Mahan Dani Karn Ki Kahani – महान दानवीर कर्ण का नाम आप ने जरूर सुना होगा. इस पोस्ट में आपको महान दानी कर्ण की एक और कहानी सुनाते हैं.
जब कर्ण ( Karn ) छोटे थे तब उनके द्वार पर एक ब्राह्मण आये. ब्राह्मण ने उन्हें एक मुट्ठी दाना भिक्षा में देने के लिए कहा.
कर्ण अपने घर के अंदर गये. उन्होंने एक बोरे में अनाजभर ब्रहामण के लिए लाया. ब्राह्मण ने उनसे कहा, “बालक, मैंने आपसे एक मुट्ठी अनाज माँगा था.” आपने मुझे इतना अधिक क्यों दिया?
कर्ण का जवाब सुनकर ब्राह्मण विस्मित रह गयें.
विचार मंथन | Brain Storming
प्रश्न – कर्ण का जवाब क्या था?
उत्तर – कर्ण ने जवाब दिया, “हे ब्राह्मण, मेरे हाथ छोटे हैं. यदि मैं आपको मुट्ठी भर अन्न देता तो यह आपके साथ अन्याय होता.”
प्रश्न – इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती हैं?
उत्तर – कर्ण वास्तव में एक महान दानी थे. वे न केवल बिना अपेक्षा के लोगों को देते थे बल्कि दान प्राप्त करने वाले के नजरिये से सोचते भी थे.
प्रश्न – दान से क्या लाभ मिलता हैं?
उत्तर – दान देने से लोभ और लालच जैसी बुराईयाँ नष्ट हो जाती हैं, और दान देकर हम किसी के आत्मा को प्रसन्न कर देते हैं. आत्मा ही तो ईश्वर का रूप होता हैं.
नोट – यह कहानी ‘100 प्रेरक देसी कहानियाँ ‘ किताब से ली गयी है इसके रचनाकार एवं लेखक “मधुर जाकिर हल्लेगुआ” हैं.