Vedas in Hindi – भारत का सर्वप्राचीन धर्मग्रन्थ ‘वेद‘ हैं, जिसके संकलनकर्ता महर्षि द्वैपायन वेदव्यास को माना जाता हैं. वेद चार हैं – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद हैं. वैदिक सभ्यता प्राचीन भारत की सभ्यता हैं जिसमें वेदों की रचना हुई. भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं, जो ईश्वर किन वाणी हैं.
वेदों के प्रकार | Types of Vedas in Hindi
- ऋग्वेद ( Rig Veda )
- यजुर्वेद ( Yajurveda )
- सामवेद ( Samaveda )
- अथर्ववेद ( Atharvaveda )
ऋग्वेद | Rig Veda
- ऋचाओ के क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता हैं. इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त एवं 10,462 ऋचाएं हैं. इस वेद की ऋचाओं के पढ़ने वाले ऋषि को होतृ कहते हैं. इस वेद से आर्य के राजनीतिक प्रणाली एवं इतिहास के बारें में जानकारी मिलती हैं.
- ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद हैं.
- विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के दुसरे मंडल में सूर्य देवता ‘सावित्री’ को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री हैं. इसके 9वें मंडल में देवता सोम का उल्लेख हैं.
- इसके आठवें मंडल की हस्तलिखित ऋचाओं को ‘खिल’ कहा जाता हैं.
- चातुषवर्ण्य समाज की कल्पना का आदि स्त्रोत ऋग्वेद के 10वें मंडल में वर्णित पुरूषसूक्त हैं, जिसके अनुसार चार वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) आदि पुरूष ब्रह्मा के क्रमशः मुख, भुजाओं, जंघाओं और चरणों से उत्पन्न हुए.
- वामनावतार के तीन पगों के आख्यान का प्राचीनतम स्त्रोत ऋग्वेद हैं.
- ऋग्वेद में इंद्र के लिए 250 था अग्नि के लिए 200 ऋचाओं की रचना की गयी हैं.
यजुर्वेद | Yajurveda
- सस्वर पाठ के लिए मंत्रो तथा बलि के समय अनुपालन के लिए नियमों का संकलन यजुर्वेद कहलाता हैं.
- यह एक ऐसा वेद हैं जो गद्य और पद्य दोनों में हैं.
सामवेद | Samaveda
- यह गायी जा सकने वाली ऋचाओं का संकलन हैं. इसके पाठकर्ता को उद्रातृ कहते हैं.
- इसे भारतीय संगीत का जनक कहा जाता हैं.
- इस वेद में उपासना में गाने के लिए 1975 संगीतमय मन्त्र हैं.
अथर्ववेद | Atharvaveda
- अथर्वा ऋषि द्वारा रचित इस वेड में रोग निवारण, तंत्र मंत्र, जादू टोना, शाप, वशीकरण, आशीर्वाद , स्तुति, प्रायश्चित, औषधि, अनुसंधान, विवाह, प्रेम, राजकर्म, मातृभूमि महात्मय आदि विविध विषयों में संबद्ध मन्त्र तथा सामान्य मनुष्यों के विचारों, विश्वासों, अंधविश्वासों इत्यादि का वर्णन हैं.
- इसमें सभा एवं समीति को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया हैं.
- सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद हैं एवं सबसे बाद का वेद अथर्ववेद हैं.
- इसमें 7260 कवितामयी मन्त्र हैं.