जहाँ बोलने से नहीं बातें आँखों से होती है,
वहाँ रूठने के बाद ना मानने की गुंजाइश नहीं होती है.
हम अल्फाज़ों को ढूंढते रह गये,
और वो आँखों से गजल कह गये.
आँखें ही बना देती है दीवाना किसी का,
आँखें ही बसा देती है घराना किसी का.
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते,
पर वो तारा नहीं टूटता जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ.
रात को आये हर ख्वाब को
आँखें सपना बना लेती है,
जिसे देख ले एक बार प्यार से
उसे अपना बना लेती है.
जो दिखाई देता वो हमेशा सच नहीं होता है,
कहीं धोखे में आँखे है तो कही आँखों में धोखा होता है.
खूबसूरत तुम्हारी आँखें,
आँखों में हया भी है,
इनपे दुनिया मैं वार देता
पर ये चीज खुदा की है.
मुझे देखकर शर्माती है उनकी आँखें,
बिना बोले बहुत कुछ कहती है उनकी आँखें.
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