Rowlatt Act in Hindi ( रौलेट एक्ट क्या हैं? ) – प्रथम विश्व-युद्ध ( First World War ) के बाद भी ब्रिटिश सरकार क्रांतिकारियों पर नियंत्रण के नाम पर अपना दमन-चक्र बनाये रखना चाहती थी, जबकि युद्ध की समाप्ति के बाद इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी. लेकिन अंग्रेजी सरकार क्रांतिकारियों के कृत्यों की जाँच करने और उनका दमन करके भारतीयों की राष्ट्रीय भावना कुचलना चाहती थी. इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने सन् 1917 ई. में ‘सिडनी रौलेट ( Sidney Rowlatt )‘ की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया. इस समिति को भारत में क्रांतिकारियों की गतिविधियों की जाँच करने व उनके द्वारा चलाए जा रहे आंदोलनों को दबाने के लिए कैसे क़ानून बनाये जाए, विषयक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया.
रौलेट एक्ट | Rowlatt Act in Hindi
समिति ने लगभग चार महीने जाँच-पड़ताल की और अप्रैल 1918 ई. में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के वर्तमान “फ़ौजदारी क़ानून” क्रांतिकारियों और उनकी गतिविधियों को कुचलने के लिए अपर्याप्त हैं. समिति ने सलाह दी कि एक ऐसा क़ानून बनाया जाए जो युद्ध समाप्त होने पर भारतीय सुरक्षा अधिनियम के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सके तथा वर्तमान फ़ौजदारी क़ानून में संसोधन किया जाए जिससे किसी भी आन्दोलन को कुचला जा सके. अतः भारत के सभी वर्गों ने इसका विरोध किया इसके बावजूद भी सरकार ने दो विधेयक तैयार कर उन्हें पारित कर दिया जैसे रौलेट एक्ट ( Rowlatt Act ) के नाम से जाना जाता हैं.
इस अधिनियम के अनुसार किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार कर उसे अनिश्चित समय तक नजरबंद रखा जा सकता था. 18 मार्च, 1919 ई. को रौलेट एक्ट पारित हुआ. पंडित मोतीलाल नेहरू के शब्दों में, “अधिनियम ने अपील, वकील और दलील की व्यवस्था का अंत कर दिया.” इसलिए भारतीयों द्वारा इसे काला क़ानून ( Kala Kanoon ) कहा गया और इसका तीव्र विरोध किया गया देशव्यापी हड़ताले हुई. पुलिस द्वारा किये गये गोलीचालन में अनेक लोग मारे गये. अप्रैल, 1919 ई. को दिल्ली आते हुए गांधी जी को बंदी बना लिया गया. इन सभी घटनाओं ने देश के वातावरण को उग्र बना दिया.