Shayari on Eye | आँखों पर शायरी | Aankhen Shayari

चलती फिरती आँखों से अजाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है, माँ देखी हैं.
– मुनव्वर राणा


दिल के बहुत अन्दर तक तबाही मचाता हैं,
वो दर्द का आँसू जो आँखों से बाहर नही आता हैं.


लोग कहते है कि तू अब भी खफ़ा है मुझसे,
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझसे.


मरीज-ए-मोहब्बत हूँ इक तेरा दीदार काफी है,
हर एक दवा से बेहतर, निगाहें-ए-यार काफी है.


तलाश करोगे तो मिल ही जाएगा,
मगर कौन तुम्हें हमारी तरह चाहेगा,
तुम्हें जरूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर हमारी आँखें कहाँ से लाएगा.


झुकी नजर तेरी कमाल कर जाती हैं,
उठती है तो एक बार में सौ सवाल कर जाती हैं.


हमारे शहर आ जाओ,
सदा बरसात रहती है,
कभी बादल बरसते हैं,
कभी आँखें बरसती हैं.


सब ने तेरी आँखे तेरा चेहरा देखा है,
हमने तेरी हँसी में गम गहरा देखा है,
ये चाँदनी कभी खुल के बिखरती नहीं है,
हमने चाँद पर समाज का पहरा देखा हैं.

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