हाथ की लकीर देखकर
तोते वाले ने कहाँ था,
पैसा ही नही है इन हाथो में
नसीब भी हँस पड़ा था,
जेब खाली करके
पैसा ही चला गया था…
“मैं पैसा हूँ” मैं भगवान नही,
पर मुझे लोग मानते भगवान से कम नही…
रूपया कितना भी गिर जाएँ,
इतना कभी नही गिर पायेगा,
जितना रूपये के लिए
इंसान गिर चुका हैं…
पैसा बिस्तर दे सकता हैं पर…नींद नही,
पैसा भोजन दे सकता हैं पर… भूख नही,
पैसा अच्छे कपडे दे सकता हैं पर… सुन्दरता नही,
पैसा ऐशो आराम के साधन दे सकता हैं… सुकून नही…
जब व्यक्ति के जेब में पैसा होता हैं,
तो वह भूल जाता हैं कि वह कौन हैं,
लेकिन जब उसके पास पैसा नही होता,
तो दुनिया भूल जाती हैं कि वह कौन हैं…
जिनके पास पैसे चार उनके दोस्त भी बनते हैं हजार,
जिनके पास कुछ नही उन्हें पूछते भी नही उनके यार…
अब वफा की उम्मीद भी किस से करें भला,
मिटटी के बने लोग कागजों में बिक जाते हैं…
कागज़ के नोट की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता हैं,
न जाने सब्र का धागा कहाँ पर टूट जाता हैं…