर्म का चश्मा उतार कर देखो यारों,
पता चलेगा हमारा हिंदुस्तान ख़तरे में हैं.

है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर,
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं,
है नमन उनको जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं.

Latest Deshbhakti Shayari

उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं,
जब मेहँदी वाले हाथों ने मंगल-सूत्र उतारे हैं.

कुछ पन्ने इतिहास के
मेरे मुल्क के सीने में शमशीर हो गएँ,
जो लड़े, जो मरे वो शहीद हो गएँ,
जो डरे, जो झुके वो वजीर हो गएँ.

चिंगारी आजादी की सुलगी मेरे जश्न में हैं,
इन्कलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में हैं,
मौत जहाँ जन्नत हो ये बात मेरे वतन में हैं,
कुर्बानी का जज्बा जिन्दा मेरे कफन में हैं.

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