जनसंख्या वृद्धि और नियंत्रण पर कविता | Poem on Population in Hindi

World Population Day Poem Kavita in Hindi – इस आर्टिकल में जनसँख्या वृद्धि और जनसँख्या नियंत्रण पर कविता दी गई है. इसे जरूर पढ़े और शेयर करें.

अपने आस-पास जब आप शिक्षित लोगो को देखेंगे तो आपको लगेगा कि वे एक बेहतर जीवन कैसे जीते हैं. शिक्षित लोग “हम दो, हमारी दो” का अनुसरण करते हैं जिसके कारण वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाते हैं और अच्छी शिक्षा बेहतर जीवन देती है. परिवार की संख्या बढ़ने से घर में संसाधनों का अभाव होता है जिसके कारण कलह और अन्य कई परेशानियाँ होती है. परिवार जब छोटा होता है तो लोगो की गुणवता बढ़ती है और कमाई भी बढती है. परिवार के सभी लोग खुश रहते है.

जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई सरकार इसलिए नहीं प्रयास करती है कि कहीं उनका वोट बैंक नाराज न हो जाएँ. जनसंख्या बृद्धि के प्रति हर पार्टी की उदासीनता भारतीय राजनीति की घटिया सोच को उजागर करती है. आप जनसंख्या नियन्त्रण में अपना योगदान देकर एक शिक्षित नागरिक का उदाहरण प्रस्तुत करें. लोगो को जागरूक करें ताकि वो भी इस मुहीम में भाग ले सके.

जनसँख्या वृद्धि पर कविता | Poem on Population in Hindi

समस्याएँ है बहुत सारी,
आपकी और हमारी,
जनसँख्या वृद्धि की वजह से
बढ़ रही है बेरोजगारी.

देश में भ्रष्टाचार और मक्कारी है,
अच्छा चल रहा काम सरकारी है,
मजे ले रहे नेता और अधिकारी है,
इस महान देश की क्या लाचारी है?

जनसँख्या वृद्धि एक समस्या है
पर सभी इस पर मौन है,
आप किससे उम्मीद लगा रहे है
आखिर ये लोग कौन है?

धर्म रक्षा और युद्ध के नाम पर
जनसँख्या बढ़ा रहे है,
क्या आपको पता है?
पढ़े-लिखे लोग ये पाठ पढ़ा रहे है.

नेता के नाम पर कुछ अजीब लोग है,
जिन्हें हर मुद्दे पर विरोध करना है,
उनका लक्ष्य सिर्फ इतना है
अंत में उन्हें भी एक नेता बनना है.

जन-जन को जागरूक होना होगा,
जनसँख्या नियंत्रण का क़ानून लाना होगा,
अच्छी शिक्षा, स्वास्थ और सुरक्षा
हर जन के लिए सुनिश्चित करना होगा.

हर युवा को अपनी सोच बदलना होगा,
हर युवा को यह देश बदलना होगा.
जय हिंदी – जय भारत


Population Poem in Hindi

जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
खादयान्न संकट खड़ा हो गया
उर्जा संकट बड़ा हो गया
बीमारी चारो ओर बढ़ी
गरीबी की समस्या सामने खड़ी

जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
बेरोजगारी हताशा ला रही
आर्थिक संकट की चिंता खाय जा रही
महंगाई तेजी से बढ़ रही
आम लोगो का जीना मुश्किल कर रही

जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा
जनता को न्याय नहीं मिल रहा
जंगल काटे जाते है
पेड़ न कोई लगाते है

जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
चारो ओर प्रदुषण बढ़ते जा रहा
नई नई बीमारिया फैला रहा
खतरे में है वन्यजीवों का जीवन
हो रहे रोज उनपर नए नए सितम

जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही
बहुत से समस्याए पैदा कर रही
हमें इन समस्यायों से निजात पाना होगा
जनसंख्या के बढ़ने पे अंकुश लगाना होगा
हमें कुछ तो कदम उठाना होगा
छोटा परिवार , सुखी परिवार का नारा लगाना होगा


जनसँख्या नियंत्रण पर कविता | Poem on Population Control in Hindi

Wrold Population Day Kavita in Hindi – जनसंख्या वृद्धि के कारण आज पूरा भारत कई समस्याओं से घिरा हुआ है. जिसमें बेरोजगारी एक सबसे बड़ी समस्या है. यदि आप बेरोजगार है और आपके पास पैसा नही है तो आप हकीकत में बहुत सारे समस्याओं से घिरे हुए हैं. भारतीय शिक्षा प्रणाली में बहुत ज्यादा बदलाव लाने की जरूरत है. समाजिक और व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत है. ताकि जनसंख्या नियंत्रण में सब अपना योगदान दे और व्यवसाय के प्रति अपने नजरियें को बदलें.

Happy World Population Day | World Population Day Poem in Hindi | World Population Day Kavita in Hindi

जनसँख्या वृद्धि का ग्राफ
तेजी से बढ़ता जा रहा है,
हर रोज पेड़ कटता जा रहा है,
मनुष्य की आयु घटता जा रहा है.

बड़े शहर रहने के लायक नही है,
प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है,
सरकार नीति पर नीति बना रही है
फिर भी महंगाई सिर पर चढ़ रही है.

गाड़ियों को चलने के लिए
रोड पर रास्ता नहीं,
भीड़ से हर कोई परेशान है,
पर किसी को इससे कोई वास्ता नही.


World Population Day Poem in Hindi

जनसँख्या वृद्धि पर रोक लगाओ,
सबको तुम जागरूक बनाओ,
अपने घर को खुशहाल बनाओ,
शिक्षित नागरिक होने का फर्ज निभाओ.

इस जागरूकता अभियान में साथ दो
जनसँख्या नियन्त्रण में है सबका फायदा,
जाति-पाति और धर्म से ऊपर उठो
सभ्य समाज का यही है कायदा.

बढ़ती आबादी पर लगाम नही लगाओगे,
तो बाद में बड़ा ही पछताओगे,
जब बात बिगड़ जायेगी
तब कुछ नहीं कर पाओगे.

अंधविश्वास ने भी जनसंख्या को बढ़ाया है,
धर्म के नाम पर भी लोगो को भरमाया है,
हमारी अशिक्षा ने हमें खूब फसाया है,
सोचो जरा जनसंख्या बढ़ा कर हमने क्या पाया है.


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