Dehati Kahavat – देहात हम गाँव को कहते है. गाँव में आपने देहाती कहावत जरूर सुना होगा. बहुत सी ऐसी कहावतें होती है कि दिल करता है किसी डायरी पर लिख ले. मगर लिख नही पाते है. क्योंकि कुछ कहावतों के कई मतलब निकलते है. इस आर्टिकल में कुछ बेहतरीन देहाती कहावत दिए हुए है. इन्हें जरूर पढ़े.
देहाती कहावत
पैसा न कौड़ी,
सलाम करबे छौड़ी.
कुछ कहावत ऐसे होते है अगर उनका शाब्दिक अर्थ निकाला जाएँ तो वो कहावतें समझ में ही नही आएँगी. जब कोई बड़े-बुजुर्ग से खर्च करने के लिए कहता है तो वो इस कहावत का प्रयोग करते है. जिसका मतलब होता है. कि “पैसा है नही और आप खर्च की बात कर रहे है.“
जइसन काकर ओइसन बीआ,
जइसन माई ओइसन धीआ.
गाँव में जब कभी लड़ाई या झगड़ा होता है तो इस कहावत का प्रयोग किया जाता है. इसका प्रयोग नकारत्मक विचार को प्रकट करता है. जब किसी के माँ-बाप में कोई कमी या बुराई हो और वही कमी पुत्र या पुत्री में हो तो लोग अक्सर इस कहावत का प्रयोग करते है.
जिसका काम उसी को साजे,
दूसरा करे तो डंडा बाजे.
यह कहावत मैंने अपने एक बिहारी दोस्त सुना था. उसे जिस तकनीकी की जानकारी थी उसमें वह अच्छा काम करता था. लेकिन जब कोई उसे दूसरी तकनीकी सीखने या उस तकनीकी में काम करने के लिए बोलता तो वो अक्सर इस मुहावरें का प्रयोग करता था. इस कहावत का मतलब यह है कि घर बनाने वाले मिस्त्री से आप बिगड़ी हुई गाड़ी नही बनवा सकते है. अगर वह बनाने की कोशिश करेगा तो काम और बिगाड़ देगा.
देहाती कहावतें
अंधे के आगे रोना,
अपना दीदा खोना.
इस कहावत का अर्थ होता है – किसी ऐसे व्यक्ति से मदत की उमीम्द करना जो आपकी मदत न कर सके. इस कहावत को कई और जगहों पर भी प्रयोग किया जाता है. जैसे किसी दुखी व्यक्ति से अपना दुःख कहना और वो व्यक्ति अपना दुःख सुनाकर आपको और दुखी कर दें.
ओकर किस्मत का जागी,
जे काम कइला से भागी.
इस कहावत का अर्थ इसे पढ़कर ही समझा जा सकता है. जो काम करने से जी चुराता है या काम नही करना चाहता है. उसका भाग्य सोया ही रहता है.
अगर इ पेट ना होत,
तो केहू से भेट ना होत.
आप ने गाँव में इस कहावत को जरूर सुना होगा. यह सुनने में बड़ा ही मजेदार कहावत है. इसका अर्थ होता है कि -“स्वार्थ की वजह से इंसान सबसे जुड़ा हुआ है.“
Dehati Kahavat
चित भी मेरा पट भी मेरा,
अंटा मेरे बाप का.
इस कहावत का प्रयोग आप ने फिल्मों में या किसी दबंग आदमी के मुंह से सुना होगा. इसका अर्थ होता है कि – “परिस्थिति चाहे जो हो लेकिन फायदा मेरा ही होना चाहिए.“
दाल रोटी खाओ,
प्रभु के गुण गाओ.
कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति कुछ बड़ा करने के चक्कर में बहुत ज्यादा परेशान हो जाता है. तब उस व्यक्ति को परेशान या परेशानी में देखकर लोग उसे साधारण जीवन जीने की सलाह देते है. तब इस कहावत का प्रयोग किया जाता है.
कबो घनी घना,
कबो मूठी भर चना.
अगर आप हर दिन अच्छा भोजन करते है. किसी दिन किसी कारणवश आपको रूखा-सूखा खाकर गुजारा करना पड़े तो लोग इस कहावत का प्रयोग करते है. इसका अर्थ होता है कि “जीवन में सुख-दुःख दोनों मिलता है.“
भूखे भजन होय न गोपाला,
ले ल आपन कंठी माला.
काम के दौरान भूख लग गई हो तो काम आप ढंग से नही कर सकते है. उस वक्त भोजन करना जरूरी होता है. तब लोग इस कहावत का प्रयोग करते है. अगर आपका कोई काम किसी सरकारी ऑफिस में है और अधिकारी को कुछ खाने का मन है तो वह इस कहावत के ऊपर के एक लाइन का प्रयोग करता है. और लोग समझ जाते है कि साहब को कुछ खिलाना पिलाना है.
इन कहावतों का प्रयोग कई प्रकार परिस्थिति में विभिन्न अर्थों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. समय और पारिस्थिति के अनुसार कहावत का अर्थ भी बदल जाता है. कई कहावतें बहु अर्थी होती है.
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