स्वास्थ्य सूत्र ( Health Formula in Hindi ) – इस आर्टिकल में दिए स्वास्थ्य सूत्र “पतंजलि – प्रकृति का आशीर्वाद” पत्रिका से लिया गया है. पतंजलि के प्रोडक्ट और औषधि का इस्तेमाल करोड़ो लोग करते है. उत्तम स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए इन सूत्रों को जरूर पढ़े.
स्वास्थ्य सूत्र
- रात को जल्दी सोयें और प्रातःकाल जल्दी उठे. प्रतिदिन सूर्योदय से डेढ़ घंटा पूर्व उठे.
- प्रातः उठकर 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीयें। गुनगुना पानी में आधा नीबू का रस एवं एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से विशेष लाभ होता है. सुबह खाली पेट चाय या कॉफ़ी का सेवन कभी न करें।
- शौच करते वक़्त दांतों को भींचकर रखने से वृद्धावस्था में भी दाँत नहीं हिलते।
- प्रातः मुंह में पानी भरकर ठंडे जल से आँखों में छींटे मारें। अँगूठे से मुंह में स्थित तालू की सफाई करने से आँख, कान, नाक एवं गले के रोग नहीं होते।
- स्नान करने से पूर्व दोनों पैरों के अंगूठों में सरसों का शुद्ध तेल मलने से वृद्धावस्था तक नेत्रों की ज्योति कमजोर नहीं होती। प्रातः नंगे पाँव हरी घास पर टहलें, इससे आँखों की रौशनी बढ़ती है.सप्ताह में एक दिन पूरे शरीर की सरसों के तेल से मालिश करें तथा पैर के अंगूठों व पैर के पंजों की भी मालिश करें।
- प्रातः दाँतों का साफ़ करने के लिए नीम या बबूल की दातून का प्रयोग करें तथा रात्रि को सोने से पहले तथा प्रत्येक बार भोजन लेने के बाद दांतों के बीच में फँसे अन्न कणों को ब्रश से साफ़ करें।
- नहाने के पानी में नींबू का रस मिलाकर नहाने से शरीर की दुर्गंध दूर होती है.
- प्रतिदिन शौच-स्नान के पश्चात किसी नजदीकी योगकक्षा में यौगिक जॉगिंग, योगासन, प्राणायाम आदि नियमित रूप से करें। प्राणायाम करने से सभी प्रकार के रोग दूर होते है तथा शरीर स्वस्थ व मन शांत रहता है और आत्मबल बढ़ता है.
- नाश्ते में हल्का तथा रेशेयुक्त खाद्य, अंकुरित अन्न, फलों व दलिये का इस्तेमाल करें।
- भोजन के उपरान्त कम से कम 10 मिनट तज बज्रासन में बैठे तथा यदि सम्भव हो तो रात्रि के भोजन के बाद थोड़ा भ्रमण करें।
- दिन में कम से कम 8 से 12 गिलास ( 2.5 से 3 लीटर ) पानी जरूर पियें।
- सदैव रीढ़ ( कमर ) को सीधी रखकर बैठे। जमीन पर बैठकर बगैर सहारे के उठें। नाखूनों को दांतों से कभी न काटें।
- खाने के दौरान पानी न पीयें। खाने के आधा घंटा पहले था आधा घंटे बाद पानी का सेवन करें। सदैव पानी घूँट-घूँट करके पीयें।
- शाकाहारी, सुपाच्य, सात्विक भोजन भूख लगने पर ही चबा-चबा कर खायें। फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड-ड्रिंक, धूम्रपान व मांस-मदिरा का प्रयोग कभी न करें।
- काम खायें, जीवन जीने के लिए खाएं, ना कि खाने के लिए जियें। अपने आमाशय को आधा भाग भोजन, चौथाई भाग पानी था शेष चौथाई वायु से लिए रखे. देव को देवालय बनायें, कब्रिस्तान नहीं।
- पानी हमेशा बैठकर ही पीयें, खड़े होकर पीने से घुटनों में दर्द (वात-रोग) होने लगता है.
- भोजन हमेशा धरती पर बैठकर ही करें। खूब चबा-चबा कर खायें। भोजन करते समय मौन रहें, शोध न करें, पूरा ध्यान खाने पर ही रखें। भोजन करते समय टेलीविज़न न देखें।
- भोजन से पूर्व भी ईश्वर का स्मरण करें तथा भोजन ईश्वर का प्रसाद मानकर ग्रहण करें।
- भोजन में हरी सब्जी व सलाद का अधिक से अधिक प्रयोग करें। अधिक गर्म और अधिक ठंडी बस्तुएं पाचन क्रिया के लिए हानिकारक है. भोजन में मिर्च मसालों का प्रयोग कम करें। प्रतिदिन मौसम के फलों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है. फलों को भोजन के साथ न लेकर अलग से भोजन से पहले खायें।
- खाने के बाद लघुशंका अवश्य करें। भोजन के तुरंत बाद आइसक्रीम न खायें।
- रात का खाना सोने के 2 घंटे पहले खाएं, खाने के बाद थोड़ी चहल-कदमी करें, खाने के तुरंत बाद न लेटें। बिना तकिये के सोने से हृदय और मस्तिष्क मजबूत होता है.
- सांस हमेशा नाक से ही ले व छोड़े। ईश्वर ने मुंह खाने के लिए दिया है. मुख से सांस नहीं लेना चाहिए।
- फल सब्जियों का प्रयोग छिलके सहित धोकर करें। छिलके वाली दाल का ही सेवन करें।
- शरीर की शुद्धि के लिए सप्ताह में एक दिन बिना कुछ खायें केवल पानी पीकर उपवास अवश्य रखें।
- मल, मूत्र, छींके आदि के वेगों को कभी नहीं रोकना चाहिए, वेग रोकने से रोग उतपन्न होते हैं.
- सोने के लिए अधिक नर्म बिस्तर का प्रयोग न करें।
- जीवन में वाणी, व्यवहार व विचार के दोषों को दूर करने के तथा जीवन पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रतिदिन सायंकाल या सोते समय थोड़ी देर धैर्य पूर्वक आँखें बंद करके आत्म निरीक्षण करें और जीवन में अष्टांग योग को अपनाने के लिए पुरूषार्थ करें। मुँह ढक कर न सोये। रात को कमरे में सोते समय वायुसंचार को पूर्णतया अवरूद्ध न करें। बायीं करवट सोने से दायां स्वर चलता है, जो भोजन पचाने में सहायक है.
- रात को 10 से 4 बजे तक सोने से 6 घंटे की नींद पूरी हो जाती है. ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर दिन में कभी भी न सोयें।
- उत्तर तथा पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने वालों की आयु क्षीण होती है. पूर्व तथा दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने वालों की आयु दीर्घ होती है.
- पीने का पानी एवं अन्य खाद्य पदार्थ भी स्वच्छ होने चाहिए क्योंकि अस्वच्छता से अनेक रोगों की उत्पत्ति होती है.
- नशीलें पदार्थों के सेवन से तन, मन, धन, धर्म व आत्मा की हानि एवं अपनी तथा परिवार की बदनामी होती है.
- हर परस्थिति में सदैव प्रसन्न एवं उत्साहित रहें। उत्साह का परिणाम है सफलता तथा निराशा का परिणाम असफलता होता है. प्रसन्नता स्वास्थ्य की सबसे बड़ी कुंजी है. हर रोज खुलकर खिलखिलाकर हंसें। हंसना ही जीवन है.
- आलस्य, विलासिता तथा नींद को जितना बुलाएँगे ये उतना ज्यादा नजदीक आयेंगे। अतः इनसे दूरी बनाये रखे.
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