108 Names of Hanuman Ji in Hindi | हनुमान जी के 108 नाम

108 Names of Hanuman Ji in Hindi ( Hanuman Ji Ke 108 Naam ) – हनुमान जी, श्री राम के परम भक्त, मित्र और दूत थे. इन्हें शिव का 11 वां अवतार माना जाता हैं. रामायण में इनका चरित्र-चित्रण बड़ा रोचक और मनोहारी हैं जिसमें ये दुष्टों का नाश करते हैं और भक्त जनों का उद्धार करते हैं. इस पोस्ट में दिए हनुमान जी के 108 नामों को जरूर जानें.

हनुमान जी के 108 नाम | 108 Names of Hanuman Ji in Hindi

  1. हनुमान – विशाल और टेढी ठुड्डी वाले ।
  2. श्रीप्रद – शोभा प्रदन करने वाले ।
  3. वायुपुत्र – वायु के पुत्र
  4. रुद्र – जो रुद्र के अवतार हैं (हनुमान जी एकादश रुद्र हैं)
  5. अनघ – पाप से रहित
  6. रामधारी – राम को हृदय में धारण करने वाले
  7. अजर – वृद्धावस्था से रहित
  8. अमृत्य – मृत्यु से रहित
  9. वीरवीर – वीरों में अग्रणी
  10. ग्रामवास – गाँवों में निवास करने वाले
  11. जनाश्रय- समस्त जनों को आश्रय प्रदान करने वाले
  12. धनद -धन धान्य देनेवाले
  13. निर्गुण -सतोगुण,रजोगुण एवं तमोगुण से रहित ।
  14. अकाय -भौतिक देह से रहित ।
  15. वीर – पराक्रमी ।
  16. निधिपति – नवनिर्धायों के स्वामी ।
  17. मुनि – वेद शास्त्रों के गूहार्थ के ज्ञाता ।
  18. पिंगाक्ष – पीले-पीले नेत्रों वाले ।
  19. वरद – मनोवांछित वरदान देने वाले ।
  20. वाग्मी – कुशल वक्ता ।
  21. सीताशोकविनाशन – सीता जी के शोक को मिटाने वाले ।
  22. शिव – मंगलमय ।
  23. सर्व -सर्वस्वरूप ।
  24. पर – प्रकृति से भी परे ।
  25. अव्यक्त -अव्यक्त स्वरूपवाले ।
  26. रसाधर- पृथ्वी को धारण करने वाले ।
  27. पिंगरोम -पीले रोम वाले ।
  28. पिंगकेश -पीले केशों वाले ।
  29. श्रुतिगम्य: -जो श्रुतियों द्वारा जानने योग्य है ।
  30. सनातन -सदैव विद्यमान रहने वाले ।
  31. अनादि – आदि से रहित ।
  32. विश्वहेतु -जगत् के मूल कारण ।
  33. निरामय -नीरोग ।
  34. आरोग्यकर्ता – आरोग्य प्रदान करने वाले ।
  35. विश्वेश- विश्व के ईश्वर ।
  36. विश्वनाथ -संसार के स्वामी ।
  37. हरीश्वर -वानरों के स्वामी ।
  38. भर्ग – तेज स्वरूप ।
  39. रामभक्त – राम के भक्त ।
  40. कल्याणप्रकृति – कल्याण करना जिनका सवभाव है ।
  41. स्थिर -पर्वत के समान अचल ।
  42. विश्वम्भर – विश्व का भरण –पोषण करनेवाले ।
  43. विश्वमूर्ति -विश्व जिनकी मूर्ति है।
  44. विश्वाकार – जो सर्वस्वरूप हैं ।
  45. विश्वप – जो विश्व का पालन करते हैं।
  46. विश्वात्मा -जो विश्व की आत्मा हैं।
  47. विश्वसेव्य -सारे विश्व के सेवनीय।
  48. विश्वहर – विश्व के हर्ता ।
  49. रवि – सुर्यस्वरूप ।
  50. विश्वचेष्ट – विश्व के हित में चेष्टा करनेवाले ।
  51. कलाधर – कलाओं को धारण करनेवाले ।
  52. प्लवंगम – उछलते- कूदते चलनेवाले ।
  53. कपिश्रेष्ठ – वानरों में श्रेष्ठ ।
  54. ज्येष्ठ – महान् ।
  55. वैद्य – भवरोग के चिकित्सक ।
  56. वनेचर – सीताजी की खोज में वन-वन भटकने वाले ।
  57. बाल – बालक के समान निश्चल अथवा बालरूप हो सुरसा के मुँह में प्रवेश करनेवाले ।
  58. वृद्ध – बढ़कर पर्वताकार होनेवाले ।
  59. युवा – सदा तरुण स्वरूप ।
  60. तत्वम् – संसार के कारण स्वरूप ।
  61. तत्त्वगम्य -तत्वरूप में जानने योग्य ।
  62. सखा – सबके सखा ।
  63. अज – अजन्मा ।
  64. अञ्जनासूनु – माता अञ्जना के पुत्र ।
  65. अव्यग्र – कभी व्यग्र न होनेवाले ।
  66. धराधर – पृथ्वी को धारण करनेवाले- पर्वताकार ।
  67. भू – पृथ्वीलोकस्वरूप ।
  68. भुव – भुवर्लोकस्वरूप ।
  69. स्व – स्वर्गलोकस्वरूप ।
  70. महर्लोक – महर्लोकस्वरूप ।
  71. जनलोक – जनलोकस्वरूप ।
  72. अव्यय: – अविनाशीस्वरूप ।
  73. सत्यम्:- संतों के लिए हितकर ।
  74. ॐकारगम्य: – ॐकारके द्वारा प्राप्त होनेवाले ।
  75. प्रणव: – ॐकारस्वरूप ।
  76. व्यापक: – सर्वव्यापी ।
  77. अमल: – दोषरहित ।
  78. रामेष्ट:- जिनके श्रीराम इष्टदेव हैं ।
  79. फाल्गुन प्रिय: -जो अर्जुन के प्रिय हैं ।
  80. गोष्पदीकृतवारीश: – समुद्र को जलपूरित गोपद के समान लाँघनेवाले ।
  81. पूर्णकाम: -जिनकी सारी कामनाएँ पूर्ण हैं।
  82. धरापति: -पृथ्वी के स्वामी ।
  83. रक्षोघ्न: -राक्षसों को मारनेवाले ।
  84. पुण्डरीकाक्ष: – श्वेत कमल के समान नेत्रवाले ।
  85. शरणागतवत्सल: – शरण में आए हुये पर कृपा करनेवाले ।
  86. जानकीप्राणदाता: – जानकीको जीवन प्रदान करनेवाले ।
  87. पीतवासा: -पीला वस्त्र धारण करनेवाले ।
  88. दिवाकर समप्रभ: – सूर्य के समान तेजस्वी ।
  89. देवोद्यानविहारी: – देवताओं के नंदन-वन में विहार करने वाले ।
  90. देवताभयभञ्जन: – देकताओं के भय को नष्ट करनेवाले ।
  91. भक्तोदयो: – भक्तों की उन्नति करनेवाले ।
  92. भक्तलब्ध: – भक्तों के दवारा प्राप्त ।
  93. भक्तपालन तत्पर: – भक्तों की रक्षा में तत्पर ।
  94. द्रोणहर्ता:- द्रोणाचलको उखाड़कर लानेवाले ।
  95. शक्तिनेता – शक्तियों के संचालक ।
  96. अक्षघ्न: – अक्षकुमार को मारनेवाले ।
  97. रामदूत: – भगवान श्री रामचंद्र के दूत ।
  98. अहेतु: – कारणरहित ।
  99. प्रांशु: – बहुत उन्नत ।
  100. विश्वभर्ता: – विश्व का भरण पोषण करनेवाले ।
  101. जगद्गुरु: – सारे संसार के गुरु ।
  102. जगन्नेता: – संसार के नेता ।
  103. जगन्नाथ: – संसार के स्वामी ।
  104. जगदीश: – जगत् के ईश ।
  105. वायुपुत्र: – वायु के पुत्र ।
  106. परब्रह्मपुच्छ: – जिनका परब्रह्म आधार है ।
  107. रामेष्टकारक: – जो श्रीरामके अभीष्ट कार्य को सिद्ध करते हैं ।
  108. वानरेश्वर: -वानरों के स्वामी ।

नोट – कई जगहों पर हनुमान जी के 1008 नामों का भी वर्णन मिलता हैं.

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