Harivansh Rai Bachchan Quotes in Hindi | हरिवंश राय बच्चन के अनमोल विचार

Harivansh Rai Bachchan Quotes in Hindi – हरिवंश राय बच्चन भारत के प्रसिद्ध हिंदी कवि और लेखक थे. इनकी कवितायें हृदय स्पर्शी है जो आज भी करोड़ों दिलों पर राज करती है. इस पोस्ट में हरिवंश राय बच्चन के विचारों ( Harivansh Rai Bachchan Quotes ) दिए हुए हैं. इन्हें जरूर पढ़े. इन विचारों को इनकी कविताओं से लिया गया हैं.

हरिवंश राय बच्चन कोट्स इन हिंदी | Harivansh Rai Bachchan Quotes in Hindi

मैं जग जीवन का भार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ,
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों में दो तार लिए फिरता हूँ.


कभी फूलों की तरह मत जीना,
जिस दिन खिलोंगे बिखर जाओंगे,
जीना हैं तो पत्थर बन के जियो,
किसी दिन तराशे गए तो खुदा बन जाओंगे.


मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,
मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ,
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान किया करता हूँ.


आज अपने ख़्वाब को मैं सच बनाना चाहता हूँ,
दूर की इस कल्पना के पास जाना चाहता हूँ.


मैं निज उर के उदगार लिए फिरता हूँ,
मैं निज उर के उपहार लिए फिरता हूँ,
है यह अपूर्ण संसार न मुझको भाता
मैं स्वप्नों का संसार लिए फिरता हूँ.


मैं जला हृदय में अग्नि, दहा करता हूँ,
सुख-दुःख दोनों में मग्न रहा करता हूँ,
जग भव-सागर तरने को नाव बनाए,
मैं भव मौजों में मस्त बहा करता हूँ.


मैं यौवन का उन्माद लिए फिरता हूँ,
उन्मादों में अवसाद लिए फिरता हूँ,
जो मुझको बाहर हँसा, रूलाती भीतर
मैं, हाय, किसी की याद लिए फिरता हूँ.


असफलता एक चुनौती हैं,
स्वीकार करो क्या कमी रह गयी,
देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो,
नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम,
कुछ किये बिना ही जय जय कर नहीं होती
कोशिश करनेवालों की हर नहीं होती.


तू न थकेंगा कभी,
तू न थमेंगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ कर शपथ कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ, अग्निपथ.


एक बरस में एक बार ही जलती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला;
दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मानती मधुशाला.


कर यत्न मिटे सब, सत्य किसी ने जाना ?
नादान वहीं है, हाय, जहाँ पर दाना !
फिर मूढ़ न क्या जग, जो इस पर भी सीखे ?
मैं सीख रहा हूँ, सीखा ज्ञान भुलाना !


मैं और, और जग और, कहाँ का नाता,
मैं बना-बना कितने जग रोज मिटाता,
जग जिस पृथ्वी पर जोड़ा करता वैभव
मैं प्रति पग से उस पृथ्वी को ठुकराता !


मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,
शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ,
हो जिस पर भूपों के प्रासाद निछावर,
मैं वह खंडहर का भाग लिए फिरता हूँ.


मैं दीवानों का वेश लिए फिरता हूँ,
मैं मादकता निःशेष लिए फिरता हूँ,
जिसको सुनकर जग झूमे, झुके, लहराए ,
मैं मस्ती का संदेश लिए फिरता हूँ.


हो जाए न पथ में रात कहीं,
मंजिल भी तो है दूर नहीं,
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी जल्दी चलता है
दिन जल्दी जल्दी ढलता हैं.


जो बीत गयी सो बात गयी,
जीवन एक सितारा था,
माना वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया,
अम्बर के आनन् को देखो.
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छुट गए फिर कहा मिले,
पर बोले टूटे तारों पर,
कब अम्बर शोक मनाता हैं
जो बीत गयी सो बात गयी


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