Jallianwala Bagh Hatya Kand in Hindi – रौलेट एक्ट के विरोध में भारत के अन्य प्रान्तों के समान पंजाब में भी हड़ताले और प्रदर्शन हुए. इस समय पंजाब के गवर्नर मायकेल ओ. डायर ( Michael O. Dwyer ) था. वह रूढ़िवादी और दमनप्रिय व्यक्ति था. उसने निर्णय लिया कि वह इन आंदोलनों को कुचल देगा. इसलिए कांग्रेस नेताओं को पंजाब प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया और दो महत्वपूर्ण नेताओं डॉ. किचलू और डॉ. सत्यपाल को बंदी बना लिया गया. इससे देश-प्रेम की आग और भड़क उठी. इसके विरोध में पंजाब राज्य के एक नगर अमृतसर में जनता ने शांतिपूर्ण जुलूस निकाला. उस जुलूस पर पुलिस द्वारा गोलियाँ चलाई गई जिससे 10 स्वयंसेवको की मृत्यु हो गई, इससे भीड़ उग्र हो गई और उसने कुछ अंग्रेजों की हत्या कर दी और कई अंग्रेजों को बहुत मारा. परिणामस्वरूप अमृतसर सेना के सुपुर्द कर दिया गया. अंग्रेजों द्वारा नया सेनाध्यक्ष ब्रिगेडियर डायर को नियुक्त किया गया. उसने सम्पूर्ण नगर पर अपना आतंक जमा लिया और सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया, जिसकी जनता को कोई जानकारी नहीं थी.
अतः रौलेट एक्ट और प्रशासन की दमनात्मक कार्यवाही को विरोध करने के लिए 13 अप्रैल,1919 ई. को वैशाखी के पुनीत पर्व पर अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में पंजाब राज्य की जनता शंतिपूर्ण सभा का आयोजन क्र काले कानूनों और अंधे दमनचक्र का विरोध करने के लिए एकत्रित हुई. इस जनसमूह में स्त्री-पुरूष, बालक एवं वृद्ध सभी मौजूद थे. यह बाग़ चारों ओर ऊँची-ऊँची दीवारों से घिरा था, उसमें आने-जाने के लिए एक संकरा मार्ग था. उस समय मैदान में 25,000 के लगभग जनता एकत्रित होकर अंग्रेजों के विरूद्ध अपना शांतिप्रिय विरोध प्रकट कर रही थी.
ऐसे ही समय जनरल डायर सेना की एक टुकड़ी के साथ वहाँ आ धमका, उसने जनता को तितर-बितर करने का आदेश दिए बिना सेना को फायरिंग का आदेश दे दिया. सरकारी आँकड़ो के अनुसार 10 मिनट तक निरंतर हुई फायरिंग में लगभग 1650 गोलियाँ चली. गलियाँ विशेषकर उस तरफ चलाई गयी जहाँ से निकलने के लिए संकरा मार्ग था, इसलिए जनता शीघ्र ही गोलियों का शिकार हो गयी. इस गोलीकाण्ड में लगभग 2,000 लोग घायल हुए. उस समय का दृश्य बहुत ही हृदय-विदारक था, चारों ओर जनता की चीखें सुनाई दे रही थीं. जनता चीखते-चिल्लाते वहीं पर पर मृत्यु का शिकार होती जा रही थी. खून की धरा बह उठी. कई व्यक्ति अपंग हो गये. मरने वालों में अधिकाँश बच्चे और बूढ़े व्यक्ति थे. इससे अतिरिक्त घायल व्यक्तियों के लिए न तो कोई दवा का प्रबंध किया गया और न ही उनके सम्बन्धियों को उनसे मिलने दिया गया परिणामस्वरूप घायल व्यक्तियों ने वहीं दम तोड़ दिया.
यहीं नहीं, जनरल डायर ने अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया. इसके अतिरिक्त लाहौर, कसूर, गुजरांवाला, शेखपुरा और बजीराबाद में भी हिंसा भड़कने के कारण सैनिक शासन घोषित कर दिया गया. सैनिक अधिकारियों द्वारा संगीन अपराधों में 298 व्यक्तियों मुकदमे चलाए गये जिनमें 51 व्यक्तियों को फांसी और शेष को काले पानी या कठोर कारावास का दंड दिया गया. जनरल डायर ने अपने शासनकाल में इस प्रकार की यातनाएं भारतीयों को दी जिन्हें पहले न कभी देखा गया था न सुना गया था. सार्वजनिक रूप से बेंत और कोड़े मारना तो एक साधारण सी बात थी. गांधी जे ने इस घटना को पाशविक अत्याचार कहकर सम्बोधित किया.
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड से सम्बन्धित अन्य जानकारी | Other Information about Jallianwala Bagh Hatya Kand in Hindi
- सन् 1997 में महारानी एलिज़ाबेथ ( Maharani Elizabeth ) ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी.
- 2013 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन ( British Prime Minister David Cameron ) भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि “ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी.
- 13 अप्रैल 1699 को दसवें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह ( Guru Gobind Singh ) ने खालसा पंथ की स्थापना की थी.
- बैसाखी वैसे तो पूरे भारत का एक प्रमुख त्योहार है परंतु विशेषकर पंजाब और हरियाणा के किसान सर्दियों की रबी की फसल काट लेने के बाद नए साल की खुशियाँ मनाते हैं.
- कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से पट गया.
- जलियांवाला बाग कभी जलली नामक आदमी की संपत्ति थी.
- अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है. अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए.
- ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था.
- इस हत्याकांड ने तब 12 वर्ष की उम्र के भगत सिंह ( Bhagat Singh ) की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था. इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से 12 मील पैदल चलकर जालियावाला बाग पहुंच गए थे.
- बुलेट की गोलियाँ दीवारों और आस-पास की इमारतों में इस समय भी दिखती हैं.
- जलियांवाला बाग में यह हत्याकांड हो रहा था, उस समय उधमसिंह वहीं मौजूद थे और उन्हें भी गोली लगी थी. उन्होंने तय किया कि वह इसका बदला लेंगे.
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