Ramdhari Singh Dinkar Quotes in Hindi | रामधारी सिंह दिनकर के अनमोल विचार

Ramdhari Singh Dinkar Quotes Thoughts Shayari Status Poem Poetry in Hindi – इस आर्टिकल में रामधारी सिंह दिनकर के अनमोल विचार दिए हुए है.

राष्ट्रकवि और महाकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रेरणादायक और उत्साहवर्धक विचार दिए हुए है. इनकी रचनाओं में वो जादू है जो मुर्दा इंसान में भी जान फूंक दें. इनके शब्द हृदय को ताकत देते है और जीवन में कुछ अच्छा और बेहतर करने की सीख देते है. एक लेखक के लिए “दिनकर” की रचनाएं सूर्य का प्रकाश बन जाती है और राह दिखाती है.

Ramdhari Singh Dinkar Quotes in Hindi

हार-जीत क्या चीज़?
वीरता की पहचान समर है,
सच्चाई पर कभी हार कर भी
न हारता नर है।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


साहसी मनुष्य की पहली पहचान
यह है कि वह इस बात कि चिन्ता
नहीं करता कि तमाशा देखने वाले
लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं।
रामधारी सिंह दिनकर


ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,
दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।
क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग
सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।
रामधारी सिंह दिनकर


दुनियाँ में ऐसे भी देश हैं
जो अपने को प्रजातंत्र कहते हैं
किन्तु विरोधी दलो को अंकुरित भी नहीं होने देते,
न अखबारों को ऐसी बात छापने देते हैं जिसका
छापा जाना सरकार को नापसंद हो।
ऐसे देश मे प्रजातंत्र का मुखौटा लगाकर
डिक्टेटर राज कर रहें हैं।
रामधारी सिंह दिनकर


Ramdhari Singh Dinkar Status in Hindi

पांचाली के चीर-हरण पर जो चुप पाए जायेंगे,
इतिहासों के कालखंड में वे कायर कहलायेगे ।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर


मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
रामधारी सिंह दिनकर


मर्त्य मानव की विजय का तूर्य हूँ मैं,
उर्वशी! अपने समय का सूर्य हूँ मैं.
रामधारी सिंह दिनकर


जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर


Ramdhari Singh Dinkar Famous Quotes in Hindi

हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती,
सांसों के बल से ताज हवा में उड़ता है,
जनता की रोके राह,समय में ताव कहां?
वह जिधर चाहती,काल उधर ही मुड़ता है
रामधारी सिंह दिनकर


सुंदरता के बारे में तर्क
जितना ही अधिक किया जाएगा,
उसकी अनुभूति उतनी ही कम होगी।
रामधारी सिंह दिनकर


कौन कहे?
यह प्रेम हृदय की बहुत बड़ी उलझन है,
जो अलभ्य, जो दूर, उसी को
अधिक चाहता मन है!
रामधारी सिंह दिनकर


सच है, विपत्ति जब आती है ;
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते ;
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं ;
काँटों में राह बनाते हैं …
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर


Ramdhari Singh Dinkar Ke Vichar

आज की पीढ़ी रचना कम
आलोचना ज्यादा करती है
रामधारी सिंह दिनकर


है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके वीर नर के मग में।
खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़।
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


मन की व्यथा समेट,
नहीं तो अपनेपन से हारेगा।
मर जायेगा स्वयं,
सर्प को अगर नहीं मारेगा।
रामधारी सिंह दिनकर


वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर


Ramdhari Singh Dinkar Shayari in Hindi

आरती लिए तू किसे ढूँढता है मूर्ख
मंदिरो , राजप्रसादो में , तहखानों में ?
देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे
देवता मिलेंगे खेतों में , खलिहानों में
रामधारी सिंह दिनकर


कवच-कुण्डल गया; पर, प्राण तो हैं,
भुजा में शक्ति, धनु पर बाण तो हैं।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर


यह गहन प्रश्न कैसे रहस्य समझायें
दस-बीस अधिक हों तो हम नाम गिनायें
पर, कदम-कदम पर यहाँ खड़ा पातक है,
हर तरफ लगाये घात खड़ा घातक है।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


बेचैन हैं हवाएँ, सब ओर बेकली है,
कोई नहीं बताता, किश्ती किधर चली है?
मँधार है, भँवर है या पास है किनारा?
यह नाश आ रहा या सौभाग्य का सितारा?
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


दान जगत का प्रकृत धर्म है, मनुज व्यर्थ डरता है,
एक रोज तो हमें स्वयं सब-कुछ देना पड़ता है।
बचते वही, समय पर जो सर्वस्व दान करते हैं,
ऋतु का ज्ञान नही जिनको, वे देकर भी मरते हैं।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


रामधारी सिंह दिनकर के अनमोल विचार

जीवन का मूल्य समझता हूँ,
धन को मैं धूल समझता हूँ।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


जला अस्थियां बारी – बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
रामधारी सिंह दिनकर


विजय तन की घडी भर की दमक है,
इसी संसार तक उसकी चमक है ।’
भुवन की जीत मिटती है भुवन में,
उसे क्या खोजना गिर कर पतन में ?
शरण केवल उजागर धर्म होगा,
सहारा अन्त में सत्कर्म होगा।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


लो शोणित, कुछ नहीं अगर
यह आंसू और पसीना!
सपने ही जब धधक उठें
तब धरती पर क्या जीना?
सुखी रहो, दे सका नहीं मैं
जो-कुछ रो-समझाकर,
मिले कभी वह तुम्हें भाइयो-
बहनों! मुझे गंवाकर!
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


रामधारी सिंह दिनकर के सुविचार

सम्बन्ध कोई भी हों
लेकिन यदि दुःख में साथ न दें तो,
फिर सुख में उन सम्बन्धों का
कोई अर्थ नहीं है।
रामधारी सिंह दिनकर


चढ़े अश्व पर सेंक रहे रोटी नीचे कर भालों को,
खोज रहा मेवाड़ आज फिर उन अल्हड़ मतवालों को।
रामधारी सिंह दिनकर


नरता का आदर्श तपस्या के भीतर पलता है,
देता वही प्रकाश, आग में जो अभीत जलता है।
आजीवन झेलते दाह का दंश वीर-व्रतधारी,
हो पाते तब कहीं अमरता के पद के अधिकारी।
रामधारी सिंह’दिनकर’


ज़ुल्मी को ज़ुल्मी कहने में,
जीभ जहाँ पर डरती है ।
पौरुष होता क्षार वहाँ,
दम घोट जवानी मरती है।
रामधारी सिंह “दिनकर”


Ramdhari Singh Dinkar Thoughts in Hindi

वृथा है पूछना, था दोष किसका ?
खुला पहले गरल का कोष किसका ?
जहर अब तो सभी का खुल रहा है ,
हलाहल से हलाहल धुल रहा है.
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


ऊपर सिर पर कनक-छत्र, भीतर काले-के-काले,
शरमातेहैं नहीं जगत में जाति पूछनेवाले।
मस्तक ऊँचा किये, जाति का नाम लिये चलते हो,
पर, अधर्ममय शोषण के बल से सुख में पलते हो।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


जीवन उनका नहीं युधिष्ठिर! जो उससे डरते हैं।
वह उनका जो चरण रोप निर्भय होकर लड़ते हैं।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’


जो असुर, हमें सुर समझ, आज हँसते हैं,
वंचक श्रृगाल भूँकते, साँप डँसते हैं,
कल यही कृपा के लिए हाथ जोडेंगे,
भृकुटी विलोक दुष्टता-द्वन्द्व छोड़ेंगे।
रामधारी सिंह दिनकर


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