Bhagat Singh Ke Bare Me 10 Rochak Jankariyan – भगतसिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 को हुआ था. भारत के एक प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानी भगतसिंह ने ब्रिटिश सरकार का मुकाबला जिस साहस के साथ किया था उसे कभी भी भुलाया नही जा सकता. इन्होंने केन्द्रीय संसद में बम फेका और वहा से ये भागे नही. इन्हे ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया जिसके फलस्वरूप इन्हे 23 मार्च 1931 को फ़ासी पर लटका दिया गया.
- जब जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ तब भगतसिंह की उम्र 12 वर्ष थी. इसकी सूचना मिलने पर भगतसिंह स्कूल से 12 मील पैदल चलकर जलियाँवाला बाग पहुच गये. उस उम्र में भगतसिंह क्रन्तिकारी किताबे पढ़ा करते थे.
- भगतसिंह हिंसा के पक्षधर नही थे परन्तु वे वामपंथी (कम्युनिष्ठ) विचारधारा के समर्थक थे. कार्ल मार्क्स के विचारो से प्रभावित थे. समाजवाद के समर्थक थे.
- भगतसिंह को 23 वर्ष के उम्र में फ़ासी पर लटका दिया गया.
- भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी
- 8 अप्रैल 1929 को केन्द्रीय असेम्बली में एक ऐसे स्थान पर बम फेका जहा कोई मौजूद नही था.
- भगतसिंह जेल में करीब दो साल तक रहे. इस दौरान उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा और अपनी क्रन्तिकारी विचारो को लिखा करते थे. उन्होंने एक लेख लिखा था “मैं नास्तिक क्यों हूँ“.
- जेल में भगतसिंह और उनके मित्रो ने 64 दिनों तक भूख हडताल जारी रखा जिसकी वजह से उनके एक साथी यतीन्द्रनाथ दास ने भूख हड़ताल में अपने प्राण ही त्याग दिये थे.
- ‘रिवॉल्युशनरी लेनिन‘ किताब जब एक हिन्दुस्तानी भगतसिंह को देने आया तो उसने पुछा आप जनता को क्या सन्देश देना चाहेंगे तब भगतसिंह ने किताब से नजर हटाये बिना कहा – इंक़लाब ज़िदाबाद और साम्राज्यवाद मुर्दाबाद.
- कांग्रेसी नेता भीमसेन सच्चर ने पुछा था, “आप और आपके मित्रो ने लाहौर कॉन्सपिरेसी केस में अपना बचाव क्यों नही किया” – भगत सिंह ने कहा “इन्कलाबियों को मरना ही होता है, क्योंकि उनके मरने से ही उनका अभियान मज़बूत होता है“.
- 23 मार्च 1931 को शाम लगभग 7 बजकर 33 मिनट पर भगतसिंह और उनके दो साथी सुखदेव और राजगुरु को फाँसी दे दी गई. फाँसी पर जाते समय इन्होने गाया था .
मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे;
मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग दे बसन्ती चोला।।