काल्पनिक डर क्या होता है? | What is Imaginary Fear?

काल्पनिक डर क्या होता है? | What is Imaginary Fear? – काल्पनिक डर उस डर को कहते है जो आपके कल्पनाओं में होता है। जबकि हकीकत में इसका कोई अस्तित्व नहीं होता है। जिन लोगो की दिनचर्या में व्यस्तता नही होती है, अक्सर उन्हें काल्पनिक डर सताता है। कुछ लोग अपने जीवन में इतना डरे हुए और नकारात्मक होते है कि उन्हें देखकर हैरानी होती है।

काल्पनिक डर किन लोगों को सताता है

  • मृत्यु जीवन का सत्य है लेकिन कुछ लोग मृत्यु से इतना डरे होते है कि थोड़ा तबियत खराब होने पर या बीमार पड़ने पर बड़े ही अजीब और नकारात्मक कल्पना करने लगते है। ऐसे लोग शारीरिक रूप से कम मानसिक रूप से ज्यादा बीमार होते है। जबकि हकीकत में वे स्वस्थ्य होते है। ऐसा ज्यादातर अमीर लोगो को होता है।
  • कुछ लोग अपने जीवन में कोई जोखिम या बड़ा कार्य इसलिए नही कर पाते है, क्योंकि वे नकारात्मक कल्पना करने लगते है और कल्पना में ही डरने लगते है। उनका यह काल्पनिक डर उनके सपनों को मार देता है। यह डर ज्यादातर युवाओं में होता है।

करेंगे, तो काम आसान हो जाएगा,
चिंता करेंगे, तो दिमाग परेशान हो जाएगा।

  • ज्यादातर युवा विभिन्न माध्यमों से अपना समय बर्बाद करेंगे और भविष्य के बारे में नकारात्मक कल्पना करेंगे। कल्पना करके डरेंगे। यह डर उन्हें विश्वास दिला देता है कि वे नही कर सकते है। चाहे पढ़ाई हो या नौकरी हो। अगर वो पढ़ाई करें तो सफलता जरूर मिलेगी। हो सकता है थोड़ा वक्त लगे।
  • कुछ लोग अपने जीवन गरीबी की कल्पना करके इतना डरे होते है। पर्याप्त धन होने के बावजूद ढंग से भोजन नही करते है। अच्छा वस्त्र नहीं पहनते है। कहीं घूमने नहीं जाते है। इन्हें कंजूस भी कहा जाता है। पैसे बचाना अच्छी बात है लेकिन जरूरत से ज्यादा बचाना मूर्खता होती है।
  • कुछ लोग अपने जीवन में कल्पना करके इतना डरे होते है कि अगर उनके कोई राय या सुझाव लो तो वे आपको भी अपनी कल्पना से डरा देंगे। ऐसे लोग मानसिक रूप से कमजोर और सुस्त होते है।
  • कुछ शादी से पहले इतना ज्यादा नकारात्मक कल्पना कर लेते है कि शादी करने से डरने लगते है। बेवजह की बातों को सोचकर घबराने लगते है। कई लोग बेवजह के डर की वजह से अपनी शादी टालते रहते है।

इस काल्पनिक डर को बढ़ाने का कार्य हमारा आधा अधूरा ज्ञान और इंटरनेट कर रहा है। यह लेख लिखने का मेरा अभिप्राय यह है कि नकारात्मक कल्पना करके खुद को आगे बढ़ने से मत रोके। भूतकाल की गलतियों से सीख ले और वर्तमान में जीना सीखे। जीवन में व्यस्तता लाये। पढ़ाई करें और कुछ ना कुछ सीखते रहे। जीवन सुखमय और भविष्य उज्ज्वल होगा।

लेखक
सत्यप्रकाश दूबे ( इलाहाबाद )

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