जरूरी नही कि जिनमें साँसे नही वो ही मुर्दा हैं,
जिनमें इंसानियत नही हैं, वो भी तो मुर्दा हैं…
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सिर्फ इतना ही फ़र्क पड़ा है बड़े होने के बाद…
पहले आती थी – अब लाता हूँ “चेहरे पर हँसी”
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अगर कोई आपकी मदद कर सकता हैं,
तो वो हैं “सिर्फ आप”.
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लम्हें बेचकर पैसे तो आ गये,
अब बताओ किस दूकान पर
ख़ुशी मिलेगी?
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जल्दबाजी में अब बस, सांस ही ली जाती हैं,
जिन्दगी कहाँ अब, फुरसत से जी जाती हैं.
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जो हाथ सेवा के लिए उठते हैं,
वे प्रार्थना करते होंठों से पवित्र हैं.