Amrit Vani in Hindi – वचन तब प्रवचन या अमृत वचन बनता हैं, जब वह हितकारी ही नहीं – कल्याणकारी भी हो. इस पोस्ट में बेहतरीन उत्साहवर्धक, प्रेरणादायक, ज्ञानवर्धक अमृतवाणी दी गयी है. यदि आप एक विद्यार्थी है तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े. इससे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.
Amrit Vani in Hindi | अमृतवाणी
जो अपने लिय नियम नहीं बनाता, उसको दूसरों के नियमों पर चलना पड़ता है. – ओशो
जिन घरों में असम्मानित व दुःखी स्त्रियाँ शाप देती हैं, वह घर शीघ्र ही नष्ट हो जाता हैं. इसलिए जो मनुष्य समृद्धि चाहते हैं, उन्हें आभूषण, वस्त्र, भोजनादि से उनका सत्कार करना उचित हैं. – मनुस्मृति
जो ईश्वर की अराधना के साथ-साथ पुरूषार्थ करते हैं उनके दुःख और दारिद्रय दूर होते हैं और ऐश्वर्य बढ़ता हैं. – अज्ञात
जिसने अपनापन खोया, उसने सब खोया. – विवेकानन्द
चित्त प्रसन्न रखने से दुःख दूर होते हैं और बुद्धि स्थिर होती हैं. – वेदव्यास
जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को निमंत्रण देना हैं. – शेक्सपियर
जिस कार्य में आत्मा का पतन हो वहीं पाप हैं. – महात्मा गांधी
कठिन काम पड़ने पर सेवक की, संकट के समय भाई बंधु की, आपात काल में मित्र की व धन के नाश हो जाने पर स्त्री की परीक्षा होती हैं. – चाणक्य
किसी को भी अपना खुद का व्यक्तित्व छोड़कर किसी दुसरे का व्यक्तित्व नहीं अपनाना चहिये. – विनोबा भावे
कुत्ते का काटना नहीं गुर्राना सीखो. – चीनी कहावत
कोई बुरी घटना घटने वाली होती है तो उसके पहले बुद्धिभ्रष्ट हो जाती हैं. – प्रेमचंद
किसी चीज को दबाना उसे शक्ति देने का दूसरा नाम है. – ओशो
उन्नति करने के लिए स्वयं को उपदेश देते रहिये. – स्वामी रामतीर्थ
एक छेद जहाज को डुबो देता हैं तथा एक पाप पापी को नष्ट कर देता हैं. – जॉन बुनयान
आप सौ को खाना नहीं खिला सकते तो एक को खिलाइए. – मदर टेरेसा
इस संसार में कई शास्त्र हैं, कई विधाएं हैं किन्तु उनके लिए जीवन धोड़ा हैं, बाधाएं भी अनेक हैं. इस वजह से हमें वही ग्रहण करना चाहिए जो ग्रहण करने योग्य हैं. दूध और पानी में से हंस दूध पी लेता हैं पानी छोड़ देता हैं. – चाणक्य नीति
उपदेश देने के बजाय उदाहरण प्रस्तुत करो. – अंग्रेजी लोकोक्ति
मुझे जितनी आवश्यकता शरीर के लिए व्यायाम की होती है, उतनी ही मस्तिष्क के लिए अध्ययन की होती हैं. – एडीसन
मन की शान्ति का मूल्य जीवन में बहुत है, सम्पत्ति एवं स्वास्थ्य से भी अधिक. – डॉ. राधाकृष्णन
बुद्धिमान दूसरों की त्रुटियों से और मूर्ख अपनी त्रुटियों से शिक्षा लेते हैं. – कहावत
भीरू और कायर अपने मौत से पहले कई बार मर जाते हैं लेकिन बहादुर केवल एक बार ही मृत्यु का आलिंगन करते हैं. – शेक्सपियर
फ़िजूलखर्ची करने वाला सदैव कष्टमय जीवन व्यतीत करेगा. – कन्फ्यूशियस
पसंद का कार्य सभी करते हैं, बुद्धिमान प्रत्येक कार्य को रूचिकर बना लेते हैं. – विवेकनन्द
पुरूष जब किसी सुन्दरी के अधीन हो जाता है तो वह स्त्री से भी नीचे गिर जाता है. – रामकृष्ण परमहंस
प्रेमी की आंखे उसके हृदय में होती हैं. – शेक्सपियर
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का उच्चतम आधार व्यक्ति का उत्तम स्वास्थ्य है. – आयुर्वेद शास्त्र
धन नाश होने पर, मन दुःखी होने पर, घर की बुराइयों को, ठगे जाने पर और नीचों द्वारा अपमान कर दिया गया हो तो विवेकवान व्यक्ति इनका जिक्र किसी से न करे. – चाणक्य
दुनिया के प्रत्येक मनुष्य भोजन, निद्रा, भय, मैथुन पशुओं के समान ही करते हैं, किन्तु मनुष्यों में ज्ञान अधिक होता है, जबकि ज्ञान रहित मनुष्य पशु के समान होता हैं. – चाणक्य
दूसरों के गुण देखने की आदत डालें, यदि आप अपनी उन्नति चाहते हैं. – अज्ञात
तू स्व शरीर से किसी को पीड़ित मत कर. – यजुर्वेद
झगड़े से बचना उचित हैं, अगर उसमें आप पड़ ही जाएं तो बैरी को अपना तेज, बल और पौरूष दिखा दें. – शेक्सपियर
जब तक संभव हो तब तक स्वयं के लिए दूसरों के आगे हाथ नहीं फैलाना चाहिए. – लोकमान्य तिलक
जो दूसरों पर आश्रित हो वह सदैव दुःखी रहेगा और आसानी से अपना कल्याण नहीं कर पायेगा. – सुभाष चन्द्र बोस
जो जल्दी सोता हैं और जल्दी उठता है, वह स्वस्थ, सम्पन्न और मेधावी होता है. – अंग्रेजी लोकोक्ति
जितने भी दिन जियो फूल बनकर जियो, काँटा बनकर मत जियो. – महादेवी वर्मा
हर साल एक बुरी आदत को जड़ से खोदकर फेंका जाए तो कुछ ही साल में एक बुरा आदमी भी एक भला इन्सान बन सकता हैं. – सुकरात
सुनो सबकी लेकिन निर्णय अपना करो. – शेक्सपियर
जो आराम करता है, उसका भाग्य भी आराम करता है. जो उठ खड़ा होता है, उसका भाग्य भी उठ खड़ा होता है. जो लेटता हसी, उसका भाग्य भी धराशायी हो जाता है. जो आगे बढ़ता है, उसका भाग्य भी आगे बढ़ता है. – विमल मित्र
हताश न होना ही सफलता का मूलमन्त्र है. – स्वेट मार्डेन
जो कायर है, जिसमें पराक्रम नहीं है, वही भाग्य पर भरोसा करता है. – अज्ञात
सुख चाहते हो तो विद्या को छोड़ दो, वह तुम्हारे पास नहीं आएगी. यदि विद्या चाहते हो तो सुख का त्याग करो. – चाणक्य नीति
सदा सुख मिले, यह दुर्लभ है. – वाल्मीकि रामायण
स्वयं का अध्ययन करना मनुष्य का तप है. – श्रीमद्भगवद्गीता
सुखों को बाहर मत तलाशो उसे हृदय में खोजो. – महात्मा गांधी
सबसे बड़ी मूर्खता स्वास्थ्य को किसी अनिश्चित लाभ के पीछे बर्बाद कर देना है. – अज्ञात
सांप को दूध पिलाने से उसके विष में ही वृद्धि होती है, दुष्ट को सम्मान देने से उसकी दुष्टता में ही वृद्धि होती है. – संस्कृत लोकोक्ति
सब धोखों में खराब अपने आपको धोखा देना है. – प्रेमचन्द
क्रोध प्रीति को नष्ट करता है, माया मैत्री को नष्ट करती हैं और लोभ सबकुछ नष्ट करता हैं. – भगवान् महावीर
मैं उसी को महात्मा कहता हूँ जिसका हृदय गरीबों के लिए रोता है, अन्यथा वह तो दुरात्मा है. – विवेकानंद
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