हर चीज दौलत से खरीदीं नही जाती,
जब बात दिल की हो तो
कागजों की बात की नही जाती…
टूट जाता हैं ग़रीबी में वो रिश्ता जो खाश होता हैं,
हजारों यार बनते हैं जब पैसा पास होता हैं…
जब कोई आदमी कहता है कि
पैसा कुछ भी कर सकता हैं,
तो साफ़ हो जाता हैं –
उसके पास पैसा बिल्कुल नही हैं…
सब ने पैसा तो बहुत कमा लिया
पर उस पैसे का क्या मोल हैं,
अपनों का प्यार और अपनों से रिश्ता
इन पैसो से कहीं अनमोल हैं.
कौन कहता हैं कि पैसा सब कुछ खरीद सकता हैं,
दम है तो टूटे हुए विश्वास को खरीदकर दिखाइये.
पैसा तो सब को मिल ही जाता हैं,
मगर सच्चा प्यार सब को नही मिलता हैं..
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