Dharmik Shayari | धार्मिक शायरी

Dharmik Shayari ( Dharm Shayari ) – हर व्यक्ति किसी न किसी धर्म से जुड़ा होता हैं और ईश्वर के प्रति उसकी अटूट श्रद्धा होती हैं. ईश्वर की भक्ति से शक्ति मिलती हैं. मन को शांति मिलती हैं और जब हमारे दुःख के समय हमारे साथ कोई नहीं होता है तो हम अपने आस-पास ईश्वर को महसूस करते हैं.

इस पोस्ट में बेहतरीन धार्मिक शायरी, धर्म शायरी, Dharmik Shayari, Dharm Shayari, Religious Shayari आदि दिए हुए हैं. इन शायरी को जरूर पढ़े और शेयर करें.

Best Dharmik Shayari | बेस्ट धार्मिक शायरी

है धर्म पहुँचना नहीं,
धर्म तो जीवन भर चलने में है,
फैला कर पथ पर स्निग्ध ज्योति
दीपक-समान जलने में हैं.
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


अन्याय सह कर बैठे रहना,
यह महा दुष्कर्म है.
न्यायार्थ अपने बन्धु, को,
दंड देना धर्म है.
मैथिलीशरण गुप्त


सच्चा धर्म हमे अपने आश्रितों का सम्मान करना सिखाता है,
मानवता, दरिद्रता, विपत्ति पीड़ा एवं मृत्यु को ईश्वरीय देन बताता हैं.


मैं लाख रोकूँ मगर आँख छलक जाती हैं,
जब तेरी रहमतों के गीत दुनिया गाती हैं,
जब तुम्हीं हो दयासिन्धु दीन बन्धु त्रिपुरारी
फिर मुझे मेरी ये तकदीर क्यों सताती हैं.


किस्मतों का खेल किसे बताएं हम,
ऐ दुःख तू ही बता किसे सुनाएं हम,
हे ईश्वर इतनी कृपा करना कि दुनिया में
कुछ अच्छा करके दिखाएं हम.


ना गिनकरदेता हैं, ना तौलकर देता हैं,
ख़ुदा जब भी देता है दिल खोलकर देता है.


अच्छे इंसान अपने कर्म द्वारा ही पहचाने जाते हैं,
क्योंकि अच्छी बातें तो बुरे लोग भी कर लेते हैं.


आदमी भगवान से लाखों करोड़ो की चाहत रखता है,
लेकिन जब मंदिर जाता है तो जेब में सिक्के ढूंढता हैं.


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