जगजीवन राम की जीवनी | Jagjivan Ram Biography in Hindi

Babu Jagjivan Ram Biography in Hindi ( बाबू जगजीवन राम की जीवनी ) – आधुनिक भारतीय राजनीति के शिखर पुरूष बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को बिहार के भोजपुर के चन्दवा गाँव में हुआ था. उन्हें आदर से बाबू जी ( Babu Ji ) के नाम से सम्बोधित किया जाता था. उनका पूरा जीवन राजनितिक, सामजिक सक्रियता और विशिष्ट उपलब्धियों से भरा हुआ हैं. महात्मा गाँधी के नेतृत्व में उन्होंनें आजादी की लड़ाई में सक्रिय योगदान किया. भारत छोड़ो आन्दोलन में जेल भी गये.

जगजीवन राम का जीवन परिचय | Babu Jagjivan Ram Biography in Hindi

नाम – जगजीवन राम
अन्य नाम – बाबू जी
पूरा नाम – बाबू जगजीवन राम
जन्मतिथि – 5 अप्रैल, सन् 1908 ई.
जन्मस्थान – बिहार के भोजपुर के चन्दवा गाँव में
माता का नाम – बसंती देवी
पिता का नाम – शोभा राम
पत्नी – इंद्राणी देवी
पुत्री – मीरा कुमार
पुत्र – सुरेश कुमार
राष्ट्रीयता – भारतीय
दल – राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी और जनता दल
पद – श्रम मंत्री, रेल मंत्री, कृषि मंत्री, रक्षा मंत्री और उप-प्रधानमंत्री आदि पदों पर रहे
शिक्षा – स्नातक ( कलकत्ता विश्वविद्यालय )
मृत्युतिथि – 6 जुलाई, सन् 1986 ई.

जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, सन् 1908 ई. में बिहार के भोजपुर के चन्दवा गाँव में हुआ था. इनके पिता का नाम शोभा राम था जो कि एक किसान थे. इनकी माता का नाम बसंती देवी था. जगजीवन राम को धार्मिक प्रवृति, उच्च विचार , आदर्श मानवीय मूल्य और सूझबूझ जैसे गुण अपने माता-पिता से विरासत में मिला था. बाबू जगजीवन राम जब विद्यालय में ही थे तभी इनके पिता जी का देहांत हो गया. इनका लालन-पालन इनकी माता जी ने किया.

बाबू जगजीवन राम की शिक्षा | Babu Jagjivan Ram Education

अपनी माता के मार्गदर्शन और कठिन परिश्रम की बदौलत बाबू जगजीवन राम ने आरा टाउन स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की. इसके बाद इन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से विज्ञान में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की. उसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा पास की.

जगजीवन राम का विवाह | Babu Jagjivan Ram Ka Vivah

जून, 1935 ई. में जगजीवन राम का ब्याह इंद्राणी देवी से हुआ था. इंद्राणी देवी एक स्वंत्रता सेनानी और शिक्षाविद थी. उनके पिता डॉ. बीरबल एक प्रतिष्ठत चिकित्सक थे. बाबू जी के विवाह के कुछ वर्ष बाद 7 जुलाई, 1938 को पुत्र सुरेश कुमार और 31 मार्च, 1945 को पुत्री मीरा कुमार का जन्म हुआ. 21 मई, 1985 को सुरेश कुमार का देहांत हो गया जिसके कारण आपके माता-पिता को अत्यधिक आघात पहुँचा.

बाबू जगजीवन राम का स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान

बाबू जगजीवन राम शिक्षित थे जिसके कारण वो अंग्रेजों की “फूट डालो, राज करो” की नीति को अच्छे से समझते थे और वे गांधी जे के विचारों के प्रबल समर्थक थे. उस समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत दल से जुड़ गये. हिन्दू-मुश्लिम विभाजन, दलितों और सवर्णों के बीच मतभेद आदि समस्याएं थी. मुस्लिम लीग की कमान जिन्ना के हाथ में थी और जिन्ना अंग्रेजी सरकार के इशारों पर ही कार्य करते थे.

महात्मा गांधी ने इन समस्याओं के दूरगामी परिणाम को समझा और अनशन पर बैठ गये. यह राष्टीय संकट था. इस समय राष्ट्रवादी बाबूजी ने गांधी जी का ख़ूब सहयोग किया. उन्होंनें दलितों के धर्म-परिवर्तन को रोका और उन्हें आजादी के आन्दोलन से जोड़ा. बाबू जगजीवन राम में राजनितिक कुशलता और दूरदर्शिता थी. इसके बाद बाबू जी दलितों के प्रिय नेता के रूप में प्रसिद्ध हो गये. इसके बाद गांधी जी के विश्वसनीय पात्र बने और राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आ गये.

अंग्रेजों का विरोध

9 अगस्त सन् 1942 ई. को गांधीजी ने “भारत छोड़ो” आन्दोलन प्रारम्भ किया तो जगजीवन राम ने इस आन्दोलन में चढ़-बढ़ कर भाग लिया. योजना के अनुसार उन्हें बिहार में आन्दोलन तेज करना था लेकिन दस दिन बाद ही गिरफ्तार कर लिए गये.

बाबू जगजीवन राम की राजनितिक सफलता

सन् 1946 ई. में जवाहरलाल नेहरू की अंतरिम सरकार में शामिल हुए और उसके बाद सत्ता की उछ सीढ़ियों पर चढ़ते गये. 30 वर्ष तक कांग्रेस मंत्रीमंडल में रहे. पांच दशक से अधिक समय तक राजनीति में सक्रिय रहे. राजनीति में रहते हुए उनहोंने श्रम मंत्री, कृषि मंत्री, संचार मंत्री, रेलवे मंत्री और रक्षा मंत्री के पद को शुशोभित किया. इन क्षेत्रों में विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य भी किये. किसी भी मंत्रालय की समस्या का समाधान बड़े ही कुशलता से करते थे. बाबू जगजीवन राम ने कभी भी मंत्रालय से इस्तीफ़ा नहीं दिया. सभी मंत्रालयों का कार्यकाल पूरा किया.

बाबू जगजीवन राम के बारें में अन्य जानकारियाँ

  • 1936 में, बाबू जगजीवन राम को 28 वर्ष की आयु में उन्हें बिहार विधान परिषद का सदस्य चुना गया.
  • 1980 में जगजीवन राम ने कोलकत्ता के वेलिंगटन स्क्वायर में एक मजदूर रैली को सम्बोधित किया था जिसमें लगभग 50 हजार लोग आये हुए थे.
  • 1946 – भारत के प्रथम मन्त्रिमंडल में उन्हें श्रम मंत्री का पद मिला जिस पर वो 1946 से 1952 तक रहे.
  • 1952 से 1986 तक संसद सदस्य रहे.
  • 1956 से 1962 तक उन्होंने रेल मंत्री के पद पर कार्य किया.
  • 1967 से 1970 तक वह कृषि मंत्री रहकर किसानों के हित में फैसले लिये.
  • 1970 से 1971 तक जगजीवन राम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.
  • 1970 से 1974 तक उन्होंने देश के रक्षामंत्री के पद की जिम्मेदारी को सम्भाला.
  • 1974 से 1977 तक वह कृषि मंत्री रहे. यह दूसरी बार कृषि मंत्री बने.
  • 23 मार्च, 1977 से 22 अगस्त, 1979 तक वह भारत के उप प्रधानमंत्री बनकर देश की सेवा की.
  • आपातकाल के दौरान वर्ष 1977 में वह कांग्रेस से अलग हो गए और ‘कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी‘ नाम की पार्टी का गठन किया और जनता गठबंधन में शामिल हो गए। इसके बाद 1980 में उन्होंने कांग्रेस (जे) का गठन किया.

बाबू जगजीवन राम की मृत्यु

भारत के महान राजनीतिज्ञ और दलितों के मसीहा बाबू जगजीवन राम का देहांत 6 जुलाई, सन् 1986 को हुआ. उस समय इनकी उम्र 78 वर्ष थी. स्वतंत्र भारत के वो एक ऐसे नेता थे जिन्होंने दलित समाज को एक नई दिशा प्रदान की.

बाबू जगजीवन राम की पुत्री मीरा कुमार

श्रीमती मीरा कुमार 1973 में वह भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुनी गईं. कुछ वर्षों के तक नौकरी करने के बाद राजनीति में आ गई. लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष (स्पीकर) के रूप में 3 जून 2009 को निर्विरोध चुनी गयी. सन् 2017 ई. में हुए राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए की उम्मीदवार के रूप में “रामनाथ कोविन्द” के विरुद्ध चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा.

Meira Kumar
बाबू जगजीवन राम की पुत्री श्रीमती मीरा कुमार

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