Shayari on Eye | आँखों पर शायरी | Aankhen Shayari

कैद खाने है, बिन सलाखों के,
कुछ यूँ चर्चें है, तुम्हारी आँखों के.


जो सुरूर है तेरी आँखों में वो बात कहाँ मैखाने में,
बस तू मिल जाए तो फिर क्या रखा है जमाने में.


दूरियों की परवाह न कीजिए,
जब दिल करे बुला लीजिए,
हम ज्यादा दूर नहीं आपसे,
बस आँखों को पलकों से मिला लीजिए.


मेरे दिल को इश्क़ का ख्वाब दिखाता है,
वो रातों में मुझे बहुत जगाता है,
मैं अपने आँखों में काजल लगाऊं कैसे,
इन आँखों को वो रुलाता बहुत हैं.


जीना मुहाल कर रखा है मेरा, इन आँखों ने तेरे,
खुली हो तो तलाश तेरी बंद हो तो ख्वाब तेरे.


जो धड़कने से पहले ही
धड़कनों का हाल बता दे,
वो क्या नफ़रत करेगा
जो आँखों ही आँखों में प्यार जता दे.


तेरी आँखें अब नया आयाम देती है,
जिन्दगी जीने का वो पैगाम देती है,
तब सुबह तन्हाईयों में डूबी रहती थी
तेरी यादे अब सुनहरी शाम देती हैं.
– विशाल मिश्रा


इकरार में शब्दों की एहमियत नहीं होती,
दिल के जज्बात की आवाज नहीं होती,
आँखें बयान कर देती है दिल की दास्ताँ
मोहब्बत लफ्ज़ों की मोहताज नहीं होती.

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