Hazari Prasad Dwivedi Quotes Thoughts Sayings Suvichar Image Photo in Hindi – इस आर्टिकल में हजारी प्रसाद द्विवेदी के सुविचार अनमोल वचन दिए हुए है.
हिन्दी साहित्य के अनमोल रत्न, उपन्यासकार, निबंधकार, आलोचक पद्म भूषण आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जयंती प्रतिवर्ष 19 अगस्त को मनाई जाती है. इनका जन्म 19 अगस्त 1907 में हुआ था. BHU हिंदी विभाग में शिक्षक और जाने माने आलोचक रहे. आइयें इनके उत्साह भरे सुविचारों को पढ़े.
Hazari Prasad Dwivedi Quotes in Hindi

जीतता वह है जिसमें शौर्य,
धैर्य, साहस, सत्व और धर्म होता है.
हजारी प्रसाद द्विवेदी
जीना भी एक प्रकार का कला है
बल्कि ये कला ही नहीं ये तपस्या भी है
हजारी प्रसाद द्विवेदी
हिन्दू समाज में नीची से नीची समझे जाने वाली
जाति भी अपने से नीची एक और जाति ढूँढ लेती है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
राजनीति भुजंग से भी अधिक कुटिल है,
असिधारा से भी अधिक दुर्लभ है और
विद्युत् शिक्षा से भी अधिक चंचल है.
हजारी प्रसाद द्विवेदी
मेरे मन ! निराश होने
की आवश्यकता नहीं है.
हजारी प्रसाद द्विवेदी
महान संकल्प ही
महान फल का जनक होता है
हजारी प्रसाद द्विवेदी
हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनमोल विचार

समस्त सफलताओं की कुंजी है उदार मन।
जिसके हृदय में स्वार्थ से उपर उठने की उमंग है,
उसके लिये संसार में कुछ भी असाध्य नहीं है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
हिमालय को भारतीय साहित्य और
इतिहास से हटा दिया जाए तो हमारा
इतिहास बहुत निष्प्राण हो जायेगा।
हिमालय हमारा प्रहरी है, देवभूमि है,
रत्नावलि है, इतिहास विधाता है,
संस्कृति का मेरूदंड है.
हजारी प्रसाद द्विवेदी
रूढ़ि वस्तुतः अंतर्निहित तत्ववाद
को भुला देना का ही नाम है.
हजारी प्रसाद द्विवेदी
दुनिया बड़ी भुलक्कड़ है
केवल उतना ही याद रखती है,
जितने से उसका स्वार्थ सधता है।
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
लोग केवल सत्य को पाने के लिए
देर तक नहीं टिके रह सकते।
उन्हें धन चाहिए, मान चाहिए,
यश चाहिए, कीर्ति चाहिए.
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
Hazari Prasad Dwivedi Thoughts in Hindi

बहुत कम लोग जानते हैं
कि वो बहुत कम जानते हैं।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
मनुष्य की पशुता को
जितनी बार भी काट दो,
वह मरना नहीं जानती।
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
जो साहित्य मनुष्य समाज को रोग,
शोक, दारिद्रय, अज्ञान तथा परामुखापेक्षिता से
बचाकर उसमें आत्मबल का संचार करता है,
वह निश्चय ही अक्षय निधि है।
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
देवता किसी एक जाति की संपत्ति नहीं हैं।
वे सबके हैं और सब की पूजा के अधिकारी हैं।
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
हमें तो हिंदी भाषा को इस योग्य बना देना है
कि वह, साधारण से साधारण मजदूर से लेकर
अत्यंत विकसित मस्तिष्क के बुद्धिजीवी के
दिमाग में समान भाव से विहार कर सके।
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
Hazari Prasad Dwivedi Sayings in Hindi

ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ
किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
नाना भाँति के गलत प्रचारों ने
मनुष्य को मनुष्य के प्रति शंकालु
बना दिया है। ऐसा जान पड़ता है कि
दलगत स्वार्थ के प्रेत ने समूची
मनुष्यता को दबोच लिया है।
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
काव्य जैसी सुकुमार वस्तु की आलोचना
के लिए अपने संस्कारों से बहुत ऊपर उठने
की जरूरत है, फिर वे संस्कार चाहे
देशभक्त हो या कालगत हो.
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
संस्कृति मनुष्य की विविध
साधनाओं की सर्वोत्तम परिणति है.
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
वास्तविकताएं नग्न रूप से प्रकट
होकर कुत्सित बन जाती है.
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
हजारी प्रसाद द्विवेदी के सुविचार
वे लोग ही विचार में निर्भीक हुआ करते हैं
जिन लोगों के अन्दर आचरण की दृढ़ता होती है।
हजारीप्रसाद द्विवेदी
दही में जितना दूध डालते जाओगे
वह दही बनता जायेगा वैेसे ही जो लोग
शंका करते हैं उनके दिल में हमेशा शंका
उत्पन्न होती ही रहती है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
जो लोग दूसरो को धोखा देते है
वे लोग खुद धोखा खाते हैं और
जो लोग दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं
उनके लिए कुआँ तैयार रहता है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
कौन जानता है ! मनुष्य
की जीवन-धारा फिर भी
अपनी मस्तानी चाल में
चलती जाएगी।
डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी
पंडिताई भी एक बोझ है –
जितनी ही भरी होती है,
उतनी ही तेजी से डुबाती है.
जब वह जीवन का अंग बन जाती है
तो सहज हो जाती है.
तब वह बोझ नहीं रहती।
डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी
Quotes of Hazari Prasad Dwivedi in Hindi
इतिहास को समझने
का अर्थ होता है,
जीवन-प्रवाह को समझना।
Hazari Prasad Dwivedi
वे बहुत दूरदर्शी होते है.
जो भी सामने पड़ गया,
उसके जीवन के अंतिम
मुहूर्त तक का हिसाब
वे लगा लेते है.
Hazari Prasad Dwivedi
अतीत ही वर्तमान को जन्म देता है।
उसके दोष-गुण से वर्तमान प्रभावित रहता है।
Hazari Prasad Dwivedi
जिस शक्ति के पीछे विवेक
और औदार्य नहीं होते,
वह ग़लत दिशा में ले जाती है।
Hazari Prasad Dwivedi
जहाँ तक स्वार्थ का संबंध है,
मनुष्य पशु ही तो है। अगर पशु
कहना कुछ कड़ा मालूम होता हो
तो उसे ‘बड़ा पशु’ कहिए।
पशु का स्वार्थ छोटा होता है
और मनुष्य का बड़ा।
Hazari Prasad Dwivedi
हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनमोल वचन
यह विचार कि स्त्री ही
स्त्री को समझ सकती है और
पुरुष स्त्री को नहीं समझ सकता,
किसी बहके दिमाग़ की कल्पना-मात्र है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
बड़ी चीज़ वह है,
जो मनुष्य को आहार-निद्रा आदि
पशु-सामान्य मनोवृत्तियों से
ऊपर उठाती है, जो उसे देवता बनाती है।
साहित्य का कार्य यही है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
जो जाति साहित्य के
सर्वोत्तम रूप को समझ सकती है,
वह मनुष्यता के सर्वोत्तम
रूप को समझ सकती है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
दान, पुण्य, परोपकरादि बातें
साहित्य और कला की प्रेरणा के फल हैं।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
सारे मानव-समाज को सुंदर बनाने की
साधना का ही नाम साहित्य है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
Hazari Prasad Dwivedi Quotes
छोटे स्वार्थ निश्चय ही मनुष्य को
भिन्न-भिन्न दलों में टुकड़े-टुकड़े कर रहे हैं,
परंतु यदि मनुष्य चाहे तो
ऐसा महासेतु निर्माण कर सकता है,
जिससे समस्त विच्छिन्नता का
अंतराल भर जाए।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
जब तक नाना विषय विकारों की
ओर खींचने वाली इंद्रियाँ वश में
नहीं आ जातीं, तब तक बुद्धि
प्रतिष्ठित नहीं होती।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
कठोर संयम और अनुशासन के बिना
मनुष्य किसी भी सद्गुण को नहीं अपना सकता।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
कभी-कभी निकम्मी आदतों
से भी आराम मिलता है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
शब्दों के भी भाग्य होते हैं।
हजारी प्रसाद द्विवेदी
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