Dil Ki Baat Poem ( Dil Ki Baat Kavita ) – इस दुनिया में बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो अपने दिल में किसी की तस्वीर तो बसा लेते हैं पर दिल की बात कहने से डरते हैं और वहीं डर उन्हें उनकी चाहत से मिलने नहीं देता हैं. बहुत से ऐसे भी लोग होते हैं जो अपने दिल में हर दर्द को छुपा लेते हैं ताकि उनके अपनों को कोई तकलीफ न हो. ये दिल बड़ा ही अजीब सा होता हैं जिसे समझ पाना बड़ा मुश्किल हैं.
दिल की बात कविता | Dil Ki Baat Kavita
रोने से जिंदगी की शुरुआत हुई,
फिर माँ से मुलाकात हुई,
वो मेरे दिल की बात जान लेती थी
मेरे हर दुख-दर्द को पहचान लेती थी.
थोड़ा बड़ा हुआ,
अपने पैरों पर खड़ा हुआ,
क्या मैने कुछ शब्द बोल दिए
लोगो ने मेरे सामने किताब खोल दिए.
अपनी ख्वाहिशों को मेरी मंजिल बताने लगे,
जीवन में हार-जीत के मायने समझाने लगे,
मेरे आँखों को नये सपने दिखाने लगे
मैं सहम गया जब वो न पढ़ने पर डराने लगे.
उम्र के साथ ख्वाहिश का दायरा बढ़ रहा था,
पर ये कमबख्त दिल कुछ और ही कह रहा था,
कुछ ख्वाहिशें पूरी तो कुछ अधूरी थी,
जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए
कुछ ख्वाहिशें अधूरी भी जरूरी थी.
बचपन में दिल की बातें
बड़े आसानी से कह देता था,
फिर रात में बड़े सुकून से सोता था,
अब दिल की बातें कहीं नहीं जाती हैं,
सुकून की नींद कभी-कभी आती हैं.
दुखी देखकर मेरे बालों को सहला देती हैं,
फिर बचपन की तरह मेरे दिल को बहला देती है,
माँ आज भी मेरे दिल का हाल समझती हैं
मैं और दुखी ना हो जाऊं इसलिए कुछ नहीं कहती हैं.
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