अन्तराष्ट्रीय विधवा दिवस – 23 जून | International Widow Day in Hindi

International Widow Day in Hindi – विधवा दिवस हर वर्ष 23 जून को मनाया जाता हैं. इसका मुख्य उद्देश्य यह होता हैं कि विधवाओं की स्थिति में विशेष सुधार हो सके और दूसरों की तरह वो भी सामन्य जीवन व्यतीत कर सके. पूरे विश्व में करोंड़ो विधवा गरीबी, हिंसा, बीमारी, बहिष्कार, शारीरिक शोषण, स्वास्थ और अन्य कई तरह की समस्याओं को सहन कर रही हैं, उनका जीवन स्तर अच्छा हो और वो समाज के मुख्य धारा से जुड़ सके इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए अन्तराष्ट्रीय विधवा दिवस ( International Widow Day ) मनाया जाता हैं.

Widow Day Quotes in Hindi

अन्तराष्ट्रीय विधवा दिवस से सम्बन्धित तथ्य | Facts Related to International Widow Day in Hindi

  1. अन्तराष्ट्रीय विधवा दिवस पूरी दुनिया में 23 जून को मनाया जाता हैं ताकि विधवाओं के जीवन स्तर में सुधार आ सके.
  2. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून 2011 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस की घोषणा की जिसे अब हर साल मनाया जाता हैं.
  3. ब्रिटेन की लूम्बा फाउंडेशन ( Loomba Foundation ) विश्वभर में विधावाओं के खिलाफ़ हो रहे अन्याय और अत्याचार को लेकर सात वर्षो से संयुक्तराष्ट्र संघ में अभियान चला रहे थे. इसी संस्था के मेहनत और प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र में विधवाओं के खिलाफ़ जारी अत्याचारों के आकड़ो के आधार पर अन्तराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की.
  4. एक अनुमान के अनुसार पूरी दुनिया में लगभग 12 करोड़ विधवा महिलायें ग़रीबी में रहती हैं और लगभग 8 करोड़ महिलाओं को शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ता हैं.
  5. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 4 करोड़ विधवायें रहती हैं. 15 हजार विधवाएं वृन्दावन की सड़को पर ही रहती हैं.
  6. विधवाओं और उनके बच्चों से दुर्व्यवहार मानव अधिकारों का हनन हैं और आज के समय में किसी भी देश के विकास में यह एक सबसे बड़ी बाधा हैं.
  7. सुलभ इंटरनेशनल ( Sulabh International ) के संस्थापक बिन्देश्वर पाठक ने भारत में विधवाओं के संरक्षण के लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार किया. वृन्दावन में रहने वाली हज़ारों विधवाओं की सहायता के लिए एक विधवा संरक्षण विधेयक को बनाने की इच्छा व्यक्त की हैं.

अन्तराष्ट्रीय विधवा दिवस कोट्स | International Widow Day Quotes in Hindi

उचित शिक्षा और सही रोजगार देकर ही विधवाओं के जीवन स्तर को सुधारा जा सकता हैं.

सिर्फ संकुचित विचार और छोटी सोच वाले लोग ही विधवा को अपशगुन मानते हैं.

सती प्रथा से लेकर आज तक विधवाओं के जीवन स्तर में काफ़ी सुधार हुआ हैं पर अभी बहुत कुछ सुधार लाना बाकी हैं.

विधवा के जीवन स्तर को सुधारना, देश के विकास में योगदान देना हैं.

सरकार और समाज में शिक्षित व्यक्तियों के द्वारा ही शोषित विधवाओं के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सकता हैं.

विधवाओं का सबसे अधिक शोषण ग्रामीण क्षेत्रों में होता हैं इसका मुख्य कारण उनका अशिक्षित होना होता हैं.

करोड़ो स्त्रियों को दुखी करके कोई समाज अपनी तरक्की पर गर्व नही कर सकता हैं.

ईश्वर सबके अंदर होता हैं, सबका सम्मान करें. यदि ईश्वर ने आपको सामर्थ्य दिया हैं तो गरीबों की और शोषित वर्ग के लोगो की मदत करें.

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