National Youth Day Poem Kavita Poetry in Hindi – इस आर्टिकल में राष्ट्रीय युवा दिवस पर कविता दी गई है. युवा ही देश का भविष्य तय करते है. इसलिए युवाओं का जागरूक होना और शिक्षित होना बहुत जरूरी है. शिक्षा और जागरूकता समाज में व्याप्त कई तरह की बुराइयों को खत्म करने में सहायक होगी।
National Youth Day Poem in Hindi

पढ़ना-लिखना सीखो – हर व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है. इसलिए खुद को और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाये ताकि वे अपने जीवन को बेहतर बना सके और देश की तरक्की में सहयोग कर सके. भ्रष्टाचार जैसी बुराईयों से लड़ने के लिए युवाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है.
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो
पढ़ना-लिखना सीखो ओ भूख से मरने वालो
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ़ को पढ़ना सीखो
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लड़ना सीखो
ओ सड़क बनाने वालो, ओ भवन उठाने वालो
खुद की किस्मत का फैसला अगर तुम्हें करना है
ओ बोझा ढोने वालो, ओ रेल चलाने वालो
अगर देश की बागडोर को कब्जे में करना है
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ़ को पढ़ना सीखो
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लड़ना सीखो
पूछो, मजदूरी की खातिर लोग भटकते क्यों है
पूछो, तुम्हारी सूखी रोटी पर गिद्ध लपकते क्यों है
पूछो, माँ-बहनों पर यों बदमाश झपटते क्यों है
पढ़ो, तुम्हारी मेहनत का फल सेठ गटकते क्यों है
पढ़ो, लिखा है दीवारों पर मेहनतकश का नारा
पढ़ो, मास्टर क्या कहता है, वो भी दोस्त तुम्हारा
पढ़ो, अगर अंधे विश्वासों से पाना है छुटकारा
पढ़ो, किताबे कहती है – सारा संसार तुम्हारा
पढ़ो, अगर इस देश को अपने ढंग से चलवाना है
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ़ को पढ़ना सीखो
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लड़ना सीखो
– सफ़दर हाशमी
वो सुबह हमी से आएगी | National Youth Day Poetry in Hindi
इन काली सदियों के सर से
जब रात का आँचल धलकेगा
जब दुःख के बादल पिघलेंगे
जब सुख का सागर छलकेगा
जब अंबर झूम के नाचेगा
जब धरती नग्में गाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
जिस सुबह की ख़ातिर जुग-जुग से
हम सब मर मर कर जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में
हम जहर के प्याले पीते हैं
इन भूखी प्यासी रूहों पर
एक दिन तो करम फरमाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
माना के अभी तेरे मेरे
अरमानों की क़ीमत कुछ भी नहीं
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर,
इन्सानों की क़ीमत कुछ भी नहीं
इन्सानों की इज़्ज़त जब झूठे
सिक्कों में ना तोली जाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
बहशत के लिए जब औरत की
अस्मत को न बेचा जायेगा,
चाहत को न कुचला जायेगा
ग़ैरत को न बेचा जायेगा
अपनी काली करतूतों पर
जब ये दुनिया शरमायेगी
वो सुबह कभी तो आएगी।
बीतेंगे कभी तो दिन आखिर,
ये भूख के और बेकारी के
टूटेंगे कभी तो बुत आखिर
दौलत की इजारेदारी के
जब एक अनोखी दुनिया की
बुनियाद उठायी जायेगी
वो सुबह कभी तो आएगी
मजबूर बुढ़ापा जब
सूनी राहों की धुल न फांकेगा
मासूम लड़कपन जब गन्दी
गलियों में भीख न मांगेगा
हक़ माँगने वालो को जिस दिन
सूली न दिखाई जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी।
फाकों की चिताओं पर जिस
दिन इंसान न जलाये जायेंगे
सीना से दहकते दोज़ख में
अरमाँ न जलाये जायेंगे
ये नरक से भी गन्दी दुनिया
जब स्वर्ग बनायी जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी।
जब धरती करवट बदलेगी,
जब कैद से कैदी छूटेंगे
जब पाप-घरौंदे फूटेंगे
जब जुल्म के बंधन टूटेंगे
उस सुबह को हम ही लायेंगे
वो सुबह हमीं से आयेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी।
मनहूस समाजी ढांचों में,
जब जुर्म न पाले जायेंगे
जब हाथ न काटे जायेंगे
जब सर न उछाले जाएंगे
जेलों के बिना जब दुनिया की
सरकार चलायी जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी।
संसार के सारे मेहनतकश खेतों से
मिलों से निकलेंगे
बेघर, बेदर, बेबस इंसाँ
तारीक बिलों से निकलेंगे
दुनिया अम्न और खुशहाली के
फूलों से सजायी जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी।
– साहिर लुधियानवी
राष्ट्रीय युवा दिवस पर कविता

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।
मुख से न कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शूलों का मूल नसाने को,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को।
है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके वीर नर के मग में
खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
गुण बड़े एक से एक प्रखर,
हैं छिपे मानवों के भीतर,
मेंहदी में जैसे लाली हो,
वर्तिका-बीच उजियाली हो।
बत्ती जो नहीं जलाता है
रोशनी नहीं वह पाता है।
पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड,
झरती रस की धारा अखण्ड,
मेंहदी जब सहती है प्रहार,
बनती ललनाओं का सिंगार
जब फूल पिरोये जाते हैं,
हम उनको गले लगाते हैं।
वसुधा का नेता कौन हुआ?
भूखण्ड-विजेता कौन हुआ?
अतुलित यश क्रेता कौन हुआ?
नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ?
जिसने न कभी आराम किया,
विघ्नों में रहकर नाम किया।
जब विघ्न सामने आते हैं,
सोते से हमें जगाते हैं,
मन को मरोड़ते हैं पल-पल,
तन को झँझोरते हैं पल-पल
सत्पथ की ओर लगाकर ही,
जाते हैं हमें जगाकर ही।
– रामधारी सिंह “दिनकर”
राष्ट्रीय युवा दिवस प्रतिवर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती के रूप में मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद हर युवा के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है. उनके आदर्शों पर चलकर हर युवा अपने जीवन, समाज और राष्ट्र को मजबूत बना सकता है.
आशा करता हूँ आपको यह लेख National Youth Day Poem Kavita Poetry in Hindi आपको जरूर पसंद आया होगा। इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।
इसे भी पढ़े –
- राष्ट्रीय युवा दिवस शायरी | National Youth Day Shayari Status Quotes in Hindi
- International Youth Day Shayari Status Quotes in Hindi | अंतराष्ट्रीय युवा दिवस पर शायरी स्टेटस कोट्स
- Good Morning Motivational Status Image in Hindi | उत्साहवर्धक सुप्रभात स्टेटस इमेज हिंदी
- अमिताभ बच्चन की उत्साहवर्धक कविता | Motivational Poem By Amitabh Bachchan
- Monday Motivational Shayari Status Quotes in Hindi | मंडे मोटिवेशन शायरी स्टेटस कोट्स