अकेले ही पूरी दुनिया में चिता की भस्म से नहाते हैं,
ऐसे ही नही वो कालों के काल महाकाल कहलाते हैं.
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शिव उठत, शिव चलत, शिव शाम-भोर है !
शिव बुध्दि, शिव चित, शिव मन विभोर है !!
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दिखावे की दुनिया से थोड़ा दूर रहता हूँ मैं,
इसलिए शिव भक्ति में चूर रहता हूँ मैं.
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भक्तो को चिंता नही होती हैं काल की,
क्योकि उन पर कृपा होती हैं महाकाल की.
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शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ,
अंत काल को भवसागर में उसका बेड़ा पार हुआ.
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“भगवान् शिव”
चिंतन हो सदा इस मन में तेरा,
चरणों में सदा मेरा ध्यान रहे
चाहे दुख में रहूँ चाहे सुख में रहूँ,
होंठों पे सदा तेरा नाम रहे…!
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मन में करो सब शिव जी का ध्यान,
सबसे सुंदर हैं शिव का स्थान,
मिल सभी गुण शिव जी के गाते,
सारी खुशियाँ जीवन में पाते.
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जंगल में रहो या बस्ती में,
लहरों में रहो या कश्ती में,
महँगी में रहो या सस्ती में,
पर रहो भगवान् शिव की भक्ति में.
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जो डूबते हैं महाकाल की मस्ती में,
चार चाँद लग जाती हैं उनकी हस्ती में..
ॐ नमः शिवाय
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ना पैसा लगता हैं ना ख़र्चा लगता हैं,
राम-राम बोलिए बड़ा अच्छा लगता हैं.
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शब्द-शब्द में ब्रम्हा हैं, शब्द-शब्द में सार,
शब्द सदा ऐसे कहो जिनसे उपजे प्यार.
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