शाकाहारी पर कविता | Poem on Vegetarian in Hindi

Poem on Vegetarian in Hindi – इस आर्टिकल में शाकाहारी पर कविता और शाकाहार पर कविता दी गयी है। बहुत से ऐसे लोग होते है जो बचपन से ही शाकाहारी होते है। बहुत से लोग एक निश्चित उम्र के बाद शाकाहारी हो जाते है। अगर आप भी शाकाहारी होना चाहते है तो खुद को तर्क के द्वारा संतुष्ट करिये कि शाकाहार को अपनाने में लाभ है। शाकाहार से शरीर स्वस्थ्य रहता है। बिना जिम किये भी इंसान फिट रहता है।

जब इंसान का शाकाहार आहार होता है तो अच्छी उसकी मानसिकता और व्यवहार भी होता है। शाकाहारी होने में जीवन की आध्यात्मिकता छुपी हुई है। हर जीव के प्रति दया का भाव छुपा हुआ है। दया का भाव एक ईश्वरीय गुण है। शाकाहारी होने में गांधी जी की अहिंसा छुपी हुई है।

Poem on Vegetarian in Hindi

गर्व था भारत-भूमि को
कि महावीर की माता हूँ,
राम-कृष्ण और नानक जैसे
वीरो की यश गाथा हूँ।
कंद-मूल खाने वालों से
मांसाहारी डरते थे,
“पोरस” जैसे शूर-वीर को
नमन “सिकंदर” करते थे।

चौदह वर्षों तक
खूँखारी वन में जिसका धाम था,
मन-मन्दिर में बसने वाला
शाकाहारी राम था।
चाहते तो खा सकते थे
वो मांस पशु के ढेरो में,
लेकिन उनको प्यार मिला
“शबरी” के झूठे बेरो में।

मक्खन चोर मुरारी थे
शत्रु को चिंगारी थे,
चक्र सुदर्शन धारी थे
गोवर्धन पर भारी थे,
मुरली से वश करने वाले
“गिरधर” शाकाहारी थे।

करते हो तुम बातें कैसे
“मस्जिद-मन्दिर-राम” की?
खूनी बनकर लाज लूट ली
हमने उनके नाम की।

पर-सेवा पर-प्रेम का
परचम चोटी पर फहराया था,
निर्धन की कुटिया में जाकर
जिसने मान बढाया था,
सपने जिसने देखे थे
मानवता के विस्तार के,
नानक जैसे महा-संत थे
वाचक शाकाहार के।

उठो जरा तुम पढ़ कर देखो
गौरव-मयी इतिहास को,
आदम से गाँधी तक फैले
इस नीले आकाश को,
प्रेम-त्याग और दया-भाव की
फसल जहाँ पर उगती है,
सोने की चिड़िया न लहू में
सना बाजरा चुगती है।

दया की आँखे खोल देख लो
पशु के करुण क्रंदन को,
इंसानों का जिस्म बना है
शाकाहारी भोजन को,
अंग लाश के खा जाए
क्या फ़िर भी वो इंसान है?
पेट तुम्हारा मुर्दाघर है
या कोई कब्रिस्तान है?

आँखे कितना रोती हैं
जब उंगली अपनी जलती है,
सोचो उस तड़पन की हद
जब जिस्म पे आरी चलती है,
बेबसता तुम पशु की देखो
बचने के आसार नही,
जीते जी तन काटा जाए,
उस पीड़ा का पार नही,
खाने से पहले बिरयानी
चीख जीव की सुन लेते,
करुणा के वश होकर
तुम भी गिरि-गिरनार को चुन लेते।
सौरभ जैन सुमन


शाकाहारी पर कविता

माथे पर तिलक, लगाया है,
तू माँ के मंदिर, आया है।
क्यों भूल गया, रे प्यारे,
कि माँ ने जगत बनाया है।

हाथों में पूजा की थाली है,
तेरे सामने शेरोंवाली है।
जग जननी है, मइया मेरी,
सुंदर छवि, निराली है।

माँ ने सब को है, प्यार दिया,
सब का है बड़ा, पार किया।
मेरी मइया बड़ी, दयालु है,
उस सा न कोई, कृपालु है।

पर तूने यह क्या, काम किया,
घर को अपने श्मशान किया।
लाशों को भूना, और चबाया,
तन को कब्रिस्तान बनाया।

निर्दोषों का, खून बहाया,
इस पर भी तू, मंदिर आया।
तूं भक्त नहीं, महापापी है।
इस कर्म की न कोई माफी है।

तेरा अर्पण माँ क्या स्वीकार करे,
तूं हर पल अत्याचार करे।
तूने माँ का क्रोध जगाया है,
जो माँ ने चक्र चलाया है।

प्राण दान जो चाहे तू,
बस कर ले एक उपाय तू।
बंद कर दे यह मांसाहार,
निरीह पशुओं का व्यापार।

माथे पर तिलक, लगाया है,
तूं माँ के मंदिर आया है।
क्यों भूल गया, रे प्यारे,
कि माँ ने जगत बनाया है।
विकास वाधवा

नोट – यह कविता “माथे पर तिलक, लगाया हैविकास वाधवा द्वारा लिखा गया है। इसे भक्तवत्सल श्रीकृष्ण मासिक पत्रिका से लिया गया है।


Shakahari Par Kavita

तर्क हजारों गढ़ लो
किसी भी जीव को
मार कर खाने में,
बड़ा पछतावा होता है
बुढ़ापे में पाप-पुण्य
का हिसाब लगाने में।

अपने दिल की सुनो
सही राह तुम चुनो,
इस मतलबी जमाने में
पाप ही मिलता है
जीव को मारकर उनके
मांस और हड्डी चबाने में।

मनुष्य को सद्बुद्धि
मिलती है अपना ज्ञान
भाव-भक्ति से बढ़ाने में,
हमको भी एक दिन जाना है
कर्म की गठरी लेकर
किसी शहर बेगाने में।
दुनियाहैगोल


कुछ लोग तर्क देते है कि मांसाहार से बड़ी ताकत मिलती है इसलिए खाते हैं। लेकिन शायद उन्हें पता नहीं कि कई ऐसे शाकाहारी भोज्य पदार्थ है जिनसे प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और विटामिन मिलता है। शाकाहारी भोजन करने से शरीर स्वस्थ्य और निरोग रहता है। भोजन का असर हमारे सोच-विचार पर पड़ता है। हाथी एक शाकाहारी जानवर है फिर भी वो काफी ताकतवर होता है। घोड़ा एक शाकाहारी जानवर है जो अपनी पीठ पर किसी को बैठाकर खूब तेज दौड़ सकता है जबकि कोई मांसाहारी जानवर अपनी पीठ पर एक आदमी को बैठाकर घोड़े की तरह नहीं दौड़ पायेगा।

हमें अपने बच्चों को शाकाहारी बनाना चाहिए। मेरा ऐसा मानना है कि ज्यादातर मांसाहारी लोग कुछ समय बाद मदिरा पान भी करने लगते है। कोई भी माँ-बाप नहीं चाहेगा कि उसका बच्चा नशा करे। आज से 15-20 वर्ष पहले कम उम्र में लोग ज्यादा बीमार नहीं होते थे लेकिन आज हालात यह है कि कम उम्र में लोग बीमार होते है। ज्यादातर लोग डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे है। इसका क्या कारण है? कहीं न कहीं हमारे खाना-पान और रहन-सहन के कारण ही ये बीमारियां कम उम्र में होने लगी है। इसलिए शाकाहारी जीवन जीना एक स्वस्थ्य और सुंदर जीवन होता है। शाकाहार में ही मनुष्य की मनुष्यता है।

शाकाहार पर कविता

मानव की क्रूरता जारी है,
हर रोज गर्दन पर चलती आरी है,
जिंदगी की लड़ाई लड़ना भारी है,
हर जीव को अपनी जान प्यारी है,
अहिंसा जीती है और हिंसा हारी है,
फिर क्यों नहीं पूरी दुनिया शाकाहारी है?

जो भी मांसाहारी है,
जीव हत्या में उसकी भागेदारी है,
दया दिखाना या ना दिखाना,
मानवता की यह जिम्मेदारी है,
अहिंसा जीती है और हिंसा हारी है,
फिर क्यों नहीं पूरी दनिया शाकाहारी है?

तुमसे सूरज जैसा तेज निकलेगा,
शाकाहारी बनने का तुम प्रयास करो,
शाकाहार में ही मानवता बसी हुई है
प्रकृति के बनाये नियम पर विश्वास करो,
अहिंसा उस दिन जितेगी और हिंसा हारेगी,
जिस दिन पूरी दुनिया शाकाहारी बन जाएगी।
दुनियाहैगोल


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